मेरठ (ब्यूरो)। इस बार साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगने वाला है। सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, परंतु ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य मेष राशि में होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन वैशाख माह की अमावस्या तिथि भी है। ज्योतिष गणना के अनुसार एक ही दिन में 3 सूर्य ग्रहण दिखाई देंगे। इस सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिकों ने हाइब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम दिया है। इस दुर्लभ खगोलीय घटना को 100 साल बाद देखा जाएगा।
साल का पहला ग्रहण
यह हाइब्रिड ग्रहण ऑस्टे्रलिया, पूर्वी तिमोर और इंडोनेशिया के मनोक्वारी वाले हिस्सों में दिखाई देगा। इक्लिप्स टास्क फोर्स के गतिविधि प्रभारी सदस्य फानांडा बोर्जेस ने दुनियाभर से जुट रहे युवाओं को ग्रहण के दौरान की जाने वाली गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जो मेरठ के जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक दीपक शर्मा द्वारा दिया जाएगा। इसके लिए भारत से दीपक शर्मा को आमंत्रित किया गया है। दीपक शर्मा ने बताया कि गुरुवार को 20 अप्रैल को यह साल का पहला ग्रहण लगेगा जो बेहद अद्भुत होगा।
क्या है हाईब्रिड सूर्य ग्रहण
हाईब्रिड सूर्य ग्रहण वह होता है, जिसमें सूर्य ग्रहण आंशिक पूर्ण और कुंडलाकार का मिश्रण होता है। ऐसा ग्रहण 100 साल में एक बार ही लगता है। इसमें सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा की धरती से न तो ज्यादा दूरी होती है और न ही कम। इस अद्भाुत सूर्य ग्रहण में कुछ सेकेंड के लिए एक कंगन या वृत की परिधि जैसी आकृति बनती है। इसके अग्नि का वलय या रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण का समय भारत के अनुसार
सूर्य ग्रहण गुरुवार 20 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 4 पर लगेगा और दोपहर 12 बजकर 29 पर समाप्त हो जाएगा। ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट होगी।
तीन दुलर्भ सूर्य ग्रहण
साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण बहुत ही खास और दुर्लभ होगा। इसमें एक ही दिन में तीन सूर्य ग्रहण दिखाई देंगे। यानी सूर्य ग्रहण को तीन रूपों आंशिक पूर्ण और कुंडलाकार में देखा जा सकेगा।
जरा समझ लें
आंशिक सूर्य ग्रहण
चंद्रमा जब सूर्य के किसी छोटे हिस्से के सामने आकर उसे रोकता है तो इसे इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
कुंडलाकार सूर्य ग्रहण
चंद्रमा जब सूर्य के ठीक सामने बीच में आकर उसके रोशनी को रोक देता है तो सूर्य के चारों तरफ एक चमकदार रोशनी का गोला होता है। इसे कुंडलाकार सूर्य ग्रहण या अग्नि का वलय भी कहा जाता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण
पृथ्वी सूर्य व चंद्रमा जब एक सीधी रेखा में आ जाते हैैं। तब पृथ्वी के एक भाग में पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है और इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।