मेरठ (ब्यूरो)। डेंगू के सीजन की शुरुआत हो चुकी है। एक बार फिर इसे मुनाफे का सीजन मानने वाले स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोग कमाई करने में जुट गए हैं। डेंगू के सीजन में सबसे ज्यादा मनमानी पैथोलाजी सेंटर्स की ओर से की जाती है। जहां जांच के नाम पर मरीजों से मनमानी वसूली की जाती है। लैब से डाक्टरों के कमीशन की सेटिंग के चलते मरीजों को जबरन जांचे करानी पड़ती है। जो जांच जरुरी भी नही है वह कराई जाती है। हालत यह रहती है कि बुखार का नाम सुनते ही चिकित्सकों द्वारा सबसे पहले एलाइजा की जांच और प्लेटलेटस की डिमांड लिख दी जाती है। ऐसे पूरे खेल में मनमाने ढंग से पैथोलाजी द्वारा जांच के नाम पर अवैध वसूली की जाती है।

जांच के नाम पर खेल
गौरतलब है कि डेंगू बुखार का मरीज पहुंचते ही डाक्टरों द्वारा एलाइजा, नॉन एनएबीएच, रैपिड टेस्ट, एनएस 1 और सीआरपी जांच कराने की सलाह भी दी जाती है। इतना ही नही शुगर के मरीजों को डायबिटीज की फास्टिग और पीपी जांच के लिए भी लिखा जाता है। एक मरीज को ये जांचें दो से ढाई हजार रुपये में पड़ती हैं। जबकि इनके सामान्य रेट बमुश्किल एक हजार रुपये ही हैं। ऐसे में इस पूरे खले में मरीजों से खुलेआम लूट की जाती है।

डेंगू टेस्ट के रेट्स पर एक नजर
डेंगू रैपिड टेस्ट (एनएस-1) - 800
डेंगू रैपिड टेस्ट (एनएस-1+आईजीजी+आईजीएम कांबो) - 1200

40 फीसद फिक्स है कमीशन
निजी चिकित्सक डेंगू के दौरान पैथोलाजी से मोटा मुनाफा कमाने की होड़ में जुटे हैं। सभी मरीजों को प्राइवेट पैथोलाजी में भेजा जाता है। डाक्टरों और पैथोलाजी संचालकों की सेटिग होती है। एक मरीज पर पैथोलाजी संचालकों द्वारा रेफर करने वाले डाक्टर को मरीज से वसूली गई फीस का 20 से 40 प्रतिशत हिस्सा पहुंचा दिया जाता है।

प्लेटलेट्स काउंट में भी खेल
डेंगू के दौरान डॉक्टर बुखार का इलाज प्लेटलेट्स काउंट के आधार पर करते हैं। जहां प्लेटलेटस काउंट सही भी है वहां डराकर प्लेटलेटस की डिमांड लिख दी जाती है। जो मरीज पूरी तरह से स्वस्थ दिखते हैं। उनका भी काउंटर 35 हजार से 40 हजार के बीच दर्शाया जाता है। इतना ही नहीं, एक ही मरीज के सैंपल की दो अलग -अलग लैब रिपोर्ट में भी बड़ा अंतर दिखता है।

तीन से चार गुना बढ़ी डिमांड
हर साल डेंगू के मरीजों की अत्याधिक संख्या बढऩे पर ब्लड व प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ जाती है। ऐसे में खून की कालाबाजारी भी शुरु हो जाती है। पिछले साल भी प्लेटलेट्स की मांग तीन से पांच गुना तक बढ़ गई थी। सामान्य दिनों में जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से रोजाना औसतन दो से तीन यूनिट तक प्लेटलेट्स की मांग हुआ करती है वही डेंगू के दौरान यह डिमांड 8 से 12 यूनिट तक पहुंच जाती है। जबकि मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक की बात करें तो आम दिन में जहां 6 से 7 यूनिट ब्लड की डिमांड रहती है जो कि डेंगूु के कारण अब बढ़कर 10 से 15 यूनिट तक प्रति दिन तक पहुंच जाती है।

दलालों का नेटवर्क
डेंगू के सीजन में मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में दलालों का नेटवर्क एक्टिव हो जाता है। यहां इमरजेंसी में बुखार से पीडि़त जिन मरीजों की हालत गंभीर होती है, दलाल उनके तीमारदारों को बहलाकर शहर के प्राइवेट लैब और नर्सिग होम्स तक में ले जाते हैं। मरीज के भर्ती होते ही दलालों को मरीज की जांच के कमीशन से लेकर मरीज रैफर करने तक का 500 से 800 रुपये कमीशन दिया जाता है। कमीशन के इस कारोबार में मरीजों की जिंदगी दाव पर लगाई जा रही है।

इन लक्षणों का ध्यान रखें
अगर व्यक्ति को तेज बुखार, जोड़ों में तेज दर्द और शरीर पर रैशेज दिखाई दें तो तुरंत उसे डेंगू का टेस्ट करवा लेना चाहिए।

डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है।

इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है।

यह टेस्ट करीब 800 से 1200 रुपये में होता है।

अगर बुखार के तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) कराना बेहतर है।

डेंगू की जांच कराते हुए वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट करा लेना चाहिए।

इस टेस्ट में प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है।

डेंगू होने पर बरतें सावधानियां
ठंडा पानी पीने से बचें। इसके अलावा मैदा और बासी खाना भी न खाएं।

खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।

इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी खाने से बचें।

हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।

पूरी नींद लें, खूब पानी पिएं और पानी को उबालकर पीएं।

मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।

खूब पानी पीएं, छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।

डेंगू की जांच की सभी सुविधाएं मेडिकल कालेज लैब में उपलब्ध है। इसके अलावा सभी प्राइवेट लैब्स से जांच के रेट फिक्स हैं। यदि कोई लैब अधिक रेट वसूलती है तो उसका लाइसेंस निरस्त किया जाता है।
डॉ। अखिलेश मोहन, सीएमओ