मेरठ (ब्यूरो)। शहर की सड़कों पर ट्रैफिक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते सड़कों वाहन चलाना तक मुश्किल हो गया है। इस फैक्ट से तो आप सब वाकिफ होंगे ही। मगर आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इन्हीं भीड़ भरी सड़कों पर दर्जनों ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल प्राइवेट गाडिय़ों में लोगों को ड्राइविंग के गुर सिखा रहे हैैं। बावजूद इसके परिवहन विभाग आंखें मूदकर बैठा है।

निजी गाडिय़ों में ट्रेनिंग
गौरतलब है कि आधे-अधूरे मानकों पर शहर में दर्जनों गैर-मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल कमर्शियल गाडिय़ों की बजाए लोगों को प्राइवेट गाडिय़ों में ड्राइविंग की ट्रेनिंग दे रहे हैैं। जबकि नियमानुसार ड्राइविंग टे्रनिंग के लिए कमर्शियल वाहन ही पंजीकृत होना चाहिए।

अवैध रुप से संचालन
साल के शुरुआत में अधूरे मानकों के चलते परिवहन विभाग ने अधिकतर 15 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। बावजूद इसके दर्जनों ड्राइविंग स्कूल अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। जबकि विभाग का कहना है कि जिले में केवल दो ट्रेनिंग स्कूलों को ट्रेनिंग की मान्यता मिली हुई है।

सड़कें बनी ड्राइविंग ट्रैक
इतना ही नहीं, अवैध ट्रेनिंग सेंटर के संचालकों ने कम सैलरी पर ड्राइवर रखे हुए हैं, जो अनुभवहीन होते हैं और लोगों को कार चलाना सिखाते हैं। इसके अलावा ड्राइविंग सिखाने के लिए इनके पास खाली मैदान भी नहीं होता है। इस वजह से मेन रोड या कॉलोनी की भीड़ भरी सड़कों पर कार चलाना सिखाया जाता है। इतना ही नहीं, गाडिय़ों में इमरजेंसी ब्रेक तक की सुविधा नहीं होती है। यही नहीं, कुछ सेंटर्स पर तो नियमों के विपरीत संचालक पेट्रोल वाली गाडिय़ों की बजाए एलपीजी किट वाली गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं।

इन नियमों की अनदेखी
ड्राइविंग स्कूल शुरू करने के लिए आरटीओ से रजिस्ट्रेशन कराना होता है।

इस दौरान स्कूल में मौजूद टेक्निकल स्टाफ, व्हीकल और लर्निंग लोकेशन की डिटेल देनी होती है।

विभागीय अधिकारी मौके पर जाकर देखते हैं कि जिस जगह लोगों को कार चलाना सिखाया जाएगा वह पर्याप्त है या नहीं।

इसके बाद लाइसेंस जारी किया जाता है।

ट्रेनिंग दे रहे ड्राइवर को कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए।

स्कूल परिसर में ट्रेफिक नियमों की क्लास के लिए भी पर्याप्त स्थान होना जरूरी है।

इनका है कहना
सुबह-शाम शहर की सड़कों पर दर्जनों गाडिय़ों ड्राइविंग ट्रेनिंग देती हुई दिख जाती है। मगर परिवहन विभाग इन पर कार्रवाई क्यों नहीं करता।
मुकुल

ट्रेनिंग सेंटर वाले अब गाड़ी सीखने वाले की गाड़ी में ही उन्हें ड्राइविंग की क्लास दे रहे हैैं। शायद इसी के चलते वह पकड़ में नहीं आते।
तरुण

ड्राइविंग की ट्रेनिंग देने वाले व्हीकल्स पर नंबर प्लेट तो दूर इमरजेंसी ब्रेक जैसे सेफ्टी फीचर तक नहीं होते हैं।
वंश

अधूरे मानकों के चलते 17 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों में से 15 स्कूलों का लाइसेंस निरस्त किया जा चुका है। केवल दो स्कूलों को फिलहाल मान्यता मिली हुई है इसमें हिंद और रॉयल स्कूल शामिल हैं।
राहुल शर्मा, आरआई