मेरठ (ब्यूरो)। जलभराव शहर की वो समस्या है, जिससे नगर निगम के अलावा हर शहरवासी त्रस्त है। ऐसा नहीं है कि नगर निगम ने इससे बचाव के इंतजाम नहीं किए हुए हैैं, बचाव के संसाधन भी हैैं और कर्मचारी भी, बस नहीं है तो प्लानिंग। जिसके चलते हर साल निगम के दावों के बावजूद हल्की से बरसात में शहर डूबने लगता है। ये हाल तब है, जब निगम को ये जानकारी है कि बरसात के बाद शहर के किन-किन इलाकों में जलभराव होगा। बावजूद इसके जलभराव से निपटने के लिए लिए निगम की व्यवस्था सिर्फ नाला सफाई तक सीमित रहती है।

हर साल दावा फेल
गौरतलब है कि निगम के पास करीब 40 करोड़ रुपये कीमत के ऐसे संसाधन मौजूद हैं, जो नालों की सफाई से लेकर सीवरेज की साफ सफाई और सिल्ट निकालने के काम आते हैं। बावजूद इसके बरसात के बाद बार-बार शहर के लोगो को घंटों तक जलभराव से जूझना पड़ता है। कई इलाकों में तो 24 घंटे तक जलभराव के बाद भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है। पानी कम होने के बाद नालों की गंदगी सड़क से लेकर गलियों तक फैल जाती है। जबकि निगम हर साल दावा करता कि जलभराव नहीं होगा।

जलभराव संभावित प्रमुख क्षेत्र
दिल्ली चुंगी, अहमदनगर, खैरनगर, भगवतपुरा, मकबरा डिग्गी, नगर निगम परिसर, जैदी सोसाइटी, लेडीज पार्क, नौचंदी मैदान, वैशाली कॉलोनी, ब्रह्मïपुरी, सुभाषनगर, मोहनपुरी, जेल चुंगी, प्रवेश विहार, पोदीवाड़ा, दिल्ली रोड डिपो, सराय लालदास, हरीनगर, खत्ता रोड, माधवपुरम, स्पोर्ट्स कांपलेक्स, रुड़की रोड, भोला रोड, बच्चा पार्क, भैसाली बस अड्डा, सोतीगंज, डिफेंस कॉलोनी, बेगमबाग, गंगानगर, अब्दुल्लापुर, मलियाना मेट्रो मॉल, पल्लवपुरम फेज-1, समर गार्डन, मजीद नगर, लाला का बाजार।

40 पंप सेट निकासी के लिए
बरसात के पानी की निकासी के लिए निगम ने 40 के करीब वाटर पंप की व्यवस्था की हुई है। ये पंप जलभराव संभावित चयनित मोहल्लों में लगाए जाते हैं ताकि पंपों को बरसात के तुरंत बाद चालू कर पानी निकाल दिया जाए। लेकिन समय पर पंप उपलब्ध ही नहीं होते हैं।

फैक्ट्स पर एक नजर
जलभराव से निजात के लिए 40 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की मशीनरी।
कंकरखेड़ा, सूरजकुंड और दिल्ली रोड मिलाकर नगर निगम के तीन डिपो।
प्रत्येक डिपो में 20-22 कर्मचारी हैं।
नाला सफाई में जुटे वाहनों में करीब दो करोड़ का डीजल-पेट्रोल हुआ खर्च।
छोटी-बड़ी पॉकलेन मशीन की संख्या करीब 55 हैै।
निगम के पास टैक्टर-ट्रॉली की संख्या करीब 64 है।
27 टाटा मैजिक हैैं।
18 जेसीबी हैं।
06 बड़े ट्रक हैैं।
02 रोबोटिक सफाई मशीन हैं।
309 शहर में छोटे-बड़े नालों की संख्या है।
14 बड़े नालों में ओडियन नाला, सूरजकुंड, कसेरूखेड़ा, आबू नाला, थापरनगर, काजीपुर गुर्जर चौक, शताब्दीनगर वरुड़की रोड नाला शामिल हैैं।

इनका है कहना
पुराने शहर की संकरी गलियों में जलभराव की समस्या बहुत अधिक है। क्योंकि यहां सीवरेज की व्यवस्था ही नहीं है।
कल्पना पांडेय

कई क्षेत्रों में नालों का लेवल आसपास की कालोनियों से ऊंचा है। बरसात के बाद नाले का पानी ओवरफ्लो होकर कालोनियों में घुस जाता है।
मुकुल

सीवरेज की व्यवस्था पूरी तरह चालू हो जाए तो काफी हद तक जलभराव की समस्या से निजात मिल जाए। मगर यहां हर साल बस दावे किए जाते हैैं, काम नहीं।
शिवम

कई ऐसे इलाके चिंहित किए हुए हैं, जहां तेज बरसात के बाद जलभराव होता है। वहां के लिए पंप सेट की व्यवस्था की हुई है। बाकि नाले पूरी तरह साफ हैं। इस बार जलभराव गत वर्षों की तुलना में बहुत कम है।
डॉ। हरपाल सिंह, प्रभारी नगर स्वास्थ्य