मेरठ ब्यूरो। शहर को सुंदर बनाने के लिए नगर निगम ने गत वर्ष एक ऐसा प्रयास किया था जिसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की थी। वह था कबाड़ से जुगाड़ यानि नगर निगम ने अपने स्टोर रूम में पड़े कबाड़ से कुछ ऐसे काम किए जिनसे शहर के चौराहों से लेकर सड़कों के बीच डिवाइडर तक अलग अंदाज में दिखने लगे। शहर के चौराहों पर पुराने टायरों से लेकर लोहे की चैन, स्क्रैप से डिजाइन बनाकर चौराहों को सजा दिया गया। किड्स जोन भी बदहाल इसके साथ ही शहर के बच्चों से लेकर बड़ों के मनोरंजन के लिए शहर में किडस जोन और पार्कों का सौंदर्यीकरण किया गया, लेकिन लापरवाही के चलते किड्स जोन आज कबाड़ जोन में तब्दील हो गई है और स्क्रैप से सजे चौराहे खुद स्क्रैप में तब्दील होकर शहर की खूबसूरती को बिगाड़ रहे हैं।
ईव्ज चौराहे: बुक ट्री भी बेमानी
ईव्ज चौराहा में पिछले साल बुक ट्री तैयार की गई थी। इसमें बुकट्री में कई तरह के रंगीन लाइटों का प्रयोग कर चौराहे को रोशनी से जगमगा दिया गया था। नगर निगम ने जुगाड़ लगा करके कबाड़ से बुकट्री बनाया था। इस बुकट्री में पुराने ठेलो के चेसिस, चिमटा, स्क्रैप ऑयल ड्रम, और ओल्ड इलेक्ट्रिसिटी पोल का प्रयोग किया गया था। नगर निगम ने इस बुक ट्री बनाने के लिए इको इंडिया इनोवेशन कंपनी को प्रोजेक्ट दिया था। इसे बनाने में करीब 1 लाख रुपये का खर्च और 10 कुंतल का कबाड़ इसमें लगाया गया। लेकिन इतनी मेहनत के कुछ दिन बाद तक ही चौराहा रंग बिरंगी लाइटों से जगमगता दिखा और आज चौराहे पर लगे इस बुकट्री की लाइटें बंद हैं और किताबें जर्जर हो चुकी है।
सर्किट हाउस चौराहा : टूट गए स्ट्रक्चर
सर्किट हाउस चौराहे पर नगर निगम ने टायर और अन्य बेकार वस्तुओं से चौराहे का सौंदर्यीकरण कर चौराहे को सुंदर बना दिया था। सर्किट हाउस चौराहे पर लाइट ट्री, जो रिक्शे के पाइप, फ्र व्हील, चेन और आयरन स्क्रैप से बनाया गया है। इसके अलावा पुराने बेकार ड्रमों से स्ट्रीट इंस्टलेशन, गाड़ी के बेकार पहियों से बैरिकेडिंग कर मिनी व्हील पार्क, जेसीबी के पुराने टायरों से डिस्प्ले वॉल, पार्कों में बैठने के लिए स्टूल मेज आदि की व्यवस्था की गई थी। लेकिन कुछ माह बाद ही इस चौराहे की लाइट अंधेरे मेें डूबी हुई है। लाइट बंद हो चुकी हैं, पार्र्कों में बनाए गए स्टूल मेज टूट कर गुमशुदा हो चुके हैं।
गांधी आश्रम चौराहा : फाउंटेन भी बंद
इसी तरह गांधी आश्रम चौराहे को कबाड़ की वस्तु से सुंदर आकार दिया गया था। गांधी आश्रम के सौंदर्यीकरण के लिए 70 हजार रुपये का खर्च आया था। इसके तहत गांधी आश्रम चौराहे पर लोहे के स्क्रैप से फाउंटेन बनाया गया है। इसके लिए उन्होंने फाउंटेन लगाने वाली एक कंपनी से संपर्क किया। कंपनी ने पहला फाउंटेन गढ़ रोड स्थित गांधी आश्रम चौराहे पर बनाया था। लेकिन अब यह फाउंटेन बंद हो चुका है लाइट फ्यूज हो चुकी है और चौराहे को सजाने के लिए लगाई गई चैन जंग खा रही हैं। किड्स जोन की हालत खराब
वहीं नगर निगम ने बच्चों के मनोरंजन और सेहत क लिए शहर में जगह जगह किड्स जोन तैयार किया गया था। इन किडस जोन में 450 वर्गफीट में बच्चों को खेलने की सुविधा के साथ साथ झूले लगाए गए थे। इसके तहत पहले चरण में सिविल लाइन, पांडवनगर, गंगानगर और शास्त्रीनगर में किड्स जोन तैयार तैयार किए गए लेकिन अधिकतर किडस जोन की स्थित खराब हो चुकी है। झूले अधिकतर टूट चुके हैं और किडस जोन में गंदगी हावी है।
ये था कबाड़ का जुगाड़ अभियान
- पुराने बेकार ड्रमों से स्ट्रीट डेकोरेशन आइटम - हाथ ठेले के बेकार चक्कों से बेरीकेडिंग करते हुए मिनी व्हील पार्क - जेसीबी मशीन के पुराने टायरों से डिस्प्ले वाल, पार्कों में बैठने के लिए स्टूल - पुराने टायरों से कुर्सी मेज का निर्माण - लोहे के स्क्रैप, बेकार पोल, पैडिल, एंगल से चौराहों पर फाउंटेन निर्माण
शहर की सुंदरता के लिए यह काम किए गए थे। लेकिन कुछ चौराहों पर पॉवर इश्यू होने के कारण लाइटें बंद हैं जिनको जल्द सही कराया जाएगा। किडस जोन पर हर समय निगरानी संभव नही है जो कमियां है उनको सही कराया जाएगा। - प्रमोद कुमार, अपर नगरायुक्त