मेरठ (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण-2025 की तैयारी में जुटे नगर निगम के लिए गांवड़ी, मंगतपुरम और लोहियानगर में खड़ा कूड़े का पहाड़ परेशानी का सबब बना हुआ है क्योंकि सालों से कूड़ा का निस्तारण सिर्फ सेग्रीगेशन तक ही सीमित है। हालांकि अब निगम को इस कूड़े के पहाड़ के निस्तारण की एक राह दिखाई दी है। जिसके तहत एनटीपीसी ने कूड़े का निस्तारण करने में रूचि दिखाई है। इसके तहत गांवडी में एनटीपीसी प्लांट लगाकर रोजाना करीब 700 टन कूड़े का निस्तारण करेगा।

कूड़े का पहाड़ छिपाया
गौरतलब है कि कूड़े के पहाड़ की वजह है हर बार स्वच्छता सर्वेक्षण में निगम की रैंक प्रभावित होती है। इस कूड़े के निस्तारण के लिए सात साल पहले निगम और आर्गेनिक रिसाइकिलिंग कंपनी के बीच अनुबंध हुआ था लेकिन प्लांट नहीं लग पाया। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। तब से लेकर अब तक नगर निगम लोहियानगर में लगे अपने बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट में महज कूड़े की छंटनी कर खानापूर्ति में लगा हुआ है। अपनी इस खानापूर्ति को छुपाने के लिए लोहियानगर प्लांट को चारों तरफ से 25-25 फुट ऊंची शीट से कवर किया हुआ है लेकिन कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई अब शीट से भी ऊपर तक पहुंच गई है।

एनटीपीसी करेगा निस्तारण
ऐसे में इस कूड़े के पहाड़ को कम करने के लिए एनटीपीसी कूड़े का प्लांट लगाने के लिए तीन महीने पहले मेरठ पहुंची थी। फिर इसको लेकर गत माह एनटीपीसी के अधिकारी और निगम अधिकारियों के बीच नोएडा में बैठक हुई थी। इसके बाद तय किया गया था कि अब एनटीपीसी 300 करोड़ की लागत से कूड़ा प्लांट लगाया जाएगा, जिसमें 700 टन कूड़े का निस्तारण रोजाना होगा। इसके चलते के गांवड़ी, मंगतपुरम और लोहियानगर से कूड़े का निस्तारण होगा और उसे एनटीपीसी ही ले लेगी।

तीन प्रमुख डंपिंग ग्राउंड
गांवड़ी
लोहियानगर
मंगतपुरम

गांवड़ी में रहा सफल रहा था प्रयास
गांवड़ी में डंप कचरे के पहाड़ को खत्म करने के लिए निगम का प्रयास सफल साबित हुआ था। यहां 2020 से कचरे से पालीथिन-प्लास्टिक कचरा (आरडीएफ) व ईंट-पत्थर और कंपोस्ट को बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन से अलग-अलग कर मुंबई की शक्ति प्लास्टिक प्रतिमाह 500 टन और मेरठ की ब्रिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी प्रतिमाह 900 टन को आरडीएफ निगम ने बेच दिया था। इसके बाद से गांवड़ी प्लांट खाली पड़ा था। जहां शहर के फ्रे श कूड़े के कलेक्शन किया जा रहा है। इसके बाद यही योजना लोहियानगर में लागू करने का प्रयास किया गया था। जिसके तहत पूर्व नगर आयुक्त डॉ। अरविंद चौरसिया के कार्यकाल में वर्ष 2019 के अंतिम महीने में लोहियानगर में 15 टन प्रति घंटे का बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट स्थापित किया गया था। इस प्लांट को प्रतिदिन 10 घंटे प्लांट चलाकर 150 टन कचरे का सेग्रीगेशन किया तो जा रहा है लेकिन आरडीएफ बिक नहीं रहा है।

मंगतपुरम का कचरा है सिरदर्द
वहीं हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी मंगतपुरा में कूड़े का पहाड़ नहीं हट पा रहा है। लाखों टन कचरा यहां आबादी के बीच डंप है। बायोकैपिंग तकनीक का प्रयोग कर गत वर्ष इसे निस्तारित कर पार्क विकसित करने की योजना बनी थी। लेकिन शासन ने इसे मंजूरी नहीं दी। नतीजा, नगर निगम की 14वें वित्त आयोग की बैठक में बायोकैपिंग तकनीक के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया। अब इस कचरे को बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट लगाकर निस्तारित करने की योजना है। लेकिन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी नहीं मिल पा रही है।

फैक्ट्स पर एक नजर
1200 मीट्रिक टन औसतन ताजा कूड़ा प्रतिदिन शहर में हो रहा है उत्सर्जित।

7 साल पहले वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की कवायद हुई थी शुरू।

700 से 900 टन फ्रे श कूड़े का वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित होने से रोजाना होना था निस्तारण।

नगर निगम ने कूड़े से बायो सीएनजी गैस बनाने की बनी थी योजना।

इनका है कहना
कूड़े का पहाड़ केवल नगर निगम के लिए ही समस्या नहीं बना हुआ है। कूड़ा आसपास के क्षेत्र में रहने वालों लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन चुका है। यहां की हवा पूरी तरह दूषित हो चुकी है।
प्रिंस

लोहियानगर प्लांट के कारण पूरे लोहियानगर का विकास रूक गया है। आसपास लोग मकान बनवाने से कतराने लगे हैं। सिटी बस स्टेशन तक पर यात्री नहीं जाते हैं।
शरीफ अहमद

मंगतपुरम में खड़े कूड़े के पहाड़ के कारण साईंपुरम, ईहा गार्डन, सरस्वती लोक, माधवपुरम तक के लोग प्रभावित हैं। यहां गंदगी और बदबू ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है।
गौरव राजपूत

कूड़ा निस्तारण की समस्या पर लगातार काम चल रहा है। एनटीपीसी से इस संबंध में बात हो चुकी है जल्द काम शुरू कर दिया जाएगा।
प्रमोद कुमार, अपरनगरायुक्त