- रात में सो जाते हैं जागती सड़कों के पहरेदार

- खाली सड़क पर रफ ड्राइविंग से होती है अधिक दुर्घटनाएं

- रात में ओवर लोडिंग, अंधेरी रोड देती है हादसों को दावत

- सड़क किनारे सोते लोग भी होते हैं हादसों का शिकार

Meerut: शायद ऐसा कोई दिन गुजरता हो जब अपने सिटी की सड़क पर खून ना बहता हो। कारण कई हैं, लेकिन कभी किसी ने इस पर ध्यान देने का प्रयास नहीं किया। तीन जून को दिल्ली में हुए रोड एक्सीडेंट में केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत हो गई। इस घटना की वजह से पब्लिक के साथ सरकार का भी हादसों की बढ़ती संख्या और उसके कारण पर भी ध्यान गया। एक्सीडेंट रोकने के लिए सुधार के साथ जागरुकता अभियान चलाने की बातें शुरू हुई। आई नेक्स्ट ने भी इस गंभीर मामले की पड़ताल खुद सड़क पर उतर कर की और रात क्ख् से सुबह आठ बजे तक रोड का लाइव ऑपरेशन किया।

नाम के नियम

शहर में भारी वाहनों की एंट्री रात दस बजे के बाद का नियम है, लेकिन सिटी की किसी भी रोड पर शायद ही कभी दस बजने की इंतजार होता हो, इसके अलावा ओवर लोड की रफ्तार के मानक भी तय है, लेकिन यहां रफ्तार पर कंट्रोल नहीं होता। इसके अलावा रात में वाहनों की चेकिंग और उन पर लगाम के लिए पुलिस को सख्त आदेश है,्र लेकिन जब रात में पुलिस ही सड़क से गायब हो तो, बेलगाम वाहनों को रोकना किसके बस में है। रात के समय सिटी की तमाम मुख्य चेक पोस्ट और पुलिस चौकी खाली ही दिखाई दी।

सड़क पर खड़ी है मौत

पिछले दिनों वेस्ट यूपी में हुए रोड एक्सीडेंट की घटनाओं को देखते तो अधिकांश दुर्घटनाओं का कारण रोड के किनारे खडे़ वाहन बने। तेज रफ्तार वाहन इन खडे़ वाहनों से टकराए और गंभीर हादसे हुए। शुक्रवार की रात भी सिटी रोड पर कई भारी वाहन रोड पर खराब हालत में खड़े दिखे। जबकि इन वाहनों के पास चेतावनी के नाम पर कुछ नहीं दिखा। उधर, रोड पर खड़ी इस मौत के प्रति पुलिस भी लापरवाही ही दिखी।

बेलगाम ओवर लोड वाहन

रात के समय ओवर लोड वाहनों की बाढ़ शहर की सड़क पर आ जाती है। रात में शास्त्रीनगर से लेकर बेगमपुल और दिल्ली रोड पर ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कर ये वाहन दौड़ते दिखे। दिल्ली रोड पर तो ऐसे कई वाहनों के बीच आगे निकलने के लिए रेस भी होती दिखी। जबकि जागरण चौराहे से बेगमपुल तक पुलिस की कई चौकी और चेक पोस्ट है। लेकिन रोड पर रेस लगा रहे ओवर लोडिंग वाहनों को रोकने की जहमत किसी ने नहीं उठाई।

अंधेरी रोड पर बिखरी बजरी

आई नेक्स्ट की टीम को सिटी की कई रोड पर रात में अंधेरा मिला। अंधेरे में टूटी सड़क हमेशा हादसों का कारण बनती है। इसके अलावा तेजगढ़ी चौराहे के पास रोड पर बिखरी बजरी भी हादसों को न्यौता दे रही थी। टीम के सामने ही दो बाइक सवार फिसल गए। जबकि कई बड़े वाहन भी तेज बे्रक लगाने से अनियंत्रित होते होते बचे।

नींद में मौत का सामना

रोड के किनारे सोते लोगों के वाहनों से कुचलने की खबर आए दिन सुनने को मिलती है। शहर में भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी पुलिस या प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। शुक्रवार की रात भी दिल्ली रोड, बेगमपुल और शास्त्रीनगर की रोड पर कई जगह लोग रोड के किनारे सोते दिखे। सड़क के किनारे सोते लोगों को जगाने और उन्हें वहां से हटाया या इस तरह के जोखिम से आगाह करने के लिए कोई मौके पर नजर नहीं आया।

कहां हो रही है गश्त

रोड पर होने वाली दुर्घटनाओं को और आपराधिक वारदातों को देखते हुए शासन ने रात में हाईवे से लेकर लिंक रोड तक पर गश्त के निर्देश जारी किए हुए है। पुलिस के आला अधिकारी भी इसे लेकर खूब बड़ी बड़ी बातें करते रहते हैं। लेकिन रात में शहर की तमाम रोड पर टीम घूमी और जायजा लिया। लेकिन कही पर पुलिस के गश्ती दल से सामना नहीं हुआ।

खाली रोड पर अधिक हादसे

पीक आवर्स में शहर की अधिकांश रोड पर जाम रहता है, ऐसे में वाहनों की रफ्तार पर कम और नियंत्रण में होती है। दूसरी ओर, क्ख् से सुबह 8 बजे तक रोड पर ट्रैफिक काफी कम होता है। खाली रोड पर चालक भी वाहनों को बेलगाम होकर दौड़ाते है, नियम भी ताक पर होते है, नतीजा रोड एक्सीडेंट के रूप में सामने आता है।

सच का सामना कराते आंकड़े

अपने शहर में आए दिन होते रोड एक्सीडेंट की बात करें तो स्थिति काफी खराब है। इस साल मेरठ में क् जनवरी से फ्0 मई तक फ्ब्म् दुघर्टनाएं हो चुकी हैं। जिसमें ख्फ् लोगों की मौत और करीब फ्क्ख् लोग घायल हुए। जबकि भ्फ्ब् वाहन क्षतिग्रस्त हुए।