आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है भड़रिया नवमी
इस दिन बिना कोई पंचांग शुद्धि देखे विवाह संपन्न होते हैं
Meerut। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़रिया नवमी मनाई जाती है। विद्वानों के मुताबिक देवशयनी एकादशी से पहले का यह आखिरी शुभ मुहूर्त होता है। इस दिन बिना कोई पंचांग शुद्धि देखे विवाह संपन्न होते हैं। यह आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि का अंतिम दिन भी होता है। इसलिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है, जो लोग विवाह आदि शुभ कार्यो के लिए चार माह चातुर्मास की प्रतीक्षा नहीं कर सकते, वे इस दिन विवाह आदि सम्पन्न करते हैं।
बनता है शुभ मुहूर्त
इस वर्ष भड़रिया नवमी 29 जून 2020 सोमवार को है। ज्योतिष के अनुसार वर्ष में कुछ ऐसे मुहूर्त होते हैं, जिनमें किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हें अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। ये खास दिन हैं वसंत पंचमी, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की दूज फुलेरा दूज, राम नवमी, जानकी नवमी, वैशाख पूíणमा, गंगा दशमी, भड़ली नवमी, अक्षय तृतीया.भड़रिया नवमी महत्वपूर्ण इसलिए मानी गई है।
ये है योग
ज्योतिष भारतज्ञान भूषण के अनुसार भड़रिया नवमी का प्रारम्भ मिथुन लग्न के आद्रा नक्षत्र में हैं। जहां राहु व सूर्य, वक्रीय बुध विराजे हैं तथा केंद्र में बुधादित्य योग भी निíमत हो रहा है। ज्योतिष भारत ज्ञान भूषण के अनुसार नया कार्य शुरु करने, शुभ कार्य नया सीखने के लिए बुध की होरा में अत्यंत शुभ योग है।
नए कार्य शुरु करने का मुहूर्त
प्रात- 5.26 से 7.11 अमृत योग
प्रात- 8.55 से 10.40 शुभ योग
दोपहर - 11.56 से 12.52 अभिजीत योग
दोपहर- 12.24 से 1.34 बुध होरा योग
अपरान्ह- 3.54 से 7.23 लाभामृत योग
रात्रि- 10.30 से 12 लाभ योग
विष्णु की करें आराधना
पं। चिंतामणि जोशी के अनुसार भड़रिया नवमी भगवान लक्ष्मीनारायण को समíपत है।
शयन काल में जाने से पूर्व भगवान लक्ष्मीनारायण अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर जाते हैं।
इस दिन भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा का विधान है।
इस दिन व्रत रखकर शाम के समय भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा की जाती है।
चातुर्मास शुरू होने से दो दिन पूर्व इस दिन उत्सव मनाया जाता है।
चातुर्मास में संयम, नियम धर्म से रहते हुए भगवान विष्णु की निरंतर आराधना का संकल्प भी लिया जाता है।