मेरठ ब्यूरो। डेंगू मलेरिया का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है लेकिन नगर निगम द्वारा डेंगू मलेरिया के मच्छरों पर वार के लिए फागिंग की व्यवस्था शत प्रतिशत नही हो पा रही है। दिखाने के लिए शहर के कुछ वीआईपी वार्डों तक निगम की गाडिय़ां फागिंग कर खानापूर्ति कर देती है। जबकि असर में शहर के अधिकतर वार्ड फागिंग से महरूम हैं। निगम कागजों में फागिंग पूरी तरह करा रहा है लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है।
वीआईपी वार्ड तक सीमित फागिंग
गर्मियों के साथ ही शहर में मच्छरों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। बावजूद इसके अभी तक नगर निगम मच्छरों को मारने के लिए केवल फागिंग पर ही निर्भर है और फागिंग भी केवल कुछ ही वार्ड में गिनी चुनी गलियों तक सीमित है। हालत यह है कि शहर की मलिन बस्तियों में तो फागिंग नाम मात्र तक सीमित है। राजेंद्रनगर, कैलाशपुरी, मदीना कालोनी, मेवगढ़ी, विकासपुरी, शेरगढ़ी, सरायकाजी, वेदव्यासपुरी, गौतमनगर, जाकिर कालोनी, मलियाना, कंकरखेड़ा जैसी सैकड़ों इलाकों में फागिंग ना के बराबर है या फिर हुई ही नही है। इन क्षेत्रो में लगातार डेंगू के केस मिल रहे हैं।
हर सप्ताह 200 से अधिक शिकायतें
नगर निगम के शिकायत केंद्र और आईजीआरएस की बात करें तो उसमें सबसे ज्यादा शिकायत गंदगी और फागिंग ना होने की आ रही है। अप्रेल माह में अभी तक 182 से अधिक शिकायतें फॉगिंग ना होने और कराने को लेकर आ चुकी है। खासतौर पर जलभराव प्रभावित क्षेत्रों में फागिंग की सबसे ज्यादा डिमांड की जा रही है। लेकिन बावजूद इसके निगम का ध्यान इस तरफ नही है।
लाखों का बजट, कागजों में फागिंग
शहर में फॉगिंग के लिए नगर निगम ने 90 वार्डों के लिए करीब दस लाख रुपये का बजट बनाया है। इसमें फॉगिंग के लिए दवाई, तेल, मशीन की मरम्मत आदि सभी शामिल है। 20 लाख की आबादी वाले शहर में 10 लाख रुपये फागिंग का रखा गया है। इस बजट के साथ 75 हैंड फागिंग मशीन के साथ 3 बड़ी मशीनों को फागिंग का काम रोस्टर के अनुसार दिया हुआ है। रोजाना शाम के समय शहर के वार्डों में रोस्टर के अनुसार फागिंग की जा रही है लेकिन इसके बाद भी शहर के अधिकतर वार्ड फागिंग से महरूम हैं।

फागिंग के लिए वार्ड वार रोस्टर बनाया हुआ है और रोस्टर के आधार पर ही शहर के विभिन्न वार्डों में फागिंग कराई जा रही है। जिन वार्डो में फागिंग नही हुई है वह मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
डा। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

हमारे वार्ड में पिछले माह एक बार गाड़ी आई थी और फागिंग करने के बाद दोबारा आज तक गाड़ी नही आई है। आसपास जंगल होने के कारण मच्छरों का भरपूर प्रकोप है। जबकि सप्ताह में एक बार तो फागिंग होनी चाहिए।
- कमल, मेडिकल कैंपस

मच्छरों के कारण तो वार्ड में मरीजों की संख्या अत्याधिक बढ़ रही है। फागिंग के लिए निगम की गाड़ी दूर साफ सफाई तक के लिए निगम के कर्मचारी नही आते।
- सुरेश, जयदेवीनगर

फागिंग हमारे वार्ड में अभी तक नही हुई है। कई बार निगम के पास पार्षद के माध्यम से शिकायत कर मांग की जा चुकी है लेकिन यहां गलियों में फागिंग नही हो रही है।
- शशिकांत, जयभीमनगर

बरसात के बाद से जगह जगह जलभराव हुआ पड़ा है। मच्छरों की संख्या इसलिए वार्ड में बहुत अधिक बढ़ गई है। निगम स्तर पर सप्ताह में एक या दो दिन फागिंग कर खानापूर्ति कर दी जाती है।
- प्रेम कुमार, औरंगशाहपुर डिग्गी