7 बिंदुओं पर था समझौता था, जिसमें यह शर्त थी कि छात्रों को ट्रेकिंग सुविधा मिलेगी
17 हजार छात्रों की ही दर्ज पते पर पहुंच पाई डिग्री
48 घंटे में स्थानीय स्तर पर और महानगरों में 72 घंटे में डिग्री पहुंचाने का था दावा
3 से 4 दिनों तक देहात में पहुंच जाएगी डिग्री
4 से 5 माह बीतने के बाद भी नहीं मिल रही है डिग्री
दरअसल, सीसीएसयू की ओर से एक कोरियर कम्पनी फरवरी 2019 में प्राइवेट स्टूडेंट की 52 हजार डिग्री को उनके दर्ज पते तक पहुचाने का टेंडर दिया गया था।
सीसीएसयू में डिग्री पहुंचाने के नाम पर चल रहा बड़ा खेल
Meerut। सीसीएस यूनिवर्सिटी ने छात्रों की डिग्री घर पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई थी। इसके लिए एक कोरियर कंपनी से समझौता भी किया गया था, लेकिन यूनिवर्सिटी की यह योजना अब सिर्फ दिखावा हो गई है। हालत यह है कि यूनिवर्सिटी की ओर से डिग्री न तो घर तक पहुंच रही है। ना ही कोई जानकारी मिल रही है। इससे छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब छात्र नेताओं ने इसके लिए अभियान भी छेड़ दिया है। रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस मामले में कई शिकायतें आई हैं। इनकी जांच की जा रही है।
कोरियर कंपनी को टेंडर
गौरतलब है कि सीसीएसयू ने एक कोरियर कंपनी से फरवरी 2019 में प्राइवेट स्टूडेंट की 52 हजार डिग्री को उनके दर्ज पते तक पहुंचाने का टेंडर दिया था। यूनिवर्सिटी ने कोरियर कंपनी से समझौता भी किया था। इसके तहत स्टूडेंट को डिग्री पहुंचने और ट्रेकिंग नंबर देने की भी बात की गई थी।
नहीं दिया ट्रेकिंग नंबर
समझौते के बावजूद भी छात्रों को न तो ट्रेकिंग नंबर दिए गए और न ही उन तक डिग्री पहुंच पा रही है, ऐसे में डिग्री के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। इससे छात्रों को काफी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है।
हो रही परेशानी
यूनिवर्सिटी और कोरियर कंपनी के बीच कई बिंदुओं पर समझौता था। इनमें बिंदु संख्या 7 में यह शर्त थी कि कोरियर एजेंसी यूनिवर्सिटी एवं छात्रों को ट्रैकिंग की सुविधा देगी, लेकिन छात्रों को कोई ट्रैकिंग सुविधा नहीं मिली। वहीं, यूनिवर्सिटी को डिलीवरी के बाद जो कथित आईडी दी गई, वो खुल नही रही है।
बेमानी हो गई सुविधा
आंकड़ों के मुताबिक अभी तक कोरियर कंपनी ने सिर्फ 17 हजार छात्रों की डिग्री ही उनके दर्ज पते तक पहुंचाई है। स्टूडेंट्स के मुताबिक कंपनी ने उन डिग्रियों की भी फर्जी ट्रेकिंग आईडी यूनिवर्सिटी को सौपी है। स्टूडेंट्स के मुताबिक उन्होंने यूनिवर्सिटी जाकर ही डिग्री ली है, इसके कोरियर कंपनी की सुविधा बेमानी है। छात्रों के मुताबिक एजेंसी की शर्तो के मुताबिक स्थानीय स्तर पर अधिकतम 48 घंटे, महानगरों में 72 घंटे ओर देहात में तीन से चार दिनों तक डिग्री पहुंचाने का दावा था, लेकिन अब चार से पांच माह बाद तक भी डिग्री नही मिल पा रही है।
पहुंच रहीं शिकायतें
इस मामले में यूनिवर्सिटी में लगातार शिकायतें आ रही हैं। जब स्टूडेंट यूनिवर्सिटी में पूछते है तो वहां से जवाब मिलता है कि कि डिग्री घर पर किसी ने मिलने के कारण वापस आ गई है। या फिर दूसरा कारण बताया जाता है। छात्र नेताओं ने इस समस्या को लेकर भी अभियान छेड़ रखा है। सूत्रों के मुताबिक कोरियर कंपनी और इसमें कैंपस कर्मचारियों की मिलीभगत है। यहीं नहीं घरों में डिग्री नहीं बल्कि खाली लिफाफे पहुंच रहे हैं।
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मेरी नहीं आई डिग्री
मेरी भी डिग्री नहीं आई। जब मैनें इसके लिए कैंपस में पता किया तो उन लोगों ने कहाकि यहां से भेजी गई थी, लेकिन कई बार के बाद जब कोई घर नहीं मिला तो वापस आ गई है।
दीपक
मेरे यहां खाली लिफाफा निकला। इस बारे में जब मैने कोरियर वाले से पूछा तो ये जवाब मिला कि हम तो बंद लिफाफा लाते है। हमें नहीं पता अंदर है या नही।
शीतल