मेरठ (ब्यूरो)। यूं तो नगर निगम द्वारा शहरभर के नालों की सफाई के नाम पर हर साल करीब-करीब 50 लाख का बजट बरसात से पहले पास होता है। नालों की सफाई भी जोर-शोर से शुरू की जाती है। मगर खानापूर्ति के चलते नाले सालभर सिल्ट और गंदगी से अटे रहते हैैं। नाले अगर साफ हों तो उनकी गहराई इतनी नहीं है कि उनमें डूबकर किसी की मौत हो जाए।
डीपीआर फाइनल नहीं
दरअसल, शहर के रिहायशी इलाकों में बने रोड साइड छोटे नाले और बड़े नालों की बाउंड्री कवर न होने के कारण लगातार हादसे बढ़ते जा रहे हैं। इतना ही नहीं, बरसात में तो कई इलाकों का पानी नाले में आ जाता है और ये नाले ओवरफ्लो होकर लोगों के घरों से बहने लगते हैैं। गौरतलब है कि घनी आबादी के बीच से गुजर रहे छोटे-बड़े 285 नालों में गिरकर हर साल कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं। हालांकि, हादसों से बचाव के लिए नगर निगम हर साल नालों को कवर करने, फेंसिंग करने और बाउंड्री वॉल को बनाने की डीपीआर बनाकर शासन को भेजता है। मगर डीपीआर फाइनल ही नहीं होती और नाले खुले के खुले ही रह जाते हैं।
ओडियन नाला बन रहा जानलेवा
पिछले छह सालों के रिकार्ड पर नजर डालें तो तो शहर में सबसे अधिक मौत ओडियन नाले में गिरने से हुई हैैं। यह नाला शहर के बीचों-बीच से गुजरता है और सबसे अधिक आबादी इस नाले के आसपास ही स्थित है। ओडियन सिनेमा होते हुए यह नाला कबाड़ी बाजार चौराहे तक तो दिखाई देता है लेकिन उसके आगे नाला गुमशुदा हो जाता है। वहीं 70 प्रतिशत नाला अतिक्रमण की चपेट में है। जिसके चलते नाले के करीब 40 फीसदी हिस्से की ही सफाई हो पाती है।
दो साल से 200 किमी.
दो साल पहले नगर निगम ने करीब 200 किमी। लंबे नालों पर स्लैब डालकर कवर करने की योजना बनाई थी। इसके साथ ही इन नालों पर कुछ-कुछ दूरी पर सफाई के लिए मेनहोल बनाए जाने थे। इससे पहले भी नगर निगम साल 2017-18 में कुल 285 छोटे-बड़े नालों को कवर करने की योजना बनाई थी। साथ ही शहर के 27 बड़े नालों के किनारे लोहे की जालीदार फेंसिंग लगाने का प्लान भी बनाया था। जिसमें 32 किमी। लंबी फेंसिंग लगाने के लिए करीब 20 करोड़ रुपया का बजट बनाया गया था। इसके तहत करीब 31.850 किमी लंबी फेंसिंग लगाकर नालों को कवर किया जाना था। लेकिन सब योजनाएं केवल फाइलों में सिमट कर रह गई।
फैक्ट्स एक नजर में
111 करोड़ की लागत से नालों को कवर करने की योजना दो साल से अधर में।
200 किमी। लंबे नालों पर स्लैब डालकर योजना के तहत कवर किया जाना था।
285 छोटे-बड़े नालों को कवर करने की योजना हुई थी तैयार।
2017-18 में भी 285 छोटे-बड़े नालों की स्थिति सुधारने की बनाई गई थी योजना।
27 बड़े नालों के किनारे लोहे की जालीदार फेंसिंग लगाने का गत वर्ष बनाया गया था प्लान।
32 किमी। लंबी फेंसिंग लगाने पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च का बनाया गया था एस्टीमेट।
दो साल पहले निगम ने कुछ नालों की बाउंड्री बनाकर तैयार भी की थी।
4 जून 2012 को तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने मेरठ में 407 करोड़ रुपये से 30 पुराने नालों को ढकने, उनके ऊपर मल्टी लेवल पार्किंग बनाने, घूमने के लिए बगीचा और चारों ओर पेड़ लगाने की घोषणा की थी।
ओडियन नाले की नियमित रूप से सफाई कराई जा रही है। जहां अतिक्रमण है, वहां अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाया जा चुका है। नालों को कवर करने या फेंसिंग लगाने की योजना पर जल्द बोर्ड बैठक में विचार किया जाएगा।
ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त