मेरठ (ब्यूरो)। लंपी वायरस से मेरठ अब तक 450 से ज्यादा गोवंश इस बीमारी से प्रभावित हो हो चुके हैं। गोट पॉक्स यानि बकरियों में चेचक को नियंत्रित करने वाली वैक्सीन से अब लंपी वायरस को सही किया जाएगा। इस वैक्सीन का बकरियों पर शत प्रतिशत सफल असर दिखा है ऐसे में पशुपालन विभाग देहात और शहरी क्षेत्र के पशुओं को यह वैक्सीन लगाकर पशुओं को इस संक्रमण से निजात दिलाएगा।
12 सर्विलांस टीम करेगी निगरानी
मेरठ में लंपी वायरस से लडऩे के लिए पशु चिकित्सा विभाग पूरी तैयारी में जुट गया है। इसके लिए मेरठ में 3 जोन बनाकर 12 सर्विलांस टीम का गठन किया गया है, जो प्रतिदिन अलग-अलग गांव में जाती है और पशुपालकों को लंपी वायरस के प्रति जागरूक करती है। ये टीम पशुपालकों को बताती है कि अगर उन्हें अपने पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण दिखे तो उन्हें क्या करना चाहिए। इसके अलावा वायरस को रोकने के उपाय भी पशुपालकों को टीम बताती है। वायरस के प्रकोप को कम करने के लिए शहरी क्षेत्र में नगर निगम द्वारा फॉगिंग, सैनिटाइजेशन एवं कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव लगातार कराया जा रहा है। ताकि लंपी वायरस के प्रकोप को कम किया जाए।
पशु पैठ पर लगा प्रतिबंध
शासन के आदेश के बाद पशु पैठ, मेले एवं पशुओं के आवागमन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसकी निगरानी के लिए मेरठ को 3 जोन व 12 सेक्टर में बांट दिया गया है। मेरठ के उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी पशुधन विकास को कंट्रोल रूम प्रभारी व जिले का नोडल अधिकारी बनाया गया है। नोडल अधिकारी का नंबर 9412313943 भी पशुपालकों के साथ साझा किया जा रहा है ताकि पशुपालकों की समस्या सुनकर उनका निदान किया जा सके।
कर रहे जागरूक
पशु चिकित्सा विभाग द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से ऑडियो-वीडियो एवं डिजिटल पंपलेट द्वारा तमाम पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि अगर उनके पशुओं में वायरस के लक्षण दिखें तो उनको अन्य पशुओं से अलग रखना है। इस ऑडियो और वीडियो में तमाम तरह की जानकारियां पशुपालकों को दी जा रही हैं।
मेरठ पहुंची 70 हजार वैक्सीन डोज
मेरठ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अखिलेश गर्ग ने बताया कि शासन से 70 हजार गोट पॉक्स वैक्सीन पशु चिकित्सा विभाग के पास आ चुकी है, जिससे अब लंपी वायरस प्रभावित गांवों के बाहर टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा ताकि अभियान से वायरस को फैलने से रोका जाएगा।
संक्रमण से बचाव के उपाय
अपने जानवरों को संक्रमित पशुओं से अलग रखें।
रोग के लक्षण दिखने वाले पशुओं को नहीं खरीदना चाहिए।
मेला, मंडी और प्रदर्शनी में पशुओं को नहीं ले जाना चाहिए।
गोशाला में कीटों की संख्या पर काबू करने के उपाय करने चाहिए।
मुख्य रूप से मच्छर, मक्खी, पिस्सू और चिंचडी का उचित प्रबंध करना चाहिए।
रोगी पशुओं की जांच और इलाज में उपयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
अगर गोशाला या उसके आसपास किसी असाधारण लक्षण वाले पशु को देखें तो तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी जानकारी दें।
एक पशुशाला के श्रमिक को दूसरे पशुशाला में नहीं जाना चाहिए।
पशुपालकों को भी अपने शरीर की साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए।
हमारी पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ इस संबंध में मीटिंग हुई थी। हम बीमार पशुओं की जानकारी और शिफ्टिंग करने और वैक्सीनेशन में सहयोग करेंगे।
हरपाल सिंह, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, नगर निगम