केस-1
गढ़ रोड निवासी सुमिता 28 वर्ष की हैं। लेकिन उनकी ओवरी की उम्र 37 वर्षीय महिला की तरह पाई गई। शादी के कई साल बाद तक भी कंसीव नहीं कर पा रही थी। डॉक्टर्स को दिखाया तब जांच में ये बड़़ा खुलासा हुआ।

केस-2
शास्त्री नगर की रश्मि की उम्र 26 साल की है। शादी के तीन साल बाद भी वह मां नहीं बन पाई। उन्हें अनियमित मासिक धर्म, गर्भधारण में कठिनाई और बार बार मिसकैरेज का सामना करना पड़ रहा था। कई टेस्ट हुए तब सामने आया की उसकी ओवरी की उम्र 38 वर्ष की हो गई है।

केस-3
मोदीपुरम निवासी अनु का भी ऐसा ही केस है। अनु शादी के 6 वर्ष बाद भी कंसीव नहीं कर पा रही थी। 29 साल की उम्र में जांच में उनकी ओवरी की उम्र 38 साल के बराबर बताई गई।

मेरठ (ब्यूरो)। महिलाओं की कोख जल्दी बूढ़ी हो रही है। उनकी उम्र से ओवरी की उम्र में सात से दस साल तक का अंतर मिल रहा है। डॉक्टर्स भी इस बदलाव को देख काफी हैरान हैं। अनु, रश्मि, सुमिता तो चंद उदाहरण भर हैं। जबकि इन दिनों डॉक्टर्स के पास कई ऐसे मामले पहुंच रहे हैं। कंसीव ना कर पाना, बार-बार मिसकैरेज होना, अनियमित पीरियड्स जैसी तमाम समस्याएं लेकर पहुंची महिलाओं की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। डॉक्टर का कहना है कि खराब खान-पान, बिगड़ी हुई जीवनशैली और तनाव महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम की हेल्थ को सबसे अधिक प्रभावित करता है। महिलाओं की कोख की उम्र जल्दी बढ़ रही है।

केमिकल युक्त खानपान से नुकसान
डॉक्टर्स बताते हैं कि पैक्ड खाने में प्लास्टिक का प्रयोग महिलाओं के लिए बहुत खतरनाक साबित हो रहा है। प्लास्टिक बनाने में प्रयोग होने वाले केमिकल प्रजनन तंत्र को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में भी कई हानिकारक केमिकल होते हैं। इनका असर ओवरी पर पड़ रहा है और वह जल्दी बूढ़ी हो रही हैं।

ये भी हैं कारण
खाने में विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट्स, आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड आदि की कमी, रिप्रोडक्टिव सिस्टम को प्रभावित करती है।

अत्यधिक चीनी, वसा, और प्रोसेस्ड फूड का सेवन हार्मोनल असंतुलन और सूजन को बढ़ावा देता है।

जीरो फिजिकल एक्टिविटी शरीर का मेटाबोलिज्म धीमा कर देता है। इसका भी सीधा असर रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर पड़ता है।

लंबे समय तक तनाव में रहने से कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इससे हार्मोनल इंबैलेंस होता है और ओवरी की उम्र बढऩे का कारण बन सकता है।

नींद की कमी, पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और अन्य हार्मोनल इम्बैलेंस से भी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।

डायबिटीज और थायरॉइड भी प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

पाल्यूशन और केमिकल्स का भी सीधा असर ओवरी पर पड़ता है।

ऐसे करें बचाव
केमिकल युक्त खानपान की जगह अपनी डाइट में आयरन, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, खनिज जैसे पोषक तत्वों को शामिल किया जाएं।

हरी पत्तेदार सब्जियां, अंजीर, साबुत अनाज, फल, सब्जियां, दालें रोजाना के खाने में शामिल होना ही चाहिए। इसके अलावा दही, दूध या दूध से बनी चीजें, केला, बादाम, अखरोट हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। हेल्दी वसा और नट्स का प्रयोग जरूर करें। अपने दिनचर्या में व्यायाम योग को शामिल करें। स्ट्रेस मैनेजमेंट करें। बॉडी को हाइड्रेटेड रखें।

पैक्ड फूड, प्लास्टिक का अधिक प्रयोग, बाहर का प्रोसेस्ड खाना ओवरी की ऐज पर असर डालते हैं। इन दिनों में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। ये एक गंभीर समस्या है। देर से शादी करने वाली महिलाओं को इंफर्टिलिटी तक का सामना करना पड़ रहा है।
डॉ। अंशु जिंदल, सीनियर गायनी

लाइफ स्टाइल में आएं चेंज का सीधा असर रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर पड़ता है। शुरुआत में महिलाएं इससे सीरियसली नहीं लेती हैं। महिलाओं में ओवरी की ऐज का अधिक मिलना बड़ी चिंताजनक स्थिति है। हेल्दी फूड हैबिट्स से ही इसे सुधारा जा सकता है।
डॉ। मनीषा त्यागी, सीनियर गायनी

अधिक मैदा, रिफाइंड या केमिकल युक्त खानपान की वजह से ही इस तरह की समस्या पैदा होती हैं। शरीर के संपूर्ण विकास बैलेंस डाइट के चक्र पर आधारित होता है। इसलिए हमें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं ये समझना बहुत जरूरी है।
डॉ। भावना गांधी, क्लिनिकल डाइटिशियन

पढ़ाई और करियर बनाने के चलते लड़कियां जल्दी शादी नहीं करती हैं। स्ट्रेस लेवल भी हाई रहता है। तनाव की वजह से हर सिस्टम पर प्रभाव आता है। ओवरी ऐज का बढऩा भी इसका एक लक्षण है। बाहर का खाना सबसे अधिक नुकसान देता है।
डॉ। विभा नागर, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट