मेरठ (ब्यूरो)। पिछले पांच दिनों में शहर का प्रदूषण स्तर करीब दो गुना हो गया है। इतना ही नहीं, सेंटर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी देश के 190 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में मेरठ तीसरे नंबर पर आ गया है। ये हालात तब हैैं, जब जिले में ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान लागू है। बावजूद इसके पानी का छिड़काव वीआईपी इलाकों तक सीमित है तो वहीं अवैध इंडस्ट्रीज से लेकर खटारा वाहनों पर लगाम के लगाने में प्रदूषण व परिवहन विभाग नाकाम साबित हो रहे हैं। कुल-मिलाकर लगातार बढ़ता एक्यूआई ये बताने के लिए काफी है कि पॉल्यूशन कंट्रोल करने की जिम्मेदार करीब 21 विभाग अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैैं।
एक्यूआई 200 से नीचे
गौरतलब है कि मेरठ में पॉल्यूशन मापने के गंगानगर, पल्लवपुरम और जयभीमनगर तीन सेंटर्स हैं। तीनों सेंटर्स की बात करें तो पांच दिन मेरठ का एक्यूआई 200 से नीचे बना हुआ था। वहीं रविवार को एक्यूआई बढ़कर 375 पर पहुंच गया। यूं तो फरवरी माह में शहर की आबोहवा साफ रही। केवल 7 फरवरी को शहर का प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंचा था। 7 फरवरी को मेरठ के गंगानगर स्टेशन का प्रदूषण स्तर 339, पल्लवपुरम का 310 और जयभीम नगर का 302 दर्ज किया गया था।
पिछले पांच दिन में दर्ज किया गया एक्यूआई
गंगानगर
14 फरवरी- 178
15 फरवरी- 193
16 फरवरी- 295
17 फरवरी- 373
18 फरवरी- 357
19 फरवरी- 344
पल्लवपुरम
14 फरवरी- 117
15 फरवरी- 224
16 फरवरी- 320
17 फरवरी- 349
18 फरवरी- 354
19 फरवरी- 364
जयभीमनगर
14 फरवरी- 141
15 फरवरी- 217
16 फरवरी- 314
17 फरवरी- 350
18 फरवरी- 357
19 फरवरी- 375
तीसरे नंबर पर पहुंचा मेरठ
सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के अनुसार रविवार को मेरठ का प्रदूषण स्तर देश के 190 शहर की सूची में तीसरे नंबर पर रहा। मेरठ के पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर का प्रदूषण स्तर दूसरे नंबर पर 382 रहा जबकि बिहार के समस्तीपुर का प्रदूषण स्तर 392 दर्ज किया गया। वहीं रविवार को दिल्ली का एक्यूआई भी मेरठ से कम 332 दर्ज किया गया।
एक नजर में
मेरठ- 375
दिल्ली- 332
ग्रेटर नोएडा- 316
गाजियाबाद- 284
मुजफ्फरनगर- 382
ऐसे समझें एक्यूआई का लेवल
0 से 50 - गुड - ग्रीन
51 से 100- सेटस्फेक्ट्री - लाइट ग्रीन
101 से 200 - मॉडरेट - येलो
201 से 300 - पूअर - ऑरेंज
301 से 400 - वेरी पूअर - रेड
401 से 500 - सीवियर - मरून
छिड़काव पर्याप्त नहीं
दिल्ली रोड पर रैपिड रेल कारिडोर निर्माण के चलते हर वक्त धूल उड़ती रहती है। हालांकि एनसीआरटीसी के निर्देश पर समय-समय पर पानी का छिड़काव भी किया जाता है। मगर धूल की अपेक्षा पानी का यह छिड़काव पर्याप्त नहीं है। वहीं गर्मी अधिक होने से छिड़काव का असर कुछ ही मिनट तक रहता है।
नहीं बना कंट्रोल रूम
राष्ट्रीय हरित अभिकरण द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जिले में कुल 31 विभागों को वायु प्रदूषण पर नियंत्रण की जिम्मेदारी दी गई थी। नगर निगम को शहरी क्षेत्र में कूड़ा जलाने वाले मुख्य स्थानों का चयन करने व कंट्रोल रूम बनाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आज तक न सूची तैयार हुई, न ही कंट्रोल रूम शुरू किया जा सका है।
कोई कार्रवाई नहीं
जिले में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। कई बार बैठक होने व दिशा-निर्देश जारी करने के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इन बिंदुओं पर नहीं हुआ काम
हर माह विभागों द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तैयार करना।
निर्माण सामग्री से होने वाले प्रदूषण पर लगाम का जिम्मा नगर निगम का।
शहरी क्षेत्र में धूल उत्सर्जन मार्ग पर हर दिन जल छिड़काव।
जनपद में उद्योगों की निगरानी व वायु प्रदूषण पर नियंत्रण की व्यवस्था।
अत्यधिक यातायात व जाम की समस्या के निस्तारण के लिए टीमों का गठन।
कूड़ा जलाने पर एक्शन जीरो
कूड़ा जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने की जिम्मेदारी नगर निगम के अलग-अलग जोनल सेनेट्री इंचार्ज, सुपरवाइजर, फूड सेफ्टी ऑफिसर की है। इतना ही नहीं, कूड़ा जलाने पर नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के अनुसार कार्रवाई का प्रावधान भी है। बावजूद इसके समर गार्डन, दिलशाद गार्डन, लोहियानगर, मंगतपुरम, गांवड़ी, लालकुर्ती, रूड़की रोड, माधवपुरम, कंकरखेड़ा, कासमपुर आदि इलाकों में आज भी कूड़ा जलाया जा रहा है।
प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए ग्रेप के नियमों को सख्ती से लागू कराया जा रहा है। सड़कों पर छिडकाव जारी है औद्योगिक इकाइयों को सख्त निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
भुवन प्रकाश यादव, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी