मेरठ (ब्यूरो)। संचारी रोगों के प्रति हर साल अभियान के बाद भी डेंगू मलेरिया का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। ना ही लोगों में जागरुकता है। यह इसलिए हो रहा है क्योंकि विभाग के अभियान, फागिंग और जागरुकता सिर्फ वीआईपी वार्डों तक सीमित हैं, जबकि अधिक जरुरत शहर के उन हॉट स्पॉट में हैं, जहां हर साल मच्छरों के प्रकोप से डेंगू मलेरिया के मरीजों की भरमार होती है। हालांकि यह थोड़ी राहत की बात है कि डेंगू से होने वाली मौतों की संख्या मेरठ में ना के बराबर है, लेकिन बीमारों की संख्या हर साल भरमार रहती है।

हॉट स्पॉट की हालत नहीं बदली
वहीं बात करें संचारी रोगों से प्रभावित रहने वाले शहर के हॉट स्पॉट की तो हर साल एक दर्जन के करीब क्षेत्रों में डेंगू मलेरिया का कहर बरपता है। ये वो इलाके हैं जो सालभर गंदगी, जलभराव से जूझते हैं, इसलिए बरसात के बाद इनमें मच्छरों का प्रकोप भी अत्याधिक रहता है। यहां भरपूर फागिंग के बाद भी बीमारों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है।

शहर के हॉट स्पॉट
ब्रह्मपुरी,पल्हैड़ा, मलियाना, कंकरखेड़ा, जयभीमनगर, कैंट, रजबन, साबुन गोदाम और नंगला बट्टू

देहात में हॉट स्पॉट
रोहटा, मवाना, रजपुरा, जानी और दौराला ब्लॉक हॉट स्पॉट

हर सप्ताह 100 से अधिक शिकायतें
नगर निगम के शिकायत केंद्र और आईजीआरएस की बात करें तो उसमें सबसे ज्यादा शिकायत गंदगी और फागिंग ना होने की आ रही है। जून माह में अभी तक 100 से अधिक शिकायतें फॉगिंग ना होने और कराने को लेकर आ चुकी है। खासतौर पर जलभराव प्रभावित क्षेत्रों में फागिंग की सबसे ज्यादा डिमांड की जा रही है। बावजूद इसके निगम का ध्यान इस तरफ नही है।

लाखों का बजट, कागजों में फागिंग
शहर में फॉगिंग के लिए नगर निगम ने 90 वार्डों के लिए करीब दस लाख रुपये का बजट बनाया है। इसमें फॉगिंग के लिए दवाई, तेल, मशीन की मरम्मत आदि सभी शामिल है। 24 लाख की आबादी वाले शहर में 10 लाख रुपये फागिंग का बजट रखा गया है। इस बजट के साथ 75 हैंड फागिंग मशीन के साथ 3 बड़ी मशीनों को फागिंग का काम रोस्टर के अनुसार दिया हुआ है। रोजाना शाम के समय शहर के वार्डों में रोस्टर के अनुसार फागिंग की जा रही है लेकिन इसके बाद भी शहर के अधिकतर वार्ड फागिंग से महरूम हैं।

2021 में टूटा था रिकार्ड
11 विभागों के बाद भी डेंगू पर काबू नही हो पा रहा है। जिसका नतीजा रहा कि आठ साल पहले जहां डेंगू के मरीजों की संख्या 200 से भी कम थी वहीं 2023 में यह बढ़कर 1300 से भी पार हो गई है। सबसे अधिक 2021 में डेंगू के 1668 मरीज सामने आए थे।

हर साल डेंगू की स्थिति
साल डेंगू
2016 195
2017 660
2018 202
2019 215
2020 35
2021 1668
2022 348
2023 1339

गत वर्षों में हुई मौतें
10 सितंबर 2023
डेंगू ने एक दस साल की बालिका की अस्पताल में मौत

07 नवंबर 2023
डेंगू बुखार से विनायक विद्यापीठ कॉलेज एमटेक छात्रा की मौत

23 अक्टूबर 2023
दौराला के रुहासा गांव में बुखार से 18 साल की युवती की मौत

अक्टूबर 2023
सरधना के कपसाड़ गांव में 24 से अधिक लोगों की मौत डेंगू के कारण हुई थी

साल 2021
जानी ब्लॉक के कुरील गांव के पांच लोगों की डेंगू से मौत

हॉट स्पॉट को प्राथमिकता के स्तर पर कवर किया जा रहा है। अधिक केस कुछ ही मोहल्लों में सामने आते हैं बाकी पूरे शहर में मॉनीटरिंग हो रही है जहां-जहां जरुरत हंै वहां निगम के सहयोग से फागिंग कराई जा रही है।
डॉ। सत्य प्रकाश, जिला मलेरिया अधिकारी


डेंगू 60 से 70 प्रतिशत बहुत माइल्ड होता है। 10 से 20 प्रतिशत सीवियर होता है। 7 से 10 प्रतिशत केस डेंगू शॉक सिंड्राम होते हैं इसके अलावा .2 प्रतिशत इसमें डेथ की संभावना होती है। इसलिए हमारे जनपद में डेंगू के अधिकतर केस रिकवर हो जाते हैं।
डॉ। जितेंद्र नागर, मलेरिया अधिकारी अर्बन