मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएस यूनिवर्सिटी में कामर्स विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चार वैकेंसी निकाली गई हैं। इसके लिए बकायदा यूनिवर्सिटी की ओर से मार्च में एक विज्ञापन भी रिलीज किया गया था। इस भर्ती के लिए पांच सितंबर को एंट्रेंस होगा। इसके बाद इंटरव्यू होगा, बाद में मेरिट के हिसाब से सेलेक्शन होगा। अब इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि बिना किसी नियम की जानकारी दिए ही एमबीए के कैंडीडेट के फॉर्म को रिजेक्ट कर दिया गया है। अब इस मामले ने तूल पकडऩा शुरू कर दिया है। यूनिवर्सिटी की इस चयन प्रक्रिया पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विश्व ब्राहमण संघ ने आपत्ति जताई है। इस बाबत विश्व ब्राहमण संघ ने यूपी उत्तर शिक्षा सेवा आयोग को पत्र भेजकर शिकायत की है।

ये है मामला
गौरतलब है कि बीते माह मार्च में सीसीएसयू ने कॉमर्स विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद की चार वैकेंसी निकाली थी। इसके लिए करीब 70 कामर्स और 12 एमबीए के अभ्यर्थियों ने अप्लाई किया था। आगामी पांच सितंबर को एंट्रेस एग्जाम होना है। एमबीए के अभ्यर्थियों का कहना है कि बीती 28 अगस्त को सीसीएसयू की ओर से एक मेल आया है, जिसमें लिखा है कि उसका एमबीए एलाइड सब्जेक्ट में नहीं आता है, इसलिए उनका फॉर्म रिजेक्ट किया जाता है।

कहां फंसा है पेंच
सीसीएसयू की चयन प्रक्रिया पर विश्व ब्राहमण संघ ने सवाल उठाते हुए यूपी उत्तर शिक्षा सेवा आयोग को पत्र भी भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि सीसीएसयू के इस संकाय का नाम ही कॉमर्स और बिजनेस एडमिनिस्टे्रशन है। यही नहीं, सीसीएसयू की ओर से एमबीए के डिग्रीधारकों को कॉमर्स में पीएचडी भी कराई जाती है। वैसे, देश की सभी यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट को कॉमर्स का एलाइड सब्जेक्ट माना जाता है। इसी आधार पर यूजीसी सभी एमबीए डिग्री धारकों को कामर्स में नेट परीक्षा देने का अधिकार देता है। यूपी हायर एजुकेशन सर्विस कमीशन ने भी अपने विज्ञापन संख्या 1 में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन को कॉमर्स एलाइड सब्जेक्ट माना है। पर अब सीसीएसयू बिना किसी आधार के एमबीए के अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर कर रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई नियम नहीं बताया गया है।

मेरिट में माक्र्स का खेल
खास बात यह है कि इस सिलेक्शन में पीजी में जो माक्र्स होते हैं, वे भी सिलेक्शन मे बड़ा रोल निभाते हैं। एकेडमिक और एंट्रेंस लेवल दोनों के बाद इंटरव्यू होता है। फिर इन सभी के आधार पर मेरिट बनती है। इनमें एकेडमिक्स के माक्र्स महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं। वैसे आमतौर पर कॉमर्स के छात्रों की अपेक्षा एमबीए के छात्रों के माक्र्स बेहतर होते हैं। जो मेरिट में आगे निकल जाते हैं।

एक हजार रुपए का था ड्राफ्ट
इस चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रत्येक अभ्यर्थी ने एक हजार रुपए का डीडी जमा किया था, जो अब वापस भी नहीं मिलेगा। यानि अभ्यर्थियों की यह फीस भी लैप्स हो गई। अब विभागीय अधिकारी भी सही जवाब नहीं दे रहे हैं। इस संबंध में रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि इस बारे में आईक्यूसी विभाग द्वारा जो लेटर या लिखित पत्र में दिया जाता है वो केवल उसको आगे बढ़ाते है। इसके नियम या जो भी अन्य जानकारी होती सभी वहीं से फाइनल होकर आती है। वहीं, इस बाबत आईक्यूसी विभाग के समंव्यक प्रो। मृदुल ने कहाकि सिर्फ चार भर्ती थी, उनके यहां कामर्स व एमबीए का विभाग अलग है, इसलिए कॉमर्स वालों को कामर्स में लिया गया है, कॉमर्स विषय वालों को कामर्स वाले पढ़ाएंगे। ये भी एक कारण है। जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है।

एबीवीपी करेगा विरोध
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री अनुज ठाकुर ने बताया कि इस भर्ती को रुकवाया जाएगा। दूसरी यूनिवर्सिटी में भी कॉमर्स डिपार्टमेंट में एमबीए के अभ्यर्थियों को मौका दिया गया है। ऐसे में सीसीएस यूनिवर्सिटी में एमबीए के अभ्यर्थियों को रिजेक्ट करना समझ से परे हैं। हमारे संगठन ने रजिस्ट्रार से कारण पूछा है। जल्द ही एबीवीपी विरोध प्रदर्शन करेगा।