मेरठ (ब्यूरो)। बीते कुछ सालों में मेरठ गांजा-अफीम जैसे सूखे नशे का बड़ा हब बनकर उभरा है। नशे के सौदागर जिले में एक्टिव हैं और सोशल मीडिया को बतौर तस्करी का प्लेटफॉर्म इस्तेमाल कर रहे हैैं। गांजे की खेप मेरठ पहुंचाने से लेकर इसकी सप्लाई तक की प्लानिंग सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर की जा रही है। तस्कर इसके लिए बकायदा कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं इन तस्करों का पहला टारगेट स्कूल स्टूडेंट्स होते हैैं। जब दैनिक जागरण आईनेक्सट ने इस पूरे नेक्सस की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।

फर्जी आईडी, फर्जी सिम
सूत्रों के अनुसार गांजे की सप्लाई के लिए तस्कर गैंग पूरी डीलिंग व्हाट्सएप-टेलीग्राम पर ही करते हैं। कब, कहां, कैसे, कितने बजे माल पहुंचेगा, कौन यहां से खेप उठाएगा ये सारी डीलिंग इन्हीं प्लेटफॉर्म पर होती है। इंटरनेट और फोन के लिए फर्जी आईडी पर सिम लिए जाते हैं। जिन्हें हर बार बदल लिया जाता है। वहीं एजेंट भी माल को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए इन्हीं प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहते हैं। जिससे इन लोगों का फिजिकल मूवमेंट काफी कम रहता है और पुलिस द्वारा पकड़े जाने के चांसेज भी बहुत कम हो जाते हैं।

सप्लाई वाया दिल्ली-एनसीआर
मेरठ, मुज्जफरनगर, बागपत, सहारनपुर समेत वेस्ट यूपी के कई जिले तस्करों के रडार पर हैं। वहीं यूपी के आसपास के राज्य जैसे हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड में भी तस्कर एक्टिव हैं। उड़ीसा, बिहार, चेन्नई, मिजोरम, मेघालय जैसे राज्यों से भारी मात्रा में गांजे की पूरी खेप यहां पहुंचती है। दिल्ली-एनसीआर होता हुआ माल मेरठ आता है। जिसे पूरे वेस्ट यूपी और उत्तराखंड में सप्लाई के लिए भेज दिया जाता है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज
बेखौफ तस्कर गांजे की सप्लाई के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए मालवाहक गाडिय़ा, टे्रन, सरकारी बस, ट्रक आदि में खेप लोड की जाती है। रोडवेज या वॉल्वो बस से ही एजेंट इसे लेकर मेरठ पहुंचते हैं। सूत्रों के मुताबिक तस्करी की दुनिया में गांजे के लिए 'माहौलÓ कोडवर्ड का इस्तेमाल होता है। तस्कर इस कोडवर्ड को सुनकर ही माल संबंधित को सौंपा देता है।

गांवों से जुड़ेे तार
गांजे की सप्लाई के लिए अब गांवों के लोगों को भी एजेंट बनाया जा रहा है। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी इसमें संलिप्त हैं। जल्दी अमीर बनने के लालच में ये लोग ऑन ऑर्डर गांजे की सप्लाई करते हैं। सबसे अधिक अब्दुल्लापुर, शोभापुर, भावनपुर में ये नेक्सस फल-फूल रहा है। बीते दिनों पुलिस ने कंकरखेड़ा के कई इलाकों में गांजा सप्लाई करने वाली एक महिला को गिरफ्तार भी किया था।

पांच से सात करोड़ की खपत
जिले में गांजे की खपत के लिए बड़ा तंत्र काम कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक हर महीने यहां पांच से सात करोड़ का गांजा मेरठ में खपाया जा रहा है। बीते छह महीने में ही पुलिस की धरपकड़ में कई करोड़ का गांजा पकड़ा जा चुका है। तस्करों की ओर से एजेंट्स को टारगेट दिया जाता है। मेरठ में अकेले तीन से पांच हजार किलो गांजे को खपाने का लक्ष्य सेट किया गया है।

होती है मोटी कमाई
गांजे की तस्करी में शामिल लोग इसे बेचकर मोटी कमाई कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक बिहार और उड़ीसा से तीन से चार हजार रूपये प्रति किलो के हिसाब से गांजा लाया जाता है। इसके बाद इसे अलग-अलग जगहों पर ले जाकर दस से 12 हजार रूपये किलो तक में बेचा जाता है। एजेंट अपने पास आधा से एक किलो का स्टॉक रखते हैं। जिसके बाद इसकी छोटी-छोटी पुडिय़ा बनाकर कस्टमर्स को दिया जाता है।

कई इलाकों में सप्लाई
जिले में कई इलाकों में गांजे की सप्लाई हो रही है। इसमें लालकुत्र्ती, माधवपुरम, इव्ज चौराहा, ब्रह्मïपुरी, शारदा रोड, हापुड अड्डा, माछेरान, मंडी चमारन, भूसा मंडी, लिसाड़ी गेट आदि शामिल हैं। शराब के ठेकों पर भी खुलेआम पुडिय़ा बनाकर गांजा बेचा जाता है।

ये मामले आए सामने

13 अक्टूबर 2024
टीपीनगर पुलिस ने 1205 ग्राम गंाजे के साथ एक तस्कर को पकड़ा था।

5 अक्टूबर 2024
पांच किलो गांजे के साथ मेरठ के एक युवक को उत्तराखंड पुलिस ने पकड़ा।

2 अगस्त 2024
मेरठ एसटीएफ ने 190 किलो गांजा पकड़ा था। जिसकी कीमत 90 लाख रूपये थी। इस दौरान दो लोगों को गिरफ्तार किया गया।

18 फरवरी 2024
एसटीएफ ने हापुड रोड से एक तस्कर के पास से 57 लाख रूपये का 113 किलो गांजा बरामद किया था। जिसे उड़ीसा से लाया गया था।

24 मार्च 2024
एसओजी और दौराला पुलिस ने 51 किलो गांजे के साथ 5 तस्करों को पकड़ा था। उड़ीसा से गांजे की खेप लाई जा रही थी। इसे शामली, हरियाणा में सप्लाई करना था।

गांजे की तस्करी को रोकने के लिए पुलिस लगातार अभियान चला रही है। गांजे की सप्लाई में शामिल तस्करों का फॉलोअप किया जा रहा है। तस्करी करने वाले आरोपियों की मॉनिटरिंग कर उनकी डिटेल्स आदि भी खंगाली जा रही है ताकि पूरे रैकेट को पकड़ा जा सके। चेकिंग के लिए भी पूरे जिले में अलर्ट है। तस्कर अब सोशल मीडिया का प्रयोग करने लगे हैं। सूचना के मुताबिक उनके रूट को ट्रैक कर रेलवे, बस आदि में चेकिंग तेज करवाई जा रही है।
आयुष विक्रम सिंह, एसपी सिटी