मेरठ (ब्यूरो). अंग्रेजी के विश्व प्रसिद्ध नाटककार विलियम शेक्सपियर ने भले ही कहा हो कि नाम में क्या रखा है, लेकिन सीसीएसयू के स्टूडेंट्स आजकल अपने नाम को लेकर बहुत परेशान हैं। परेशानी ये है कि यूजी और पीजी के परीक्षा फॉर्म में टेक्निकल फॉल्ट की वजह से नाम में एरर आ रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि फॉर्म में सुनिता की जगह पुनिता लिखा आ रहा है। हालांकि यूनिवर्सिटी बुधवार तक सॉफ्टवेयर के इस टेक्निकल फॉल्ट को दूर करा लेगी।
स और ल में आई दिक्कत
यूनिवर्सिटी में अधिकतर स और ल से शुरू होने वाले नाम में टेक्निकल दिक्कत आ रही है। ऐसे करीब 50 स्टूडेंट्स रजिस्ट्रार कार्यालय में अपनी शिकायत लेकर पहुंचे हैं। जहां से उन्हें नाम सही कराने के लिए कमरा नंबर 103 में भेजा जा रहा है।
साइबर कैफे से आई दिक्कत
यूनिवर्सिटी द्वारा इस समस्या के दो कारण बताए जा रहे हैं। इसमें पहला सॉफ्टवेयर में टेक्निकल फॉल्ट और दूसरा स्टूडेंट्स के साइबर कैफे पर डिपेंडेंसी माना जा रहा है। ज्यादातर स्टूडेंट्स साइबर कैफे पर परीक्षा फॉर्म भरवाने के लिए अपने डॉक्यूमेंट्स छोड़ देते हैं। जहां पर परीक्षा फॉर्म भरते समय ऑपरेटर द्वारा नाम में गलती करने से यह समस्या उत्पन्न हो रही है।
केस-1: सुनिता का नाम बीए के फॉर्म में गलती से पुनिता लिखा आ गया है। उन्होंने कमरा नंबर 102 में फार्म ठीक करवाने के लिए एप्लीकेशन दी है।
केस-2: बीएससी सेकेंड ईयर के स्टूडेंट अर्पित के पिता का नाम लेखचंद की जगह टेकचंद हो गया है। सुधार के लिए एप्लीकेशन दी है।
परीक्षा शुल्क को लेकर रजिस्ट्रार से मिले स्टूडेंट्स
विवि में इन दिनों परीक्षा शुल्क को समायोजित किए जाने का भी मामला खूब तूल पकड़ रहा है। इस मामले को लेकर बुधवार को छात्र नेता विनित चपराना एवं अंकित अधाना के नेतृत्व में स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रार से भी मुलाकात की। कहा कि वित्त समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि कोरोनाकाल में प्रमोट हुए जो स्टूडेंट्स अब परीक्षा शुल्क जमा कर चुके हैं। उनकी फीस समायोजित की जाएगी। लेकिन, यह अभी तक नहीं हो सका है। उन्होंने रजिस्ट्रार से कहा कि यह साढ़े चार लाख स्टूडेंट्स का मामला है। जल्द ही प्रमोट हुए स्टूडेंट्स की फीस को समायोजित किया जाना चाहिए।
प्राइवेट कॉलेज न वसूलें शुल्क
इस दौरान स्टूडेंट्स लीडर ने यह भी मुद्दा उठाया कि प्राइवेट कोर्स के स्टूडेंट्स से रजिस्टे्रशन के नाम पर लिए जाने वाले शुल्क के लिए कॉलेजों को अनुमति नहीं दी जाए। बल्कि यूनिवर्सिटी पहले की तरह स्वयं परीक्षा शुल्क जमा करे। नहीं तो कॉलेज अपने स्तर से अवैध वसूली करेंगे।
कैंटीन का उठाया मुद्दा
तीन सालों से यूनिवर्सिटी परिसर में कैंटीन बंद पड़ी है। जिसके चलते स्टूडेंट्स को खाने के सामान के लिए बाहर जाना पड़ता है। परिसर से दूर जाने से उनकी पढ़ाई व समय खराब होता है। इसलिए उनकी सुविधाओं के लिए कैंटीन खोलने का भी मुद्दा उठाया है।
कोट्स
परीक्षा फॉर्म में मेरे पिताजी के नाम में दिक्कत आई है। सुधार के लिए यूनिवर्सिटी में एप्लीकेशन दी है।
अरुण
यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के नाम में दिक्कत आ रही हैं। मेरे नाम में भी दिक्कत आई थी। यूनिवर्सिटी ने सुधार के लिए कहा है।
पवन
मेरा परीक्षा शुल्क वापस नहीं हुआ है। न ही समायोजित किया गया है। जबकि प्रमोट करने के बाद शुल्क समायोजित करने को कहा गया था।
पूर्ति
समय की शॉर्टेज के चलते कई बार कैंटीन से खाना खाने के लिए गए। लेकिन, कैंटीन बंद मिली। मजबूरी में यूनिवर्सिटी से बाहर खाना खाने जाना पड़ा। इससे समय की बर्बादी होती है।
वैभव
वर्जन
अधिकतर स्टूडेंट्स साइबर कैफे पर डिपेंड रहते हैं। इसके चलते ही इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि सॉफ्टवेयर में भी टेक्निकल फॉल्ट था। जिसे बुधवार तक सही करा दिया जाएगा।
धीरेंद्र कुमार, रजिस्ट्रार, सीसीएसयू