मेरठ (ब्यूरो)। असौड़ा हाउस स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर में शांतिधारा का पाठ व अभिषेक कराया गया। जिसमें सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य अरिहंत जैन परिवार को मिला एवं कुबेर का सौभाग्य मनोज जैन-अमित जैन परिवार को प्राप्त हुआ। इसके बाद भक्तांबर महामंडल विधान संगीत की धुनों द्वारा बिजेंदर ने कराया। जिसमें मंदिर परिसर में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने भाक्ति के साथ अर्घ मांडले पर अर्पित किए।

महाराज ने प्रवचन दिए।
इसके बाद मुनिश्री ज्ञानानंद महाराज ने प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि जिस कार्य को करने में मन शंकित हो, अतरंग में भय का संचार होता हो, लोक निंदा या कार्य करने में लज्जा व उपहास की आशंका हो, उसे नहीं करना चाहिए। महाराज ने कहा कि जिस कार्य को करने में बार-बार अपशकुन होते हो अथवा आत्मा संक्लेशित हो रही हो तो ऐसे कार्य मत करो। क्योंकि वह पाप कर्म है जो कि अनुचित हैं। जिस कार्य को करने में आनंद उत्साह व परंप प्रीति का अनुभव होता है। उन्होंने कहा कि दूसरे इसका सम्मान करें, कषायमंद हो, परिणाम विशुद्ध हो, अतरंग में खुशी की लहर उठे चित्त जिसके लिए बार-बार प्रेरणा दे, ऐसे कार्य को अवश्य करें। कार्य सदैव वहीं करना चाहिए जिसको करने में हमें अंदर से खुशी हो, हमारा मन रूचि ले किसी दूसरे का गलत न हो।

अंतरआत्मा की आवाज सुने
उन्होंने कहा कि हमें अंतर आत्मा की आवाज सुनकर ही किसी उचित एवं सफल निर्णय को लेना चाहिए क्योंकि अंतरात्मा