मेरठ (ब्यूरो)। अगर आप मौसम की खबरों में रुचि रखते हैं तो अपडेट खबर यह है कि वेस्ट यूपी में इस बार गर्मी तकरीबन महीनेभर लेट हो गई है। यह हम सबके लिए अच्छा है। इससे होगा यह कि इस बार गेहूं की पैदावार बढ़ेगी। गन्ना और सब्जियों की फसल को भी फायदा पहुंचेगा। एक बात और, आपकी बिजली का बिल भी थोड़ा कम आएगा।

सक्रिय हुआ पश्चिमी विक्षोभ
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार पश्चिमी विक्षोभ अधिक बार और मजबूती के साथ सक्रिय रहा है। वहीं बारिश अधिक होने व बर्फीली हवाओं के अधिक चलने से मौसम में ठंडक बनी है। ऐसे में तापमान में उछाल आने में एक माह की देरी हुई है।

20 साल में बाद हुआ ऐसा
पश्चिमी विक्षोभ अधिक होने की वजह से मेरठ में हवा की रफ्तार भी एवरेज 30 किमी प्रति घंटे की रही है। जबकि दिसंबर लास्ट से जनवरी में दोगुनी रफ्तार से चली। जो 70 से 80 के बीच रही। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार दिसंबर से जनवरी तक अभी तक आठ बार पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो चुका है, जबकि इससे पहले ऐसा 20 साल पहले हुआ था। वहीं अगर सामान्य सालों की बात करें तो केवल दो या तीन बार ही पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है। अधिक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहने का कारण हवा की रफ्तार का दोगुना से अधिक होना ही बताया जा रहा है। वहीं आसपास के इलाकों में मवाना, बागपत, सरधना आदि देहाती इलाकों में भी तेज हवा के साथ शुरू हुई बारिश से तापमान में गिरावट आती रही। बर्फीली ठंड के कारण जलवायु परिवर्तन हो गया। ऐसे में इस बार ठंड अधिक रही।

ओलावृष्टि से कंपकंपी छूटी
मौसम विभाग के अनुसार हवाओं के साथ ही शहरभर में बारिश हुई। तीन फरवरी को वेस्ट यूपी के कुछ हिस्सों में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई। इससे ठिठुरन बढ़ गई थी। 15 व 16 जनवरी दो दिनों में पांच डिग्री तापमान तक की गिरावट आई। वहीं तीन, चार व पांच फरवरी को तीन दिनों तक लगातार बारिश हुई। इस साल बात करें तो 200 एमएम बारिश दिसंबर से पांच फरवरी तक हुई है। इनमें 22 जनवरी तक 112 एमएम बारिश हुई थी। इसके बाद बाकी 88.2 एमएम बारिश हुई। जबकि 43 साल पहले 174.2 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई थी।

मैदानी इलाकों रहा दबाव
मौसम वैज्ञानिक उदय प्रताप शाही ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ अधिक बनने की वजह से मैदानी इलाकों में दवाब अधिक रहा। क्योंकि पश्चिमी विक्षोभ आठ बार लगातार सक्रिय हुआ। इसके चलते तापमान में गिरावट होती रही। मौसम वैज्ञानिक शाही के अनुसार अबसे पहले जनवरी 14 से ही तापमान अधिक हो जाता था। इसबार रिकॉर्ड टूटने की वजह से एक महीने बाद फरवरी 12 के बाद तापमान अधिक होना शुरू हुआ है।

गेहूं के लिए संजीवनी गर्मी
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी देर से पडऩे के कारण रबी की फसल को काफी फायदा होगा। वहीं सरसों व अधिकतर सब्जियों के लिए ये मौसम फायदेमंद है। इससे गेहूं की पैदावार बढ़ेगी। वहीं आने वाले मौसम में गन्ने की फसल को भी काफी फायदा होगा। बारिश से जो नुकसान हुआ है। उसकी भरपाई हो जाएगी।

वर्जन
बारिश के कारण खेती-किसानी को भी नुकसान हुआ है। गन्ने के खेत में पानी भरने से छिलाई प्रभावित हुई है। इससे गन्ना क्रय केंद्रों व चीनी मिलों तक नहीं पहुंच सका। सामान्य तौर पर चीनी मिलों में प्रतिदिन की जाने वाली गन्ना पेराई भी अपनी पूरी क्षमता के साथ नहीं की जा सकी। गेहूं की फसल को फायदा हुआ है।
-डॉ। उदय प्रताप शाही, ग्रामीण कृषि मौसम सेवा नोडल अधिकारी, कृषि विवि मोदीपुरम