मेरठ (ब्यूरो)। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की खूबसूरती बढ़ाने और प्रदूषण को कम करने के लिए कॉरिडोर में देसी और विदेशी प्रजातियों के पौधों का रोपण किया जा रहा है। ये रंग-बिरंगे पौधे न केवल खुशबू देने के साथ कॉरिडोर की खूबसूरती बढ़ाएंगे बल्कि कॉरिडोर के आसपास पर्यावरण में मौजूद पॉल्यूशन को सोखने का काम भी बाखूबी करेंगे।
कॉरिडोर में पौधरोपण शुरू
आरआरटीएस कॉरिडोर पर जहां तक काम पूरा किया जा चुका है वहां बेरिकेडिंग हटाकर बीच डिवाइडर में रंग-बिरंगे और खुशबूदार फूलों का रोपण किया जा रहा है। इनमें टिकोमा और बोगेनवेलिया प्रजाति के पौधों की संख्या अधिक है। दरअसल, ये दोनो पौधे सालभर सदाबहार रहते हैं और कई औषधीय गुणों से भरे हुए हैं।
टिकोमा
टिकोमा का पौधा अमेरिकी वर्जिन द्वीप समूह का आधिकारिक फूल है। दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में इस पौधे की खेती की जाती है। यह कैलिफोर्निया, न्यू मैक्सिको, टेक्सास और फ्लोरिडा में पाया जाता है। टिकोमा को चमकीले पीले ट्रम्पेट के आकार वाले फूलों के लिए जाना जाता है। फूलों के गुच्छे सुगंधित होते होने के साथ ही मधुमक्खियों, तितलियों और चिडिय़ों को आकर्षित करते हैं। साथ ही इनकी बड़ी खासियत यह है कि इन पर सालभर फूल आता रहता है। वहीं मेक्सिको में इस पौधे की जड़ों का उपयोग बीयर का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। भारत में लोग टिकोमा के पौधे की लकड़ी से धनुष बनाते हैैं।
बोगेनवेलिया
यह पौधा ब्राजील से पश्चिमी पेरू, दक्षिणी अर्जेंटीना और अमेरिका में पाया जाता है। पूरी दुनिया ने इस पौधे की 20 प्रजाति पाई जाती है, जिसे लगभग 300 से ज्यादा किस्म के पौधे देखने को मिलते हैं। यह किसी भी प्रकार के मिट्टी और जलवायु में जिंदा रह सकते हैं। इसके पौधे पर भी 12 महीने फूल आते हैैं। ये पौधे वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्वों को सोख लेते हैं। साथ ही बोगेनवेलिया के फूल देखने में आकर्षक होते हैैं। इसके बहुत सारे एलोपैथिक एवं आयुर्वेदिक इलाज सामने आए हैं। यह पौधा आयुर्वेद मे खांसी, दमा, पेचिश, पेट या फेफड़ों के तकलीफ आदि को दूर करने के लिए भी उपयोग में लाए जाते हैैं।
नीम, पीपल व बरगद भी
पूरे कॉरिडोर पर विदेशी पौधों के साथ-साथ अपने देसी पूजनीय पौधे नीम, पीपल और बरगद का पौधरोपण किया जा रहा है। इन पौधों से कॉरिडोर के आसपास ऑक्सीजन के लेवल में बढ़ोतरी होने के साथ ही ये खतरनाक कार्बन डाई आक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड को नियंत्रित करने का काम भी करेंगे।
आरआरटीएस कॉरिडोर में देसी और विदेशी पौधों का रोपण वातावरण और खूबसूरती दोनों ही लिहाज से फायदेमंद साबित होगा।
संचित गुप्ता
नीम, बरगद, पीपल अपने आप में पर्यावरण के लिए वरदान हैं। इनसे प्रदूषण पर लगाम लगेगी और रैपिड कॉरिडोर की सुंदरता में इजाफा भी होगा।
विभोर जैन
विदेशी पौधों की जो प्रजातियों आरआरटीएस कॉरिडोर में लगाई जा रही हैैं वो न केवल कॉरिडोर की सुंदरता बढ़ाएंगे बल्कि पॉल्यूशन को भी कंट्रोल करेंगे।
अंकुर बंसल
रैपिड रेल के कॉरिडोर में लगाए जाने वाले देसी और विदेशी पौधों की देखभाल भी उतनी ही जरूरी है, जितना इन्हें लगाया जाना। अच्छा प्रयास है।
प्रिंस