मेरठ (ब्यूरो)। एक बार शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, लेकिन आज के दौर में बच्चों के नाम रखने के ट्रेंड को देखेें, तो लोग यही कह रहे हैं सॉरी शेक्सपियर नाम में बहुत कुछ रखा है। नाम से ही पर्सनॉलिटी डिसाइड होती है। इसलिए अब बबलू, डब्लू, चिंकू, चिंटू आदि नाम से लोग ऊब गए हैं। ऐसे में अब अपने बच्चों के यूनिक नाम रखने को लेकर क्रेज है। वो संस्कृत और या अध्यात्म से जुड़े नाम अपने बच्चों के रख रहे हैं। महापुरुषों और महान महिलाओं के नाम के साथ-साथ भगवान के अवतारों के नाम भी अपने बच्चों के रख रहे हैं।
संस्कृत और संस्कृति की झलक
ज्योतिषाचार्य डॉ। अनुराधा गोयल ने बताया कि पिछले कुछ साल में नाम रखने के ट्रेंड में काफी बदलाव आया है। पहले लोग इंग्लिश और छोटे नामों को प्रेफर करते थे, भले ही जन्मकुंडली और ग्रह नक्षत्र के हिसाब से नाम कुछ और हो, लेकिन अब लोग संस्कृति के हिसाब से नाम खोजते हैं। बीते दो माह में ही मेरे पास करीब 80 ऐसे केस आए हैं, जिनमें पेरेंट्स बच्चों का नाम संस्कृत शब्दों में रखना चाहते हैं। वहीं, पं। श्रीधर त्रिपाठी ने बताया कि बीते कुछ माह में यह अधिक प्रचलन में आया है। पेरेंट्स में संस्कृत शब्दों में नाम रखने का अधिक क्रेज है। वहीं, ज्योतिषाचार्य भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि बीते छह माह में करीब 98 केस आए हैं, जिनमें संस्कृत में पेरेंट्स नाम रखना चाह रहे हैं।
भगवान के पर्यायवाची शब्द
सदर स्थित बिल्वेश्वर नाथ संस्कृत महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर पं। पंकज कुमार झा कहते हैं कि दो साल में 5 से 10 लोगों के फोन में देशभर से आ चुके हैं। जो अपने बच्चों के नाम भारतीय संस्कृति या भगवान के नामों के आधार पर रखना चाहते हैं। वे नाम छोटे भी हों और उनके नाम सार्थक हों। उन्होंने कहाकि वैसे तो जन्मकुंडली और जन्म के ग्रह नक्षत्र की स्थिति को देखकर नाम का पहला अक्षर बताते हैं, इसके बाद पेरेंट्स अपने अपने हिसाब से नाम डिसाइड करते हैं।
कोविड से बदला माहौल
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो कोविड काल में लोग विषम परिस्थितियों से जूझे हैं। ऐसे में उनमें धार्मिक भावना बढ़ती देखी जा रही है। इसका असर यह है कि लोग अब धार्मिक अस्मिताओं से जुडऩा चाहते हैं। इसलिए वे अपने बच्चों के सार्थक नाम रखने के लिए पुरोहितों और विद्वानों से राय लेते हैं।
ग्रह-नक्षत्र के आधार पर जो अक्षर निकाले जाते हैं, उन्हीं पर बच्चों का नाम रखना शुभ है। उसके हिसाब से ही हम नाम बताते हैं, पेरेंट्स आजकल संस्कृत के नाम रखने के लिए पूछ रहे हैं।
पंडित श्रीधर त्रिपाठी
ग्रह नक्षत्र के आधार पर जो अक्षर निकलते है। उसके आधार पर ही नाम का पहला अक्षर बताते हैं। अब पेरेंट्स बच्चों के संस्कृति और संस्कृत से जुड़े नाम रखना प्रेफर कर रहे हैं। नाम बहुत सोच समझकर रखना चाहिए। जीवन में इसका बहुत असर होता है।
डॉ। अनुराधा गोयल, एस्ट्रोलॉजिस्ट
बीते पांच साल में काफी बदलाव हुआ है। लोगों को धार्मिक रुझान बढ़ा है, ऐसे में लोग अपने बच्चों के नाम भगवान के पर्यायवाची शब्द पर रखना चाहते हैं। संस्कृत से जुड़े नाम भी काफी पसंद किए जा रहे हैं। अब पेरेंट्स चाहते हैं बच्चों के नाम ऐसे हों, जिनके धार्मिक अर्थ हों।
डॉ। पंकज कुमार झा, चीफ प्रॉक्टर, बिल्वेश्वर नाथ संस्कृत महाविद्यालय
अब अर्थहीन नामों का चलन नहीं है। नाम ऐसा हो, जो यूनीक हो साथ ही अर्थपूर्ण हो, मैने भी अपने नवजात बेटे का नाम संस्कृत में रखने के लिए पंडित जी से राय मांगी थी। बेटे का नाम आरव रखा है।
शिवम
मेरी पोती का नाम हमने संस्कृत भाषा में रखा है। उसका नाम भव्या रखा है, जो देवी पार्वती का दूसरा नाम है, संस्कृत में नाम भी देखकर उसका अर्थ समझकर कर रखना चाहिए।
रेनू
लड़कियों के इन नाम का ट्रेंड
वेदिका - ज्ञान, एक अप्सरा
गार्र्गी- विदुषी, देवी दुर्गा की तरह शक्तिशाली
वारिजा -कमल
वसुंधरा- धरती
ईशानी- भगवान शिव की पत्नी
नव्या- ताजगी फैलाने वाली
दक्षा - शिव की पत्नी, और धरती
धरा - धरती
ईश्वरी -देवी और शक्तिशाली
गरिमा- शक्ति, गर्व, सम्मान, शक्ति
भव्या- देवी पार्वती का दूसरा नाम
दिया- रोशनी
गौरी - देवी पार्वती का नाम
साक्षी -गवाह
ऋद्धि -सफलता, समृद्धि और फायदा
लड़कों के ये नाम बने पसंद
बलराज -ताकतवर राजा
चित्रण - मन से साफ, रोशनी
दिलीप -भगवान राम के पूर्वज
आमिश -ईमानदार व्यक्ति
दैविक -ईश्वर की कृपा
त्रिजल -भगवान शिव
आरव- तेज आवाज रामायण में इस शब्द का प्रयोग हुआ है
आदित्य- सूरज
अभिमन्यु- अर्जन का बेटा
कियांश- जिसमें सभी अच्छे गुण हों
इवान- ईश्वर का पुरस्कार, सूर्य
विवान- सूरज की किरणें, श्रीकृष्ण
आश्विक - जिसे विजय का आशीर्वाद मिला हो