केस 1 - स्मोकिंग की लत लगी
सुहैल बस 17 साल का है। लेकिन उसे अभी से स्मोकिंग की लत लग चुकी है उसकी बिगड़ती हालत को देखकर घरवाले डॉक्टर से उसका नशा छुड़वाने के लिए कंसल्ट कर रहे हैं
केस -2 गुटखे की लत
12 साल का कृष्णा गुटखा खाता है। छोटी उम्र में ही उसे नशा करने की लत लग गई थी। इस कारण उसके परिजन परेशान हैं और डॉक्टर्स से संपर्क कर रहे हैं।
केस- 3 - डॉक्टर से ले रहे परामर्श
15 साल का राहुल छोटी सी उम्र में ही गुटखा खाने लगा है उसकी इस लत का पता लगते ही परिवार वाले डॉक्टर से कंसल्ट कर रहे हैं ताकि उसका नशा जल्द से जल्द छुड़वाया जा सके।
Meerut। सुहैल, राहुल और कृष्णा तो उदाहरण भर है, लेकिन जिले में ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिन्हें कम उम्र में ही तंबाकू की लत लग चुकी है और उनकी नशे की आदत को देखते हुए परिवार वाले अब लगातार छुड़वाने के लिए प्रयासरत हैं। डॉक्टर का भी कहना है कि छोटी उम्र में ही हमारी नस्ले नशे की जद में डूब रहे हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक तंबाकू की वजह से छोटे-छोटे बच्चे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
यह है स्थिति
5000 से ज्यादा केस अब तक तम्बाकू सेवन की वजह से डायबिटीज के मिल चुके हैं।
3000 नए केस जिले में हर साल सामने आ रहे हैं, जिनमें तंबाकू की वजह से कैंसर हो रहा है।
20 से 28 साल की उम्र में तंबाकू सेवन से मुंह छोटा होने की समस्या हो रही है।
150 से ज्यादा लोग हर दिन इलाज की जानकारी के लिए अस्पतालों में पहुंच रहे हैं।
1500 से ज्यादा केस हाइपरटेंशन के हर साल मामले सामने आ रहे हैं।
12 साल से कम उम्र के बच्चों में सुपारी खाने से कैविटी और सेंसटिविटी की समस्या हो रही है।
10 साल के बच्चे भी तंबाकू गुटखा या किसी नशे की चपेट में है।
तंबाकू में कैंसर पैदा करने वाले तत्व होते हैं जिसमें नाइट्रोसामइंस, बैंजोपायरी, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम आदि शामिल है।
तंबाकू से मुंह, फेफड़े, स्ट्रोक, अल्सर, दमा, डिप्रेशन, सर्वाइकल हो सकता है।
ऐसे होता है असर
डॉ। वीरोत्तम तोमर ने बताया कि तंबाकू में पाए जाने वाला निकोटिन मस्तिष्क में पाए जाने वाले डोपामाइन सिस्टम पर असर डालता है। मस्तिष्क में निकोटिन रिसेप्टर की संख्या को बढ़ा देता है जिससे व्यक्ति के शरीर व मस्तिष्क को निकोटीन के एक स्तर पर ही कार्य करने की आदत पड़ जाती है। निकोटिन की मात्रा कम होने से व्यक्ति को बहुत सी परेशानियां होने लगती हैं जैसे कि सिर दर्द, खांसी, भूख बढ़ जाना, एकाग्रता में कमी, हृदय गति का धीमा हो जाना, चिड़चिड़ापन, गुस्सा व अन्य भावनात्मक कमजोरी जैसे लक्षण शामिल है। इन्हीं लक्षणों की वजह से बहुत से लोग चाहकर भी तंबाकू का उपयोग बंद नहीं कर पाते हैं।
छोटे छोटे बच्चों में तम्बाकू की लत देखने में आ रही है। बहुत से पेरेंट्स बच्चों को काउंसिलिंग के लिए लेकर आ रहे हैं। हालांकि, इलाज से इसे छुड़वाया जा सकता है।
डॉ वीरोत्तम तोमर, सीनियर चेस्ट स्पेशलिस्ट, मेरठ
स्वास्थ्य विभाग की ओर से तंबाकू छुड़वाने के किये काउंसलिंग कैम्प लगवाए जाते हैं। छोटे छोटे बच्चों में भी तंबाकू की लत देखने में आ रही है।
मोहित भारद्वाज, कॉíडनेटर, एनसीडी सेल