मेरठ (ब्यूरो)। दरअसल, शिकायतों के आधार पर टीचर्स के डॉक्यूमेंट्स की जांच की जिम्मेदारी सीसीएसयू को शासन ने सौंपी थी। मगर कुछ कॉलेज इस जांच में सपोर्ट नहीं कर रहे हैैं। जिनके खिलाफ शासन स्तर से बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। लंबे समय से जिले के सीसीएसयू से संबद्धित कॉलेजों में फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर टीचिंग करने की शिकायतें लगातार शासन के पास पहुंच रही थी। जिसका संज्ञान में लेते हुए शासन ने सीसीएसयू को पत्र लिखकर संबंधित कॉलेजों के सभी टीचर्स के डॉक्यूमेंट संबंधित डाटा को वैरिफाई करने की जिम्मेदारी सीसीएसयू को सौंपी थी।
हो सकती है बड़ी कार्रवाई
शासन के निर्देशानुसार यूनिवर्सिटी ने 15 जून मंडल के 300 करीब कॉलेजों से उनके टीचर्स के डॉक्यूमेंट संबंधित रिकॉर्ड को विजिलेंस विभाग में जमा करने के लिए कहा था। इतना ही नहीं, इस प्रोसेस के लिए कॉलेजों को एक सप्ताह का समय भी दिया था। बावजूद इसके अभी तक मेरठ मंडल के 90 कॉलेजों ने अपने टीचर्स का डाटा जमा नहीं किया है।
यूनिवर्सिटी ने भेजा नोटिस
कॉलेजों द्वारा डाटा जमा न करने के चलते यूनिवर्सिटी ने संबंधित सभी कॉलेजों को यूनिवर्सिटी ने दो बार अलर्ट भेजा लेकिन उसका भी कोई जवाब कॉलेजों की ओर से नहीं दिया गया। जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने इन कॉलेजों को नोटिस देते हुए उनसे जवाबदेही मांगी है।
जांच का मकसद
दरअसल, सीसीएसयू से संबद्धित सभी प्राइवेट कॉलेजों में कितने टीचर्स हैैं जो नियमों के अनुसार नहीं है, यही पता लगाना जांच का उद्देश्य था। इसी के लिए शासन के निर्देशानुसार यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों से डाटा मांगा था। मगर समय-सीमा बीत जाने के बावजूद कॉलेजों ने डाटा नहीं दिया। जबकि ऐसे कॉलेज जो डाटा उपलब्ध न कराएं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश शासन ने दे रखे हैैं।
जिन कॉलेजों ने जांच के लिए टीचर्स का डाटा नहीं भेजा है उनके खिलाफ यूनिवर्सिटी ने अंतिम नोटिस भेजा है। इसके बाद भी अगर डाटा नहीं दिया गया तो संबंधित कॉलेजों की सूची तैयार करके शासन को सौंपी जाएगी। जिसके बाद कॉलेजों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
अरुण सिंह, सदस्य, विजिलेंस विभाग, सीसीएसयू