मेरठ (ब्यूरो)। जागृति विहार एक्सटेंशन योजना को विकसित करने के लिए साल 2010 से पहले सरायकाजी और काजीपुर की दर एक-एक हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर, कमालपुर की 800 रुपये, घोसीपुर की 600 रुपये प्रति वर्ग मीटर दर पर जमीन ली गई थी। जून 2014 को 228वीं बोर्ड बैठक में सभी ग्रामों की किसानों को 100 रुपये बढ़ाते हुए अनुग्रह राशि देने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद से किसानों ने भी बढी हुई राशि के हिसाब से मुआवजे की मांग शुरु कर दी। इस मुआवजे की मांग को लेकर गत वर्ष 13 जुलाई से किसान जागृति विहार एक्सटेंशन में ही धरने पर बैठे हुए हैं और किसी प्रकार का ना तो विकास कार्य होने दिया जा रहा है और न ही किसी आवंटी को अपनी जमीन पर कब्जा लेने दे रहे हैं।
125 करोड़ का विवाद
इसको लेकर गत वर्ष दिसंबर माह में भूखंड आवंटन के दौरान किसानों के हंगामे के बाद से भूखंडों का आवंटन रूक गया था। आवास विकास ने इस साल की शुरुआत मं जनवरी माह के अंत तक आवास विकास को किसानों को 125 करोड़ रुपए का मुआवजा देकर विवाद निपटाने का आश्वासन दिया था। लेकिन चुनाव अचार संहिता के लगते ही किसानों का भुगतान भी अटक गया था जिसके अभी तक निपटाया नहीं जा सका है।
फैक्ट्स
2014 में बढ़े प्रतिकर के साथ शुरू हुआ विवाद।
अब 125 करोड़ रुपए प्रतिकर देना होगा।
2016 से अधर में जागृति विहार एक्सटेंशन योजना संख्या 11.
जागृति विहार एक्सटेंशन योजना में सरायकाजी, काजीपुर, कमालपुर, घोसीपुर गांव के किसानों की जमीन।
बढ़े प्रतिकार की मांग को लेकर 13 जुलाई 2021 से धरने पर बैठे किसान।
आवास विकास के रिकार्ड के अनुसार एक्सटेंशन की जमीन का रेट 24050 प्रति वर्ग मीटर तय है।
मुआवजा दिए जाने के बाद तय रेट में 3159.45 प्रति वर्ग मीटर की दर से होगा इजाफा।
एक्सटेंशन में जमीन का रेट 27210 रुपये प्रति वर्ग मीटर नई दर से भूखंडों का होगा आवंटन होगा।
इस संबंध में मुख्यालय से किसानों को भूखंड पर निर्णय लिया जा चुका है। जल्द किसानों को उनके भूखंड का आवंटन कर विवाद को खत्म कर दिया जाएगा।
राजीव कुमार, अधीक्षण अभियंता
क्या कहते हैैं आवंटी
जो जमीन आवास विकास ने हमेें अलॉट की है वह विवादित थी। जमीन का पैसा देने के बाद भी कब्जा नहीं ले पा रहे हैं। अलॉट हो चुकी जमीनों पर किसानों के ट्रैक्टर चल रहे हैं। इनमें कई बड़े स्कूलों की जमीन भी शामिल है, जो आवास विकास ने बेच भी दी है।
सुशील पटेल, आवंटी
दिसंबर माह में आवंटन हुआ था, छह माह से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन हम लोग अपनी ही जमीन पर कब्जा नहीं ले पा रहे हैं। अधिकतर आवंटियों पर दोहरी मार पड़ रही है। आवास विकास को किस्त भी दे रहे हैं और किराए के मकान का किराया भी भर रहे हैं।
भूपेंद्र सिंह, आवंटी
जो भवन आवंटित हुए हैं उनमें लगातार चोरी हो रही है। जो जमीन आवंटित हुई है वहां पर अभी तक किसान अपनी फसल बो रहे हैं। कुल मिलाकर आवास विकास और किसानों के विवाद के बीच आम आवंटी बुरी तरह पीस रहा है।
राहुल सक्सेना, आवंटी