मेरठ (ब्यूरो)। जिले की आधी आबादी की सुविधा के लिए दो साल पहले कानपुर से 80 बसें भेजी गई लेकिन सभी 10 साल पुरानी। इन बसों में महिलाओं के लिए रिजर्व की गई पिंक सीटों की योजना भी धरी रह गई। इतना ही नहीं, 10 साल पहले महिलाओं के लिए स्पेशल बस चलाई जाने की योजना बनी थी, जो आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई। वहीं, गत वर्ष जो नई इलेक्ट्रिक सिटी बसें चलाई गई थी, उनमें भी महिला रिजर्व सीटों पुरुष यात्रियों का कब्जा है। इस सबके के चलते महिलाओं ने इन बसों के सफर से दूरी बना ली है।
10 साल पहले कवायद
10 साल पहले साल 2013 में महिला स्पेशल सिटी बस चलाने की कवायद की गई थी। इसके तहत तत्कालीन आरएम संदीप लाहा ने मार्च माह में महिला दिवस पर दो बसों का संचालन होली के आसपास शुरू करने की घोषणा की थी। साथ ही लेडीज स्पेशल बसों में कंडक्टर भी महिलाओं को ही रखे जाने का प्रस्ताव बनाया गया था। योजना के तहत लेडीज स्पेशल बस मेडिकल कॉलेज से लेकर बेगमपुल तक चलाई जानी थी। इसके तहत कुछ बसों का संचालन भी हुआ, जो कुछ माह बाद बंद हो गया। इसके पीछे रोडवेज का तर्क था कि महिला यात्रियों की संख्या कम होने के कारण बसों के संचालन में नुकसान हो रहा है, इसलिए बसें बंद कर दी गई हैैं।
पिंक सीट का प्रपोजल
इसके बाद साल 2021 में कानपुर से आई 10 साल पुरानी मिनी सिटी बसों में आगे की छह सीटों को महिला रिजर्व सीट बनाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए बकायदा इन छह सीटों को पिंक तक कर दिया गया था। लेकिन पिंक सीट का कॉन्सेप्ट भी कुछ ही बसों तक सीमित रहा। बाकि सिटी बसों में केवल महिला अधिकृत सीट लिखकर काम चला दिया गया। मगर आज अधिकतर सीट बसों में महिला सीटों पर पुरुष यात्री ही सफर करते हैैं।
इलेक्ट्रिक बसों में
इलेक्ट्रिक बसों में भी महिलाओं के लिए छह सीटें रिजर्व की गई हैं। लेकिन यहां भी हाल बाकी सिटी बसों वाला ही है। हालांकि इन बसों में महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पैनिक बटन भी दिया हुआ है। इस बटन को दबाने से सीधा 112 पर कॉल जाएगी और पुलिस बस की लोकेशन के आधार पर महिला की मदद के लिए पहुंच जाएगी। मगर अभी यह सुविधा प्रोसेस में है। इसके अलावा इन बसों में सीसीटीवी कैमरों की सुविधा भी शुरू होनी है। जिसका कंट्रोल नगर निगम के आईटीएमएस कंट्रोल रूम में होगा। यहीं से बसों के अंदर की निगरानी की जाएगी। मगर कैमरों के इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया भी अधर में हैं।
सिटी बसों में सीट रिजर्व होने के बाद भी खड़े-खड़े सफर करना पड़ता है। पुरुष सीटों पर बैठे रहते हैैं। इसलिए सिटी बसों की जगह ई-रिक्शा ही ठीक है।
निशा
सीट रिजर्व होने के बाद भी महिला सीट पर पुरुष यात्री ही बैठे रहते हैं। इससे सिटी बसों में भीड़ के दौरान सफर में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
शालिनी कौशिक
महिला स्पेशल बस चले तो सिटी ट्रांसपोर्ट को काफी फायदा होगा और महिलाओं को भी। महिलाएं आराम से बस में सफर कर सकेंगी लेकिन इन बसों की संख्या अधिक होनी चाहिए।
सिमरन
इलेक्ट्रिक बसों में महिला सीट पर पुरुष बैठे रहते हैं। महिला सीट पर पुरुष यात्री यदि बैठे भी हों तो महिला के आने पर सीट छोड़ देनी चाहिए।
ललिता
महिला यात्रियों के लिए सभी बसों में सीट रिजर्व हैं। महिला स्पेशल बस महिला यात्रियों की संख्या के आधार पर दोबारा चलाने का प्रयास किया जाएगा।
विपिन सक्सेना, एआरएम