मेरठ (ब्यूरो)। छह साल पहले तत्कालीन कमिश्नर प्रभात कुमार के अथक प्रयासों और शासन की मंशा के बावजूद शहरभर में हरियाली विकसित करने के लिए बनाई गई ग्रीन बेल्ट योजना लापरवाही की भेंट चढ़ गई। हालत यह है कि शहर में जगह जगह बनी ग्रीन बेल्ट या तो अवैध पाॄकग मे तब्दील हो गई है या फिर उन पर अतिक्रमण हो गया है। इतना ही नहीं, कहीं-कहीं तो ग्रीन बेल्ट गंदगी के बीच गुम हो चुकी है। ऐसे में शहर की हरियाली का दायरा कैसे बढ़ेगा।
गुम हुई ग्रीन बेल्ट
गौरतलब है कि शहर को हरा भरा बनाने के लिए वन विभाग, नगर निगम, एमडीए द्वारा जगह-जगह ग्रीन बेल्ट विकसित की गई हैं। करीब दो दर्जन से अधिक ग्रीन बेल्ट पिछले 10 साल में विकसित की गई। इनमें गढ़ रोड, हापुड़ रोड, बाईपास, मंगल पांडेयनगर, शताब्दीनगर, काली नदी आदि की प्रमुख और बड़ी ग्रीन बेल्ट हैं। लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते इनमें से अधिकतर ग्रीन बेल्ट या तो अतिक्रमण के कारण या फिर अवैध निर्माण के कारण गुम हो गई हैं। शहर में कई जगह तो ऐसी हैैं, जहां ग्रीन बेल्ट पर ही पक्का निर्माण हो चुका है और प्रशासनिक कार्रवाई के नाम पर नोटिस देकर खानापूॢत कर दी गई। ऐसे में शहर की सड़कों को हरा भरा बनाने की सरकार की ग्रीन बेल्ट योजना अधर में अटकी हुई है।
कमिश्नर ने की थी सख्ती
ग्रीन बेल्ट को विकसित करने और ग्रीन बेल्ट से अवैध कब्जा हटाने के लिए साल 2018 में तत्कालीन कमिशनर प्रभात कुमार ने सख्ताई कर ग्रीन बेल्ट विकास के लिए योजना बनाई थी। इसके तहत उन्होंने खुद मंगलपांडेय नाले की पटरी को बतौर ग्रीन बेल्ट विकसित करने के लिए पौधरोपण किया था। लेकिन उनके तबादले के बाद ग्रीन बेल्ट अनदेखी का शिकार हो गई। उन्होंने गढ़ रोड, हापुड़ रोड आदि पर ग्रीन बेल्ट विकसित करने की योजनाए बनाई थी लेकिन आज तक योजनाएं अधर में हैं।
ग्रीन बेल्ट पर कब्जा
ग्रीन बेल्ट पर कब्जे की समस्या का स्थायी समाधान निकालते हुए तत्कालनी कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार ने गढ़ रोड और मेडिकल की बाउंड्रीसे सटाकर करीब 1 किमी की दूरी तक 6 मीटर की चौड़ाई में पौधरोपण कर ग्रीन बेल्ट डेवलेप करने का आदेश दिया था। इसके साथ कमिश्नर ने आदेश दिया था कि ग्रीन बेल्ट के बाद अतिक्रमण मिला, तो आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी लेकिन उनके आदेश का ना तो पालन हुआ और ना ही मेडिकल के बाहर आज तक ग्रीन बेल्ट विकसित हुई है। हालत यह है कि आज गढ़ रोड और मेडिकल कॉलेज की बाउंड्री के बीच करीब 6 मीटर की खाली पड़ी जमीन पर अवैध निर्माण हो गए हैं। यहां ठेले वालों से लेकर खानपान की पक्की दुकानें तक लगा ली गई हैं। और तो और ग्रीन बेल्ट पर ही झुग्गियों और कुम्हारों ने अपने अस्थाई दुकानें तक लगा ली हैं।
दोनों तरफ कब्जा
वहीं गढ़ रोड पर हापुड़ अड्डे से मेडिकल कॉलेज तक दोनों तरफ रेहड़ी वालों ने कब्जा जमा लिया है। यहां वाहन भी सड़क किनारे ही खड़े रहते हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा कई बार इन पर कार्रवाई की गई, लेकिन कब्जे जस के तस हैं। उधर गांधी आश्रम चौराहे से 100 मीटर दूरी पर सड़क के दोनों तरफ ट्रांसपोर्ट एजेंसियों ने अपनी गाडिय़ों को पार्क कर कब्जा किया हुआ है। ऐसे में सड़क पर जाम की समस्या बनी रहती है जिससे लोग परेशान होते रहते हैं।
सख्ती के बाद भी कब्जा
वहीं शहर की प्रमुख गढ़ रोड पर ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण और कब्जे को लेकर कई सालों से प्रशासन की मुहिम चल रही है। एमडीए हर साल व्यापारियों को गढ़ रोड स्थित ग्रीन बेल्ट पर किए गए निर्माण पर नोटिस जारी करता है। इस मामले में कुछ साल पहले एमडीए सचिव हाईकोर्ट तक में तलब हो चुकी हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने गढ़ रोड स्थित दो अस्पतालों को यूपी शहरी प्लानिंग और विकास एक्ट 1973 के तहत गलत मानते हुए कार्रवाई करने तक के आदेश दिए थे। लेकिन आज भी कब्जा जस का तस बना हुआ है।
यहां है ग्रीन बेल्ट
गांधी आश्रम से तेजगढ़ी तक
तेजगढ़ी से काली नदी तक
पीवीएस मॉल से तेजगढ़ी
हापुड़ रोड पर एल ब्लॉक चुंगी से बिजली बंबा
बाईपास परतापुर
मंगलपांडेय नगर नाला पटरी
शताब्दीनगर, वेदव्यास पुरी
ग्रीन बेल्ट पर कब्जा हटाना अन्य विभागों का काम है। यह उनकी जिम्मेदारी है कि ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण या गंदगी न हो।
राजेश कुमार, डीएफओ