मेरठ (ब्यूरो)। नए शैक्षिक सत्र में डीबीटी का पैसा भेजने के लिए शासन ने बदलाव किया है। अब उन्हीं सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों को यूनिफार्म, जूता, मोजा, स्कूल बैग आदि का पैसा डीबीटी के रूप में दिया जाएगा। जिन्होंने सत्र 2021-22 में पैसे का सामान खरीदने में सही यूज किया हो। इस संबंध में शासन ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे बच्चों का डाटा भेजे हैं जो स्कूलों में प्रॉपर यूनिफॉर्म में आ रहे हैं। लेकिन, डाटा भेजने में स्कूलों की रुचि दिखाई नहीं दे रही है। 14 सौ स्कूलों में से केवल 400 सौ स्कूलों ने ही अभी तक डाटा उपलब्ध कराया है।
बीएसए ने की सख्ती
मेरठ में 14 सौ बेसिक शिक्षा स्कूल हैं। इनमें 900 जूनियर व बाकी के उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें करीब पौने दो लाख बच्चे पढ़ते हैं। जिनका डाटा मांगा गया है पर अभी तक केवल चार सौ स्कूलों ने ही डाटा दिया है। इनमें 130 जूनियर स्कूल हैं। बाकी के उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बच्चे हैं। अभी तक करीब 15 हजार बच्चों का ही डाटा पहुंचा है। ऐसे में बीएसए ने बाकी स्कूलों पर सख्ती बरतते हुए इस संबंध में जल्द डाटा देने को कहा है।
मिल रही थीं शिकायतें
शासन के पास ऐसी शिकायतें पहुंच रही हैं कि पेरेंट्स खाते में आने वाले पैसे का यूज कहीं और कर रहे हैं। जिसके चलते या तो बच्चा स्कूल में घर के ही कपड़े पहनकर पहुंच रहा है या फिर वो स्कूल कम आ रहा है। स्कूलों में अनुशासन बनाए रखने के लिए डे्रस, कॉपी, बैग, जूते सभी चीजें अनिवार्य हैं। ताकि बच्चों को अनुशासित किया जा सके। पैसों का दूसरी जगह प्रयोग कर बच्चों को पेरेंट्स इससे अछूता कर रहे हैं। इसे देखते हुए ही शासन ने पैसा भेजने के मामले में बदलाव किया है।
मिलेंगे 1100 रुपए
डीबीटी केतहत 1100 रुपए की धनराशि अभिभावकों के खाते में भेजी जाएगी। प्रदेश में 1.85 करोड़ बच्चों को इसका लाभ मिलेगा। इस बार विचार किया जा रहा है कि पुराने उन्हीं विद्यार्थियों को धनराशि दी जाए, जिन्होंने पिछले सत्र में सभी सामान खरीदा हो। ये प्रधानाध्यापक सुनिश्चित करेंगे और प्रमाण स्वरूप पूरी यूनिफार्म, जूता-मोजा, स्वेटर पहने और स्कूल बैग लिए विद्यार्थी की फोटो मोबाइल एप के माध्यम से अपलोड करेंगे। इस संबंध में सभी बीएसए को निर्देश दिए हैं कि वो स्कूलों में नामांकित सभी नए विद्यार्थियों का नाम प्रेरणा पोर्टल पर पंजीकृत कराएं। पुराने बच्चों का भी नए सिरे से नवीनीकरण सुनिश्चित करें।
वर्जन
इसका डाटा स्कूलों से मांगा जा रहा है। अभी तक 400 स्कूल ही डाटा दे पाए हैं। जिन्होंने नहीं दिया है, उन्हें दोबारा बोला गया है। शासन के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
योगेंद्र कुमार, बीएसए