मेरठ (ब्यूरो). वित्तीय वर्ष 2021-22 में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों के लिए शासन की ओर विभिन्न मदों में दो करोड़ छह लाख 37 हजार रुपये का बजट जारी किया गया था। यह बजट मार्च 2022 तक खर्च होना था। लेकिन, विद्यालयों में बजट का 60 प्रतिशत हिस्सा भी खर्च नहीं हो सका है। बेसिक शिक्षा विभाग की इस लापरवाही की रिपोर्ट शासन ने तलब की है। मेरठ समेत प्रदेशभर के अन्य 73 जिले इसे लेकर आला अधिकारियों के रडार पर हैं। बजट का पूरा ब्योरा न होने की वजह से शासन को अभी रिपोर्ट भी नहीं भेजी जा सकी है।

मेरठ में 22 प्रतिशत ही खर्च
मेरठ जिले की बात करें तो यहां पर पांच कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय हैं। इनमें नामांकित पांच सौ स्टूडेंट्स के लिए आवर्तक व अनावर्तक मद में बजट जारी हुआ था। प्रबंध पोर्टल पर दर्ज ब्योरे के अनुसार जिले में मात्र 45 लाख 91 हजार रुपए ही खर्च हो पाए हैं। 10 महीने में विभाग ने 22.6 प्रतिशत राशि ही खर्च की है। परियोजना निदेशक की ओर से सूची में मेरठ जिला 24वें स्थान पर है।

सबसे फिसड्डी बिजनौर और झांसी
राज्य परियोजना निदेशक की ओर से हाल में ही कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में जारी हुए बजट व खर्च की सूची जारी की गई है। जिसमें कानपुर नगर व औरेया को छोड़कर प्रदेश के सभी जिले सरकारी योजनाओं को ठीक से लागू नहीं कर पा रहे हैं। बिजनौर व झांसी इस लिस्ट में सबसे फिसड्डी है। यहां पर मात्र नौ प्रतिशत ही बजट खर्च किया गया है।

समीक्षा में देना होगा जवाब
परियोजना अधिकारी की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार सभी जिलों को अपने यहां कम बजट खर्च को लेकर समीक्षा करनी होगी। स्टूडेंट्स को योजनाओं का पूर्ण लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है। इसका जमीनी निरीक्षण करना होगा। साथ ही इस बात का भी जवाब देना होगा कि बजट खर्च करने में विभाग द्वारा क्यों लापरवाही बरती जा रही है।

इन मदों के लिए आया बजट
कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में बालिकाओं के लिए आवर्तक मद के तहत मानदेय व अन्य गतिविधियों के लिए बजट दिया जाता है। वहीं अनावर्तक मद में बाउंड्रीवॉल, रिपेयर, बैल्डिंग, रिप्लेसमेंट, गार्ड रूम, स्कूलों की मरम्मत आदि के लिए धनराशि दी जाती है। अध्यापन के साथ ही आवास, भोजन, दैनिक उपभोग की वस्तुएं, शिक्षण सामग्री, चिकित्सा आदि सभी सुविधाएं भी यहां निशुल्क प्रदान की जाती हैं।

करें काम नहीं तो होगी कार्रवाई
शासन ने सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों को कहा है कि इन पैसों को कार्यों में लगाया जाए। बजट का प्रयोग न होने का मतलब काम नहीं हो रहा है। शासन ने इसके लिए समीक्षा बैठक अगले माह रखी है। जिसमें सभी को बजट से संबंधित पूरी जानकारी देनी होगी। इसमें ये भी बताना होगा कि कहां पर काम होने के बाद पैसा देना बाकी है। उसके बाद आगे की रणनीति शासन द्वारा तय की जाएगी।

वर्जन
कुछ मानदेय व अन्य भुगतान अभी बाकी है। इन्हें जल्द से जल्द पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ दिक्कतों के चलते बजट खर्च नहीं हो पाया था। बैंक एकाउंट्स में दिक्कतें आ रही थीं, जिनको ठीक करवाया है। लेकिन अब सब भुगतान हो जाएगा।
मयंक मिश्रा, जिला समन्वयक, बालिका शिक्षा, बेसिक शिक्षा विभाग