मेरठ । हम मेरठ के लोग अब कुछ भी खा लेते हैं। ब्रेकफॉस्ट से लेकर डिनर तक खाने में हम पोषण नहीं सिर्फ स्वाद ढूंढते हैं। दिनभर के खानपान में हमारी प्राथमिकता बाहर का बढिय़ा फैंसी फूड हो गया है। ऑफिस हो, घर हो या बाहर, कहीं भी आते-जाते पैक्ड प्रोसेस्ड फूड धड़ल्ले से कंज्यूम हो रहे हैं। रेडिमेड फूड आइटम्स ने खाने की पौष्टिक थाली की जगह ले ली है। जिसकी वजह से हमारी हेल्थ का सिस्टम भी बिगड़ गया है। कम उम्र में ही बड़ी बीमारियां घेर रही हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि पहले के मुकाबले अब की थाली से न्यूट्रिशियन वैल्यू पूरी तरह गायब है।
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बदला परंपरागत खानपान
पहले के दिनों के बर्गर, पिज्जा, ब्रेड, चॉकलेट, नूडल्स, मोमो, मेयोनिज आदि घरों में मिलते ही नहीं थे। सुबह नाश्ते में अधिकतर घरों में पराठे, घर के जवे, सब्जियां, दूध, फल आदि का ही सेवन होता था। लंच में दाल, चावल, रोटी, सब्जी, दही, सलाद की ही प्राथमिकता थी। रात में हल्का खाना जैसे खिचड़ी, सब्जी या दाल, रोटी, पुलाव खाया जाता था। कचौड़़ी, पकौड़ी, जलेबी और पकवान कभी-कभार ही घर में आया करते थे। समय बदला तो परंपरागत थाली की जगह फैंसी रेडिमेड थाली आ गई पता ही नहीं चला।
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गायब हुए जरूरी पोषक तत्व
खाने की थाली में हर दिन कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, फैट, फाइबर,विटामिन, विटामिन-सी, डी, बी आदि , कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, सोडियम,खनिज जैसे पोषक तत्वों का होना जरूरी है। दाल, मौसमी फल-सब्जी, दूध, दही, अनाज आदि पहले इनकी भरपूर पूर्ति करते थे। अब लेकिन यह स्थिति बदल गई है। बाहर से रेडिमेड फूड में स्वाद तो है लेकिन हाई कैलोरी और कम न्यूट्रिशियन वैल्यू वाले ये खाने बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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ये होने चाहिए पोषण के मानक
एक्सपर्टस बताते हैं कि खाने में पोषक तत्वों की सही मात्रा सेहत बनाए रखने के लिए जरूरी है। जिससे बॉडी की प्रॉपर ग्रोथ होती है। इनकी कैल्कुलेशन बिगडऩे की वजह से कुपोषण, मोटापा, अनीमिया, बीपी, शुगर समेत कई बीमारियां घेरना शुरु कर देती हैं।

कार्बोहाइड्रेट्स
कुल कैलोरी का 45-65 प्रतिशत
सोर्स- मोटा अनाज, फल, सब्जियाँ, और दालें आदि
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प्रोटीन
महिलाओं के लिए तकरीबन 46 ग्राम प्रति दिन
पुरुषों के लिए 56 ग्राम प्रति दिन
सोर्स- मांस, मछली, अंडे, डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, पनीर आदि, दालें, और नट्स आदि
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फैट
कुल कैलोरी का 20-35प्रतिशत
सोर्स-एवोकाडो, नट्स, सीड्स, ऑलिव ऑयल, और फिश आदि
ट्रांस फैट और संतृप्त फैट का सेवन बहुत कम होना चाहिए
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फाइबर
25 ग्राम प्रति दिन (महिलाएँ), 38 ग्राम प्रति दिन (पुरुष)
सोर्स- मोटा अनाज, फल, सब्जियाँ, और दालें आदि
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विटामिन
900 माइक्रोग्राम (पुरुष), 700 माइक्रोग्राम (महिलाएँ)
गाजर, पालक, स्वीट पोटेटो, और अंडे आदि
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विटामिन सी
90 मिलीग्राम (पुरुष), 75 मिलीग्राम (महिलाएँ)
सोर्स- संतरे, स्ट्रॉबेरी, ब्रोकली, नींबू, शिमला मिर्च, आदि
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कैल्शियम
1,000-1,300 मिलीग्राम
दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, और सोया उत्पाद आदि
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आयरन
आठ मिलीग्राम (पुरुष), 18 मिलीग्राम (महिलाएँ)
रेड मीट, चिकन, फिश, दालें, और हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि
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पोटेशियम
2,500-3,000 मिलीग्राम
केले, आलू, टमाटर, दही आदि

ये हो रहा नुकसान
- जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड खाने से मोटापा, हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियां बच्चों तक को शिकार बना रही हैं।

- खाने से जरूरी विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर समेत सभी पोषक तत्वों की कमी हो रही है।

- असंतुलित आहार से पाचन समस्याएँ, कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ पनप रही हैं।


खाना ऐसा होना चाहिए जिसमें सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। स्वस्थ और संतुलित आहार सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। खाने की अच्छी आदतें ही हेल्दी लाइफस्टाइल को मजबूती देती हैं।
डा। भावना गांधी, क्लीनिकल न्यूट्रिशियनिस्ट
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स्वाद के लिए खाने से न्यूट्रिशियंस की पूर्ति नहीं होती है। बढ़ता कुपोषण और मोटापा इसके उदाहरण हैं। भूख लगने या टाइम पास करने के लिए कुछ भी खा लेना सही नहीं है।
सुषमा, डायटिशियन
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जैसा खाना, वैसा मन सही कहा जाता है। बैलेंस्ड डाइट जरूरी है क्योंकि इससे ही बॉडी प्रॉपर ग्रोथ करती है। खाना टाइम और नियमानुसार ही करना चाहिए तभी ये लाभ देता है।
भावना भारद्वाज, हेल्थ एंड वेलनेस कोच