मेरठ (ब्यूरो)। जब से टीनएजर्स के हाथों में मोबाइल आया है, तब से उनकी दुनिया बदल गई है। मोबाइल की दुनिया जितनी एडवांस है उतनी ही रिस्की भी। ऐसे में मोबाइल और ऑनलाइन दुनिया का सही और सतर्कता से उपयोग ही आपको साइबर क्राइम से बचा सकता है। आंकड़ों के मुताबिक आज के दौर में टीनएजर्स ही सबसे ज्यादा साइबर क्राइम की चपेट में आ रहे हैं। इससे बचने का सिर्फ एक ही रास्ता है वो है अवेयरनेस, आप देखेंगे कि आज के दौर में हम टेक्नोलॉजी में बहुत आगे बढ़ रहे हैं। साथ ही साथ साइबर अपराध के मामले भी बढ़ रहे हैं। इससे बचने के लिए आपको सतर्क रहना होगा। यही नहीं, मोबाइल एडिक्शन के कारण भी टीनएजर्स इन दिनों गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यह बात सीओ सिविल लाइंस अरविंद चौरसिया ने स्टूडेंट्स को अवेयर करने के दौरान कही।
साइबर क्राइम से बचने की टिप्स दी
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से गार्गी गल्र्स स्कूल में एक वर्कशॉप आयोजित की गई। इसका विषय मोबाइल एडिक्शन टीनएजर्स की रियल लाइफ को कैसे इफेक्ट कर रहा है। साथ ही साइबर क्राइम से कैसे बचें रहा। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि सीओ सिविल लाइन अरविंद चौरसिया, दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रीजनल एडिटोरियल हेड मुकेश कुमार, स्कूल मैनेजिंग ट्रस्टी विनीत गर्ग, प्रिंसिपल डॉ। अनुपमा सक्सेना एवं वाइस प्रिंसिपल डॉ। वाग्मिता त्यागी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद छात्राओं ने वेलकम सांग प्रस्तुत किया।
वर्कशॉप में दिए टिप्स
वर्कशॉप के दौरान सीओ सिविल लाइन अरविंद चौरसिया ने स्टूडेंट्स को मोबाइल एडिक्शन और साइबर क्राइम से बचने के लिए टिप्स दीं। उन्होंने कहा कि आज टेक्नोलॉजी अपग्रेड हो रही है। ऐसे में सोशल मीडिया की दुनिया भी बढ़ रही है। जहां पर टीनएजर्स की सबसे ज्यादा प्रजेंस रहती है। ऐसे में साइबर क्रिमिनल्स भी टीनएजर्स को ही टारगेट बना रहे हैं। उनसे बचने के लिए अवेयर होना काफी जरूरी है।
खुद का आंकलन जरूर करें
उन्होंने बताया कि आज सभी के हाथों मेंं मोबाइल फोन है। सोशल मीडिया के माध्यम से आप वर्चुअल वल्र्ड में सैर करते हैं। अपनी फीलिंग को शेयर करते हैं, लेकिन होता यह है इसकी आदत आपकी लाइफ को इफेक्ट करने लगती है। देखने में आता है कि टीनएजर्स 6 से 8 घंटे तक अपना टाइम मोबाइल फोन की वर्चअुल दुनिया में स्पेंड करते हैं। धीरे-धीरे यही आदत एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। इसे ही मोबाइल एडिक्शन कहते हैं। ऐसे में जब आपके पेरेंट्स आपसे मोबाइल फोन छीनते हैं, तो आपको गुस्सा, एन्जाइटी, डिप्रेशन जैसी बीमारियां हो जाती हैं। कभी-कभार तो टीनएजर्स गंभीर अपराध भी कर देते हैं। जैसे मोबाइल फोन छीनने से नाराज एक बच्चे ने अपनी मां को पत्थर से मार डाला था। इसलिए जरूरी है कि आप मोबाइल फोन पर स्पेंड होने वाले टाइम को खुद ऑब्जर्व करें, और सेल्फ मोटिवेट हो।
अनजान से दोस्ती न करें
सीओ सिविल अरविंद चौरसिया ने कहाकि आज के दौर में साइबर क्रिमिनल भी टीनएजर्स को टारगेट करते हैं। सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम के वर्जुअल वल्र्ड में टीनएजर्स अपनी अच्छी खासी प्रजेंस रखते हैं, लिहाजा साइबर फ्रॉड या साइबर बुलिंग के भी शिकार होते हैं। एक बात का आप हमेशा ख्याल रखें, कि सोशल मीडिया पर किसी भी अनजान व्यक्ति से दोस्ती न करें, उनसे अपना नंबर भी शेयर न करें। इसके साथ ही किसी को भी ओटीपी भी न दें। किसी भी अनजान लिंक को ओपन करने से भी बचें। इन सब बातों को ध्यान में रखकर आप साइबर क्राइम से बच सकते हैं। साथ ही सोशल मीडिया के फ्रॉड से भी बच पाएंगे।
पेरेंट्स को जरूर बताएं
वर्चुअल वल्र्ड के दौर में टेक्नोलॉजी बहुत बढ़ रही है। डिजिटलीकरण के दौरान आज आपके अकाउंट नंबर पर आसानी से पहुंच हो गई है। ऐसे में आपकी छोटी सी लापरवाही बड़े नुकसान का कारण बनती है। हालत यह है कि तमिलनाडु में बैठा साइबर क्रिमिनल आपके अकाउंट से पैसे निकाल सकता है। इसलिए अवेयर होना सबसे ज्यादा जरूरी है। दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर मौजूद आपकी फोटो का भी कुछ लोग गलत तरीके उपयोग करते हैं। ऐसे में आपकी जागरुकता ही सबसे आपका बड़ा हथियार है। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर सोशल मीडिया पर आपके साथ कुछ भी गलत हो रहा है तो इस बारे में अपने पेरेंट्स को जरूर बताएं। उनसे किसी बात को बिल्कुल न छिपाएं।
अनदेखी न करें, शिकायत करें
उन्होंने बताया कि साइबर क्रिमिनल की चपेट में आकर कई टीनएजर्स की लाइफ बर्बाद हो जाती है। कई बार तो सुसाइड तक कदम उठा लेते हैं। आज लाइफ स्टाइल बहुत बदल रही है। उदाहरण के तौर पर पल भर में डेटा ट्रांसफर हो जाता है। धीरे-धीरे डिवाइस का आकार छोटा हो रहा है। अब हम प्लाज्मा की ओर बढ़ रहे हैं। आने वाले दिनों में हमारा गैजेट्स एक पिन प्वाइंट की तरह होगा। सारी चीजें एयर में सर्कुलेट होगी। ऐसे में साइबर क्राइम के मामलों में भी इजाफा होगा। इसलिए टाइम के साथ अवेयर होना जरूरी है। अक्सर हम इन मामलों की शिकायत नहीं करते हैं। ऐसे मामलों को इग्नोर करते हैं। यही सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। इसलिए अपनी जिम्मेदारी को पहचानिए और कुछ भी गलत होने पर 1930 पर फोन करके शिकायत करें। ताकि समय रहते साइबर क्रिमिनल्स पर रोक लगाई जा सके।
कोई अनजान लिंक न खोलें
आपके मोबाइल में कम्प्यूटर लैपटॉप में एनी डेस्क होता है। अगर आपके मोबाइल पर कोई लिंक आता है उसको तुरंत नहीं खोलना चाहिए, क्योंकि उससे आपका सारा डाटा चला जाएगा। साथ ही आपके अकाउंट का एक्सेस भी मिल जाता है। इसलिए अनजान लिंक को कभी न खोलें। इसके साथ ही उन्होंने छात्रों के कई सवालों के जवाब भी दिए।
इस तरह की वर्कशॉप के माध्यम से स्टूडेंट्स को अवेयर करने का अच्छा प्रयास है। साइबर क्राइम के प्रति भी बच्चे सचेत होंगे। तो वे ऐसी घटनाओं से बच सकेंगे।
विनीत गर्ग, मैनेजिंग ट्रस्टी, गार्गी स्कूल
साइबर क्राइम आज सबसे बड़ी समस्या है। सबसे ज्यादा टीनएजर्स इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में वर्कशॉप के माध्यम से बच्चों को जागरूक करना अच्छी पहल है। बच्चों में मोबाइल एडिक्शन की समस्या भी बढ़ रही है, जो चिंता का कारण है।
डॉ। वाग्मिता त्यागी, वाइस प्रिंसिपल
युवाओं को मोबाइल एडिक्शन से बचाना जरूरी है, क्योंकि इसके घातक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इसलिए इस तरह की वर्कशॉप के जरिए स्टूडेंट्स को जागरुक करना जरूरी है। इसके लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का आभार।
डॉ। अनुपमा सक्सेना, प्रिंसिपल