मेरठ (ब्यूरो). इस बार चैत्र नवरात्र दो अप्रैल दिन शनिवार से शुरू हो रहे हैं। मां की आराधना के लिए भक्तों को पूरा वक्त मिलेगा, क्योंकि अबकी बार नवरात्र पूरे नौ दिनों के हैं। विल्वेश्वर नाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ। दिनेशदत्त शर्मा ने पौराणिक ग्रंथों का उल्लेख करते हुए बताया कि चैत्र नवरात्र के दिन मां आदिशक्ति प्रकट हुई थीं और ब्रह्मा जी के आग्रह पर सृष्टि का निर्माण किया था। इसी के चलते नवरात्रों का काफी महत्व माना जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
-चैत्र नवरात्र आरंभ: 02 अप्रैल
-नवरात्र समाप्त: 10 अप्रैल
-प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 01 अप्रैल
सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर
-प्रतिपदा तिथि समाप्त: 02 अप्रैल
सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर
-घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:02 अप्रैल
सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक
वाहनों का है बड़ा महत्व
नवरात्र में हर बार मां नए वाहन पर सवार होकर आती हैं और नए वाहन पर ही देवलोक को प्रस्थान करती हैं। देवी का आगमन किस वाहन पर हो रहा है, यह दिनों के आधार पर तय होता है। सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार या मंगलवार को नवरात्र की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा माना जाता है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं। बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं।
मेष और कुंभ के लिए शुभ
चैत्र नवरात्र में शनि और मंगल ग्रह का मकर राशि में गोचर होने जा रहा है। इन दोनों ग्रहों को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। जहां एक ओर ग्रहों का यह गोचर कुछ राशियों के लिए अशुभ साबित होगा। वहीं, मेष व कुंभ राशि वालों के लिए यह गोचर काफी शुभ साबित होगा।
मां को प्रिय है लाल रंग
ज्योतिष भारतज्ञान भूषण ने बताया कि देवी मां को लाल रंग विशेष पसंद है। लाल फूल से लेकर लाल वस्त्र, सिंदूर, मौली या कलावा उन्हें अतिप्रिय होते हैं। हालांकि नौ दिनों में देवियों के हर स्वरूप के लिए अलग रंग का विधान है। लेकिन, अगर आप केवल लाल रंग के कपड़े पहनकर भी पूजा करते हैं तो मां जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। इसलिए पूजा के दौरान लाल रंग केकपड़ों का खास महत्व होता है।
मां दुर्गा के नौ स्वरूप
पहले दिन-मां शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। ये राजा हिमालय यानि शैल की पुत्री हैं। इसी कारण इनको शैलपुत्री बोला जाता है।
दूसरा दिन-मां ब्रह्मïचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी यानि तप का आचरण करने वाली हैं। शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया था, इसलिए इनको ब्रह्मचारिणी कहते हैं।
तीसरा दिन-मां चंद्रघंटा
मान्यता है कि मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों की शक्तियां समाहित हैं। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है। इसी कारण ये चंद्रघंटा कहलाती हैं।
चौथा दिन-मां कुष्मांडा
नवरात्र के चौथे दिन कुष्मांडा माता की पूजा का विधान है। इनकी मंद हंसी से ही ब्रह्मांड का निर्माण होने के कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।
पांचवां दिन-मां स्कंदमाता
नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। ये अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिए हुए हैं और कार्तिकेय का एक नाम स्कंद है। इसलिए उनको स्कंदमाता कहते हैं।
छठा दिन-मां कात्यायनी
मां कात्यायनी ने कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसी कारण इनको मां कात्यायनी कहते हैं।
सातवां दिन-कालरात्रि मां
नवरात्र में सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि का पूजना किया जाता है। इनका स्वरूप देखने में प्रचंड है, लेकिन ये अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं। इसलिए इन्हें शुभकारी भी कहा जाता है।
आठवां दिन-महागौरी माता
दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी का पूजन होता है। पौराणिक कथानुसार इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। जिसके कारण इनका शरीर काला पड़ गया। लेकिन, तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया, इसलिए ये महागौरी कहलाई।
नौवां दिन-मां सिद्धीदात्री
मां दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामथ्र्य उसमें आ जाती है।