मेरठ (ब्यूरो)। जनपद में बिना अनुमति और बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार जनपद में करीब 14 सौ से अधिक निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक और लैब बिना नवीनीकरण और पंजीकरण के संचालित हो रहे हैं। कोरोनाकाल में इनको दो साल के लिए राहत दे दी गई थी। लेकिन, अब 30 अप्रैल तक हर हाल में पंजीकरण और नवीनीकरण कराना है। साथ ही पंजीकरण के लिए फायर और प्रदूषण विभाग की एनओसी भी हर हाल में लेनी होगी तभी परमिशन मिलेगी।
30 के बाद होगी कार्रवाही
कोरोना के चलते बीते दो साल से पंजीकरण और नवीनीकरण का कार्य होल्ड था। अब स्थिति सामान्य होने के बाद जनवरी में रजिस्ट्रेशन और रिन्युअल के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस भेजना शुरू कर दिया था। इसके तहत जनपद में करीब 1400 के करीब निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक और लैब बिना रजिस्ट्रेशन या रिन्युअल के संचालित हो रहे हैं। इन सबको अपडेट के लिए 30 अप्रैल तक का समय दिया गया था। लेकिन, अधिकतर ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है। ऐसे में अब विभाग इन संस्थानों पर कार्यवाही करने जा रहा है।
इन संस्थानों का नहीं रजिस्ट्रेशन
- 247 हॉस्पिटल
- 1062 क्लीनिक
-112 पैथालोजी लैब
फायर व प्रदूषण एनओसी नहीं
अस्पतालों में लगातार बढ़ते हादसों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग इस बार मानकों पर भी सख्त है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन या नवीनीकरण के लिए फायर विभाग, प्रदूषण विभाग की एनओसी जरूरी कर दी है। केवल एफिडेविट से अब काम नहीं चलेगा। एनओसी की पूरी जांच के बाद ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। जनपद में 40 प्रतिशत से अधिक अस्पताल बिना फायर एनओसी और करीब 80 प्रतिशत अस्पताल बिना प्रदूषण विभाग की एनओसी के संचालित हैं।
नवीनीकरण करेगा जेब ढीली
इस बार निजी अस्पताल, क्लीनिक व पैथोलॉजी लैब के पंजीकरण और लाइसेंस नवीनीकरण के लिए शासन स्तर से पहली बार शुल्क का निर्धारण किया गया है। जबकि इससे पहले कोई शुल्क नहीं देना पड़ता था। ऐसे में सभी संस्थानों को नवीनीकरण के लिए शुल्क जमा करना होगा। शासन स्तर से मेट्रो क्षेत्र के अस्पताल, नगरीय और ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल, क्लीनिक और लैब के लिए अस्थायी और स्थायी के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया है। वहीं, निर्धारित अंतिम तिथि 31 मई के बाद नवीनीकरण कराने पर दोगुना शुल्क देना होगा। इस संबंध में सीएमओ कार्यालय की ओर से सभी को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही बिना पंजीकरण लैब संचालित किए जाने पर 10 गुना से अधिक तक शुल्क वसूलने और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पहले मिलेगा अस्थायी लाइसेंस
50 बेड से अधिक क्षमता वाले अस्पतालों को पहले अस्थायी तौर पर एक साल का लाइसेंस मिलेगा। मानक पूरे होने पर पांच साल का लाइसेंस मिलेगा। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि 100 बेड वाले अस्पतालों को अस्थायी लाइसेंस के लिए 200 व स्थायी के लिए 1000 हजार रुपए देना होगा। इसी तरह 200 बेड वाले अस्पतालों को 0अस्थायी लाइसेंस के लिए 400 व स्थायी के लिए 2000 हजार शुल्क जमा करना होगा। जबकि 300 बेड वाले अस्पतालों को अस्थायी लाइसेंस के लिए 600 व स्थायी के लिए 3000 हजार रुपए फीस जमा करनी होगी।
वर्जन
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए नोटिस जारी किए जा चुके हैं। प्रक्रिया के तहत ऑनलाइन ऑवेदन आ रहे हैं। मानकों के अनुसार जांच कर प्रक्रिया पूरी की जा रही है। जो मानक पूरे नहीं करेगा, उसका नवीनीकरण या पंजीकरण नहीं किया जाएगा।
-अखिलेश मोहन, सीएमओ