मेरठ,ब्यूरो। गगोल तीर्थ में सुबह से ही तैयारियां शुरू हो गई थी। वहीं, शाम होते होते गगोल तीर्थ पर छठ पर्व का अलग ही नजारा दिखाई पड़ा। व्रती नंगे पैर अघ्र्य की टोकरी लेकर घाट पर पहुंचे। सेवा और भक्ति भाव के आलौकिक रूप के साथ उल्लास भी नजर आया। पूजन के बाद अस्ताचलगामी (डूबते) सूर्य को अघ्र्य दिया गया। गगोल तीर्थ में छठ पर्व पर भीड़भाड़ को लेकर प्रशासन ने भी व्यवस्थाएं की थी। अब शनिवार सुबह उगते सूर्यदेव को अघ्र्य देने के साथ व्रत का पारायण होगा। वहीं, कुछ श्रद्धालुओं ने तलाब, या छोटे सरोबार में खड़े होकर डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया।

गूंजते रहे भजन
इस बीच शहर में विभिन्न जगहों पर छठ पूजा से जुड़े परंपरागत गीतों की गूंज रही। गौरतलब है कि छठ पूजा पूर्वांचल यानी पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि का मूलपर्व है। मेरठ और आसपास के क्षेत्र में पूर्वांचल से जुड़े कई लोग वर्षों से रह रहे हैं। धीरे धीरे अब पश्चिम उत्तरप्रदेश में छठ पर्व की धूम दिखाई देने लगी है। चार दिवसीय यह पर्व सोमवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ था। मंगलवार को खरना हुआ। व्रतियों ने गन्ने के रस, गुड़, दूध, चावल से खीर और घी चुपड़ी रोटी तैयार की थी। छठी मैया की पूजा कर प्रसाद वितरित किया था और इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया था।

सुबह से हुई तैयारी
बुधवार को सुबह से ही पहले अघ्र्य की तैयारी होने लगी थी। मौसमी फल-सब्जियां, ठेकुआ आदि रखकर अघ्र्य के लिए टोकरी तैयार की गई। दोपहर बाद व्रती अपने सिर पर अघ्र्य की टोकरी को रखकर पूजा स्थल यमुना ब्रिज पहुंचे और छठ मैया के मंदिर में पूजा-अर्चना की।

आज उगते सूर्य को देंगे अघ्र्य
छठ मैया का व्रत महिला-पुरुष दोनों करते हैं, लेकिन महिलाएं अधिक संख्या में करती हैं। व्रतियों ने मिट्टी-ईंट से छठी मैया की स्थापना की। दीपक प्रज्वलित करते हुए विधि-विधान के साथ पूजन किया। जब सूर्यदेव अस्ताचलगामी होने लगे तो उन्हें अघ्र्य देकर सुख-समृद्धि की कामना की गई। आज (गुरुवार) सुबह उदीयमान यानी उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ व्रत संपन्न होगा और व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगे।

गूंजते रहे गीत
केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मडऱाय, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाएÓ, सेविले चरन तोहार हे छठी मइया महिमा तोहर अपार, उगु न सुरुज देव भइलो अरग के बेर, ङ्क्षनदिया के मातल सुरुज अंखियों न खोले हे, चार कोना के पोखरवा, हम करेली छठ बरतिया से उनखे लागी।Ó, 'सेई ले चरण तोहार, ऐ छठी मइया, सुनि लेहू अरज हमार, 'जल्दी जल्दी उग हे सूरज देवÓ, 'कइलीं बरतिया तोहार हे छठ मइया, 'बेदियां बना दो छठी घाटे।।आदि से पूरा माहौल ही छठ के रंग में रंगा रहा।