मेरठ (ब्यूरो)। शहर में मानसून के दौरान बीते कई दिनों से रुक-रुककर बारिश हो रही है। इससे लोगों को भले ही गर्मी से राहत मिली हो, लेकिन डेंगू का खतरा भी बढ़ गया है। बरसात के बाद हो रहे जलभराव से शहर के कई इलाके एक बार फिर डेंगू के नजरिए से संवेदनशील हो गए हैंै। शहर के कई रिहायशी इलाकों में महीनों तक रहने वाला जलभराव डेंगू के मच्छरों का परमानेंट ठिकाना बन गया है। यह बरसात के सीजन के बाद पूरी तरह से सक्रिय हो जाता है। हालत यह है कि पुराने शहर की गलियों से लेकर खाली प्लॉट और पार्क तक डेंगू के मच्छरों के लिए परमानेंट घर सा बने हुए हैं। सालभर स्थानीय लोगों की मांग के बाद भी ना यहां सफाई होती है और ना यहां जल निकासी। निगम की इस लापरवाही को दैनिक जागरण आई नेक्टस ने अपने डेंगू का डंक कैंपेन के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया है।

आठ साल में छह गुना केस
गौरतलब है कि शहर में डेंगू को रोकने के लिए 11 विभाग जुटे हैं। इसका नतीजा है कि आठ साल पहले जहां डेंगू के मरीजों की संख्या 200 से भी कम थी, वहीं 2023 में यह बढ़कर 1300 से भी पार हो गई है। हालांकि मेरठ में जांच सुविधा का होना भी इस संख्या बढऩे का एक पूरक कारण है।

डेंगू का हाल बदहाल
साल डेंगू
2016 195
2017 660
2018 202
2019 215
2020 35
2021 1668
2022 348
2023 1339

सिटी के सेंसटिव एरिया
माधवपुरम
टीपीनगर
औरंगशाहपुर डिग्गी
शेरगढ़ी
ेकाजीपुर
ईदगाह कालोनी
नूरनगर
मजीदनगर
समर गार्डन
कांच का पुल
ब्रह्मपुरी
रजबन
सरायकाजी

अलग अलग प्रजातियों का खतरा
कीट वैज्ञानिकों की मानें तो शहर के अलग-अलग इलाकों में मच्छरों की अलग-अलग प्रजातियां हैं। यह मच्छर कई तरह के वायरस और पैरासाइट के जरिए तरह तरह की बीमारियां तेजी से फैलाते हैं। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इन्सेफेलाइटिस, फाइलेरिया और जीका इनमें से कुछ विशेष बीमारियां हैं। मच्छर बहुत तेजी से बढ़ते और काटते हैं। मच्छर खतरनाक इसलिए भी हैं क्योंकि इनकी आबादी बड़ी तेजी से बढ़ती है। मादा मच्छर की उम्र नर के मुकाबले ज्यादा होती है। मादा मच्छर दो से तीन बार अलग-अलग जगहों पर अंडे देती है। मादा एडीज एक बार में 50 से 100 अंडे देती है और एक दिन में 70 से 80 लोगों को काट सकती है।

कबाड़ बना परेशानी
मलेरिया विभाग की मानें तो घरों में और दुकानों की छत पर या बाहर रखा कबाड़ डेंगू के मच्छर के पनपने के लिए सबसे मुफीद जगह होती है। जिस पर लोग ध्यान ही नही देते। इसलिए क्षेत्र में टायरों के दुकानदारों को विशेष रूप से निर्देश दिए गए हैं कि टायरों के अंदर जमा पानी तत्काल हटा दें और उसे प्लास्टिक से कवर करें। साथ ही घरों में कूलर का पानी, छतों पर रखे कबाड़ में रूका हुआ पानी साफ करने के लिए जागरुक किया जा रहा है। डेंगू के लार्वा पाए जाने पर नगर निगम की टीम की ओर से लगातार एंटीलार्वा का छिड़काव भी किया जा रहा है। इलाकों का सर्वे करवाकर जांच भी की जा रही है।

ये इलाके परमानेंट ठिकाने
औरंगशाह पुर डिग्गी
गढ़ रोड स्थित शहर का ये वो इलाका है जहां अजंता कालोनी, विश्वविद्यालय परिसर, रामबाग आदि प्रमुख इलाके जुडे हुए हैं और इस क्षेत्र में सालों से खाली पड़ा नगर निगम का प्लॉट जलभराव, कूड़ा व गंदगी का ठिकाना बन गया है। पूरे साल इस प्लॉट में जलभराव से आसपास के क्षेत्रों मे मच्छर जनित बीमारियों का असर रहता है।

भोपाल विहार
शिवशक्ति नगर, भोपाल विहार, जयभीमनगर शहर वो प्रमुख मोहल्ले हैं जहां हर साल डेंगू मलेरिया और वायरल फीवर के भरपूर मरीज मिलते हैं। कारण इस क्षेत्र में जगह जगह जलभराव है। यहां पूरे पूरे मेदान साल भर पानी से भरे रहते हैं। जिनमें मच्छर पनपते हैं।

समरगार्डन
मुस्लिम बहुल इस इलाके का हाल पूरे साल किसी गांव देहात से कम नही रहता है। कच्ची टूटी हुई सड़कें, बंद सीवर लाइन, नालियों में गंदगी यहां की प्रमुख समस्या है और बरसात के बाद यहां की गली गली में कई कई महीनों तक जलभराव हो जाता है। इस कारण से समर गार्डन, मजीदनगर, ईदगाह कालोनी में रहने वाले लाखों लोग हर साल डेंगू मलेरिया से जूझते हैं।

नूर नगर
ये वो क्षेत्र है जहां सरस्वती लोक कालोनी, ईहा पैलेस, साईपुरम इंडस्ट्रीयल एरिया जैसे प्रमुख वीआईपी मोहल्ले आते हैं। लेकिन इस क्षेत्र के लोग साल भर जलभराव और गंदगी से जूझते हैं। यहां मेन रोड से लेकर गलियों और खाली प्लॉट में बरसात के बाद कई कई माह तक जलभराव रहता है जो मच्छर जनित रोगों का कारण बनता है।

माधवपुरम
माधवपुरम आवास विकास की सबसे पहली विकसित कालोनी है जिसमें बकायदा ग्रीन बेल्ट बनाकर सौंदर्यीकरण किया गया था। लेकिन आज यह सौदर्यीकरण ही इस क्षेत्र के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। पूरे साल इस ग्रीन बेल्ट में भरा पानी डेंगू मलेरिया के मच्छरों का परमानेंट ठीकाना बना हुआ है।

इनका है कहना
समर गार्डन की रोड पर पूरे साल पानी भरा रहता है। बरसात के बाद इसी पानी में मच्छर पनपते हैं।
आरिफ खान

मजिद नगर की गलियों में पूरे साल पानी भरा रहता है। इससे ना सिर्फ डेंगू मलेरिया का असर पूरे साल रहता है।
आमिर

ग्रीन बेल्ट में जलभराव की समस्या पर निगम अब काम तो कर रहा है लेकिन कब तक काम पूरा होगा यह पता नही।
इरफान

माधवपुरम में ग्रीन बेल्ट तो दूर मेन रोड और बिजलीघर के बराबर में पूरे साल पानी भरा रहता है यह मच्छरों का परमानेंट ठीकाना है।
अरुण

डिग्गी भटटा पर पूरे साल पानी भरा रहने से तालाब सा बन गया है। मच्छरों की भरमार है यहां जिस पर निगम ने कभी ध्यान नही दिया।
राबिन सिंह

अजंता कालोनी के बाहर नई कालोनी, मॉल बनकर तैयार हो गई है लेकिन इस खाली प्लॉट में जलभराव का निगम द्वारा कोई उपाय नही किया जा रहा। पूरे क्षेत्र इस प्लॉट की गंदगी के कारण बीमारियों से जूझता है।
खुशविंदर प्रताप

सरायकाजी में खाली प्लॉट बरसात के बाद मच्छरों के ठिकाने बन जाते हैं। यहां भरा पानी तीन से चार माह तक खाली नही होता। इससे आसपास के क्षेत्र में डेंगू फैलता है।
हरेंद्र

भोपाल विहार तो पूरे साल डेंगू मलेरिया का गढ़ रहता है। यहां संचारी रोग अभियान के नाम पर कभी कभार फागिंग तो होती है पर परमानेंट सफाई नही होती है।
देवेंद्र

कई खाली प्लॉट में साल भर जलभराव रहता है। यह मच्छरों का ठिकाना बने हुए हैं आसपास के लोग परेशान रहते हैं।
हिमांशु