मेरठ (ब्यूरो)। बागपत रोड स्थित आयुध चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र में स्वर्णप्राशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर पेरेंट्स को स्वर्णप्राशन की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही बच्चों के लिए स्वर्णप्राशन क्यों जरूरी है इस बारे में भी एक्सपर्ट ने अभिभावकों को बताया।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
इस मौके पर वैद्य प्रीति दुब्बल ने बताया कि स्वर्णप्राशन दो शब्दों से मिलकर बना है। स्वर्ण का अर्थ होता है सोना यानि गोल्ड और प्राशन का अर्थ होता है चाटना। स्वर्णप्राशन एक आयुर्वेदिक रोग प्रतिरोधक और बलवर्धक रसायन है। इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म से लेकर 16 साल की उम्र तक स्वर्णप्राशन दे सकते हैं। इसकी मात्रा बच्चे की आयु के मुताबिक निर्धारित होती है। सुबह खाली पेट ही स्वर्णप्राशन को ग्रहण करना चाहिए।
वर्णन हमारे धर्मग्रंथों में भी
इस दौरान आचार्य अजय ने बताया कि शुद्ध स्वर्ण भस्म को गाय के घी और शहद के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। स्वर्णप्राशन के महत्व का वर्णन हमारे धर्मग्रंथों में भी है।