मेरठ (ब्यूरो)। इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन द्वारा संचालित आरआरटीएस एनसीआर में ग्रीन मोड के रूप में काम करेगा। आरआरटीएस के परिचालन में ग्रीन या रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल किया जाएगा। एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस सिस्टम के लिए मुख्य रूप से अक्षय और सौर ऊर्जा से ब्लेंडेड ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) के साथ एक एमओयू भी साइन किया है। जिससे सिस्टम को लंबे समय तक चलाया जा सके।

ग्रीन बेल्ट होगी विकसित
स्टेशन व डिपो के अलावा आरआरटीएस के सभी पावर सब-स्टेशनों को भी आईजीबीसी प्रमाणन के उच्चतम रेटिंग के अनुसार विकसित किया जाएगा। सब-स्टेशनों मे रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, लैंडस्केपिंग, ग्रीन बेल्ट आदि भी विकसित की जाएगी। यहां भी आईजीबीसी की उच्चतम रेटिंग प्राप्त करने के लिए बिजली के सब-स्टेशनों में एलईडी लाइटें होंगी, एसी पर्यावरण के अनुकूल होंगे, वेंटिलेशन व नेचुरल हवा के लिए खिड़कियां और अन्य बुनियादी ढांचा निर्मित किया जाएगा।

सोलर से संचालित होगी
रैपिड रेल के पूरे कारिडोर पर परिचालन 2025 से शुरू होने की संभावना है। एनसीआर परिवहन निगम ने इस कॉरिडोर पर सोलर ऊर्जा के इस्तेमाल की योजना बनाई है। साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के तमाम प्रभावों को कम करने के लिए सौर ऊर्जा को निरंतर उपयोग में लाया जाएगा। इसमें कुल ऊर्जा की आवश्यकता का 40 प्रतिशत भाग सौर ऊर्जा से ही प्राप्त होगा।

स्टेशंस की छत पर सोलर
आरआरटीएस के सभी स्टेशनों, डिपो और भवनों की छतों पर लगभग 10 मेगावाट तक की सौर ऊर्जा उत्पन्न की जाएगी। साथ ही सौर ऊर्जा को अन्य स्थानों पर उत्पन्न करके उसे आरआरटीएस नेटवर्क में इस्तेमाल करने के लिए सौर उत्पादक एजेंसी से भी अनुबंध किया गया है।


प्रदूषण भी घटेगा
एक अनुमान के अनुसार दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से एनसीआर जाने वाले 35 प्रतिशत से अधिक वाहनों का लोड कम हो जाएगा। ऐसा मानना है कि रैपिड चालू होने के बाद लोग निजी वाहनों के बजाए रैपिड से सफर करेंगे। इससे वाहनों का लोड इस रूट पर कम होगा और प्रदूषण काफी हद तक कम हो सकेगा।

फैक्ट्स
82 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर दिल्ली के सराय काले खां से शुरू होगा और मेरठ के मोदीपुरम में समाप्त होगा।
इस रूट पर कुल 22 स्टेशन होंगे।
करीब 25 हजार वोल्ट बिजली करंट से ट्रेन संचालित होगी। इतनी बिजली सौर ऊर्जा से दी जाएगी।
स्टेशंस, डिपो और भवनों की छतों पर लगभग 10 मेगावाट तक की सौर ऊर्जा प्लांट लगाया जाएगा।
रेल अत्याधुनिक रिजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से युक्त होगी, जिससे बिजली बनेगी।
आरआरटीएस रोलिंग स्टाक में कम ऊर्जा खपत के साथ प्रकाश और तापमान नियंत्रण प्रणाली भी होगी।
इस प्रोजेक्ट से 60 हजार टन पीएम 2.5 घटाने का टारगेट तय किया गया है।
इस प्रोजेक्ट से 4,75,000 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड कम होगी।
इस प्रोजेक्ट से करीब 8,00,000 टन हाइड्रो कार्बन व कार्बन मोनो ऑक्साइड घटेगी।