मेरठ (ब्यूरो)। शहर के प्रमुख पार्कों में शामिल ऐतिहासिक सूरजकुंड पार्क में सुबह और शाम को बड़ी संख्या में लोग वॉक के लिए आते हैैं। मगर कुछ दिनों से लोग पार्क में आने से कतराने लगे हैैं। इसका कारण है पार्क में जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर और ओवरफ्लो डस्टबिन। नगर निगम के दावों के मुताबिक पार्क में दो टाइम सफाई की जा रही है। मगर शहर के एक जागरूक नागरिक अमित सभरवाल ने पार्क की बदहाली को ट्विटर पर साझा कर निगम के दावों की पोल खोल दी है।
गंदगी व अव्यवस्थाएं हावी
सूरजकुंड पार्क में दो समय सफाई की व्यवस्था के बाद भी जगह-जगह फैली गंदगी से पार्क में वॉक के लिए आने वाले लोग परेशान होने लगे हैं। पार्क में लगे डस्टबिन भी रोजाना साफ नहीं होते हैं, जिस कारण से डस्टबिन हर समय कूड़े से भरे रहते हैं। इससे अलग नगर निगम की लापरवाही का आलम ये है कि रख-रखाव के अभाव में सूरजकुंड पार्क के पेड़-पौधे भी मुरझा रहे हैं। पार्क में प्रवेश करते ही दो तरफ बने फव्वारे का स्ट्रक्चर टूट पड़ा है। फव्वारे के अंदर बने मछली के स्ट्रक्चर भी टूट गए हैं। पार्क के फुटपाथ किनारे रोशनी के लिए छोटी-छोटी लाइटें लगाई गई थीं, जो टूटी पड़ी हैैं। पार्क में बैठने के लिए बनी सीमेंट की बेंच भी टूट हुई हैं। पार्क में लगे कई स्टील के डस्टबिन स्टैंड से अलग हो गए हैं। अंदर झाडिय़ों का जंगल तैयार हो गया है। कई जगह पार्क में बड़ी-बड़ी जंगली घास खड़ी हैं। जिनकी लंबे समय से कटाई नहीं हुई है।
1.5 करोड़ हुए खर्च
गौरतलब है कि सूरजकुंड पार्क का सौंदर्यीकरण जून 2018 में शुरू हुआ था। तीन साल हो गए हैं। इसके सौंदर्यीकरण के लिए 1.5 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया था। 2015 में पार्क में साफ सफाई के नाम पर घोटाला पकड़ा गया था। इसके बाद भी लगातार पार्क में बदहाली हावी है।
पार्क की बदहाली के लिए यहां आने वाले लोगों के साथ-साथ नगर निगम भी जिम्मेदार है। निगम रोजाना सफाई नहीं कराता और लोग गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते।
अमित सबरवाल
यहां आसपास के लोगों समेत दूर-दराज से मार्निंग व इवनिंग वॉक के लिए लोग आते हैं। इसलिए जरूरी है कि इस पार्क की नियमित रूप से साफ किया जाए।
मनीष भारद्वाज
सूरजकुंड ऐतिहासिक पार्क है इसका अपना अलग महत्व है। इसके रख-रखाव के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी जरूरी है। हालांकि नगर निगम की भूमिका प्रमुख है।
मोहित गोयल
हर साल लाखों रुपए इस पार्क की मेंटिनेंस के लिए खर्च होता है। इसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। कम से कम सफाई तो नियमित रूप से होनी ही चाहिए।
नरेश चौबे
सूरजकुंड पार्क का निरीक्षण कराएंगे। अगर स्थिति ठीक नहीं मिलती है, तो निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार से मेंटीनेस कराया जाएगा। ठेकेदार से पांच वर्ष तक का अनुबंध है।
हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी