मेरठ, (ब्यूरो)। इसमें छठ व्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रती के भोजन के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में कद्दू, दाल और चावल ग्रहण करते हैं। दाल चने की ही होती है। महिलाओं ने सोमवार को संकल्प लेकर व्रत की शुरूआत की।
सूर्य को अघ्र्य दिया
सोमवार की सुबह से ही शहर में पल्लवपुरम, गंगानगर, नौचंदी स्थित राघव कुंज, तक्षशिला, सोमदत्त सिटी समेत विभिन्न इलाकों में छठ व्रतियों ने पवित्र स्नान किया। वहीं, भगवान सूर्य की आराधना की। घरों में लौकी-चना दाल और चावल बनाकर भोग लगाया गया। अब मंगलवार की सुबह से निर्जला उपवास शुरू होगा। शाम में खरना होगा। उसके बाद बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास होगा। 10 नवंबर की शाम को डूबते सूर्य और 11 नवंबर को उगते सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। उगते सूर्य को अघ्र्य के साथ छठ महापर्व संपन्न होगा।
छठ पर्व की मान्यता
ज्योतिषाचार्य भारतज्ञान भूषण ने बताया कि यह व्रत रखकर कार्तिकेय की पत्नी तथा ब्रह्म्मा की पुत्री देवसेना ने राजा प्रियव्रत के मृतक पुत्र को सूर्य षष्ठी वाले दिन ही जीवित किया था। इसलिए तभी से षष्ठी देवी की पूजा होने लगी। वहीं, कार्तिकेय की असुरों के विरुद्ध विजय के लिए माता पार्वती ने अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत पूजन किया था। वहीं, विजय होकर लौटने पर उदयाचल उदित होते सूर्य को जल व दूध देकर अपना व्रत पूर्ण किया था।
छठ पूजा कार्यक्रम
8 नवंबर 2021, सोमवार- चतुर्थी (नहाए-खाए)
9 नवंबर 2021, मंगलवार- पंचमी (खरना)
10 नवंबर 2021, बुधवार- षष्ठी (डूबते सूर्य को अघ्र्य)