मेरठ (ब्यूरो)। पुराने शहर की गलियों से लेकर बाजारों मेें जलभराव का एक प्रमुख कारण शहर की सालों पुरानी सीवर लाइन भी है। स्थिति यह है कि शहर में 14 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) होने के बावजूद घरों से निकलने वाला सीवरेज नालों में बह रहा है। इससे ना सिर्फ नालों में गंदगी और सिल्ट बढ़ रही है बल्कि नाले बरसात में ओवरलोड हो जाते हैं। यदि सीवर लाइन शत-प्रतिशत चालू हो जाए तो घरों से निकलने वाला पानी सीधा एसटीपी तक पहुंचना शुरू हो जाए।

सालों से अधूरी सीवर लाइन
अमृत योजना के तहत जल निगम शहर में सीवर लाइन का काम करा रहा है। जल निगम इस योजना के तहत 1034 किमी की सीवर लाइन डालने का काम कर रहा है। इस योजना के पहले चरण के अंतर्गत 2015-16 में लगभग 120 करोड़ से 86.56 किमी। नई सीवर लाइन डालने का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था। जिसका 100 प्रतिशत काम पूरा होने के बाद वित्तीय वर्ष 2021-22 से अमृत 2.0 का प्रारंभ किया गया। जिसके तहत शहर को सीवर नेटवर्क से कवर करने के लिए 1034 किमी सीवर लाइन और बिछाने का काम शुरू किया गया था। वहीं अमृत योजना के पहले से शहर में सालों पुरानी लगभग 667 किमी। सीवर लाइन डली हुई है। लेकिन अधिकतर इलाकों में अभी तक यह सीवर लाइन कनेक्ट भी नहीं हो सकी है। इस कारण से बरसात के दौरान जलभराव के दौरान सीवर लाइन धराशाई हो जाती है।

378.50 मिलियन लीटर सीवेज रोजाना
सूत्रों की मानें तो शहर में 378.50 मिलियन लीटर सीवेज प्रतिदिन उत्पन्न होता है। इसमें से 366.91 एमएलडी नगर निगम क्षेत्र और 11.59 एमएलडी छावनी परिषद क्षेत्र में उत्पन्न होता है। इनके निस्तारण के लिए वर्तमान में 179 एमएलडी क्षमता के 14 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं लेकिन सरकारी सिस्टम की उदासीनता की वजह से इनका उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। ऐसे में बिना ट्रीट हुए सीवर का पानी नालों में बह रहा है। क्योंकि 2017 से अभी तक सीवर लाइन संचालन का जिम्मा लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। इसी का नतीजा है, कि शहर के नालों में 40 प्रतिशत गंदगी सीवर लाइन से आ रही है और यही गंदगी नालों को जाम करने का कारण बनती है, जो बरसात में जलभराव का प्रमुख कारण है।

ये है स्थिति
378 एमएलडी सीवेज निकलता है प्रतिदिन शहर में।
1034 किमी की सीवर लाइन डालने का काम होना है।
2200 करोड़ करीब रुपये खर्च होंगे इसके लिए।
120 करोड़ से 86.56 किमी। नई सीवर लाइन डालने की तैयारी है पहले चरण में।
वित्तीय वर्ष 2021-22 से अमृत 2.0 का प्रारंभ किया गया।
अमृत योजना के पहले से शहर में सालों पुरानी लगभग 667 किमी। सीवर लाइन डली हुई है।

यहां अभी सीवर लाइन का इंतजार
मलियाना, देवलोक कालोनी, सूर्या पैलेस, गगोल रोड से जुड़े मोहल्ले, पूर्वा इलाही बख्श, भगवतपुरा, जैन नगर, देवपुरी, शेरगढ़ी, कंकरखेड़ा, सोफीपुर, मोदीपुरम फेस दो, पल्हेड़ा, रोहटा रोड से जुड़े मोहल्ले, खड़ौली, हरिनगर, आदर्श नगर, सरधना रोड की कालोनियां, साईंपुरम आदि कालोनियों में सीवर लाइन का इंतजार है। बुनकर नगर, इस्लामाबाद, किदवई नगर।।।ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां सीवर लाइन होने के बावजूद जरा सी बारिश में पूरा क्षेत्र जलभराव से जूझता है।

इनका है कहना
हमारे क्षेत्र में सीवर तो बने हुए हैं लेकिन लाइन ही चालू नहीं है। इनमें कूड़ा भरा रहता है या मिट्टी भर गई है। ऐसे में बरसात का पानी निकलेगा कहां से।
डॉ। नफीस

हमारे क्षेत्र में सीवर लाइन भी बंद हैं और घरों के बाहर बनी नालियां भी जगह-जगह से जाम हैं। बरसात होते ही पानी निकलने की कोई जगह ही नहीं बचती है।
नरेश

सीवर लाइन तो हमारे क्षेत्र में डाल दी गई है लेकिन लाइन का कनेक्शन न होने के चलते अभी तक जलभराव की समस्या से निजात नहीं मिल पाया है।
रामेश्वर

सीवर लाइन प्रोजेक्ट तेजी से पूरा किया जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में सीवर लाइन अधूरी है, वहां गलियों से कनेक्टिंग पाइप का काम जारी है। जल्द अमृत योजना के तहत काम पूरा किया जाएगा।
अमित शर्मा, अधिशासी अभियंता