मेरठ (ब्यूरो)। जन सुविधाओं के लिए खोले गए सरकारी कार्यालय ही जन समस्याएं बन रहे हैं। जहां एक तरफ सरकारी कार्यालयों में बाबूओं की अफसरशाही लोगों के सामने परेशानी खड़ा करती है तो वहीं दूसरी उनके लिए कार्यालयों में पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं न मिलना किसी बड़ी समस्या से कम नहीं है। खासतौर पर भीषण गर्मी में पानी जैसी सुविधा न मिलने तो लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। जन सुनवाई के दौरान सरकारी कार्यालयों में साफ और ठंडे पानी की सुविधा का सच सामने लाने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने अभियान शुरू किया है। जिससे सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छ जल का दावा करने वाले सरकारी मुलाजिमों की पोल खुलकर सामने आ रही है।

कचहरी परिसर
यह वह जगह है जहां रोजाना सैकड़ों मुकदमों की सुनवाई होती है और मेरठ समेत आसपास के सैकड़ों गांवों से लोग बाग कचहरी में आते हैं। ऐसे में इस पूरे परिसर में पेयजल की किल्लत बढ़ी बात है। यहां परिसर में लगे हैंडपंप खराब हैं और शासन द्वारा की गई वाटर कूलर की व्यवस्था अधिकतर जगह पूरी तरह दम तोड़ चुकी है। दो साल पहले जिला बार एसोसिएशन द्वारा लगाया गया वाटर कूलर पिछले साल ही बंद हो गया था। इसके अलावा कचहरी परिसर में जगह जगह लगे हैंड पंप सूखे पड़े हैं। ऐसे में यहां आने वाले हजारों दैनिक लोगों को केवल दुकानों और फूड स्टॉल पर मिलने वाले पैक्ड वाटर बोतल का ही सहारा लेना पड़ता है।

फैक्ट-
-मेरठ कचहरी में रोजना आठ से 10 हजार लोगों का आवागमन रहता है।
-जिला बार एसोसिशन कार्यालय समेत विकास भवन, कृषि विभाग, मत्स्य विभाग, समाज कल्याण विभाग और बैंक जैसे प्रमुख कार्यालय मौजूद हैं।
-कचहरी में साढ़े तीन हजार से अधिक अधिवक्ता हैं।

तहसील परिसर
शहर की सदर तहसील एक प्रमुख कार्यालय है जहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग अपने जमीन संबंधी, प्रमाण-पत्र संबंधी कामों के लिए आते हैं। यहां तहसीलदार से लेकर कानूनगो, पटवारी समेत तमाम आला अधिकारी और बाबू बैठते हैं जो आमजन के काम पूरा कराते हैं। लेकिन, इस परिसर में भी सबसे बेसिक सुविधा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है। परिसर में लगे पेयजल के लिए हैंड पंप खराब हैं और टोंटियां टूटी हुई हैं। ऐसे में यहां बाहर लगे स्टॉल से ही लोग पीने का पानी खरीद कर पीने को मजबूर हैं।

फैक्ट-
-जमीन संबंधी काम, पैमाईश, आय, जाति, मूल निवासी आदि प्रमाण-पत्रों के काम
-रोजाना हजार से डेढ़ हजार लोगों का आवागमन रहता है।

कलेक्ट्रेट परिसर
जिलाधिकारी कार्यालय समेत कलेक्टे्रट परिसर में कई प्रमुख विभाग कार्यरत हैं। जहां आमजन का रोजाना आना जाना रहता है। जिलाधिकारी समेत एडीएम व अन्य अधिकारियों के पास आने वालों के लिए इस परिसर में पेयजल की समस्या होना गंभीर बात है। कलेक्ट्रेट में कुछ साल पहले ठंडा शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए वाटर एटीएम तक लगाया गया था। लेकिन, रख-रखाव के अभाव में इसकी हालत जर्जर है। वहीं परिसर में लगा हैंडपंप सूखा पड़ा है। इससे कलेक्ट्रेट में आने वाले लोग परेशान रहते हैं।

फैक्ट-
- बचत भवन, डीएम, एडीएम कार्यालय, पेंशन कार्यालय आदि प्रमुख भवन
- रोजाना दो हजार से अधिक लोगों का आवागमन, धरना प्रदर्शन करने वालों की संख्या 200 से अधिक


कोटस
तहसील परिसर में हैंड पंप तक तो खराब हैं। पानी ना लेकर जाएं तो वहां पूरे परिसर में पीने का पानी नहीं मिलता। बाहर दुकान वाले भी 20 रुपए की बोतल 25 रुपए तक देते हैं।
- अरुण

कचहरी में तो पीने के साफ पानी के लिए वाटर कूलर कुछ कोर्ट में लगे हुए हैं। बाकि पूरी कचहरी में केवल वहां बने ढाबों पर पानी मिलता है। ठंडा पानी चाहिए तो खरीदना ही पड़ता है।
- संजय

कलेक्टे्रट परिसर में तो आला अधिकारी बैठते हैं। उसके बाद भी वहां पानी की सुविधा न होना गंभीर बात है। आम जन के लिए कम से कम पेयजल जैसी बेसिक सुविधा तो होनी चाहिए।
- अजित शर्मा

हम तो कचहरी जाने से पहले पानी की बोतल लेकर जाते हैं। बाकि तो वहां ढाबों पर भी गंदा पानी मिलता है। हैंड पंप पहले ढूंढने पड़ते हैं। उसके बाद भी खराब ही मिलते हैं।
- मुनेश