मेरठ ब्यूरो। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा दूरबीन विधि से रोटेटर कफ सर्जरी कर एक नई चिकित्सीय सुविधा जनपद के मरीजों के लिए शुरु कर दी।
पहली बार हुई सर्जरी
दबाव या चोट के कारण फट जाते हैं लिगामेंट
डॉ मिश्रा का कहना है कि रोटेटर कफ कंधे की मांसपेशियों और लिगामेंट का एक समूह है, जो शोल्डर जॉइंट के ऊपर कफ बनाता है। यह मांसपेशियां और लिगामेंट कंधे के जोड़ को गतिशीलता प्रदान करती हैं। जब लिगामेंट अत्यधिक दबाव या चोट के कारण फट जाता है, तो इसे रोटेटर कफ टियर कहते हैं। रोटेटर कफ की चोट की समस्या ज्यादातर उन लोगों में होती है जो लगातार अपने कंधों पर दबाव डालते हैं। उदाहरण के तौर पर पेंटर, लकड़ी का काम करने वाले और क्रिकेट या टेनिस खिलाड़ी आदि। रोटेटर कफ की समस्या उम्र बढऩे के साथ टिश्यू के डिजनरेशन के कारण भी हो सकती है। दूरबीन विधि (आर्थ्रोस्कोपी) द्वारा रोटेटर कफ रिपेयर सर्जरी आम-तौर पर दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में होती है। इस क्रम में ऑर्थोपैडिक विभागाध्यक्ष डॉ टोंक का कहना है कि इस प्रकार की सर्जरी विभाग के लिये एक उपलब्धि है एवं इसकी शुरुआत से आमजन को काफी लाभ होगा। इस ऑपरेशन में अस्थि रोग विभाग के डॉ नमन, डॉ अभिषेक एवं एनेस्थेसिया विभाग के डॉ योगेश माणिक एवं डॉ प्रमोद मौजूद रहे। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने डॉ कृतेश मिश्रा एवं अस्थि रोग विभाग को शुभकामनाएं दी।