मेरठ (ब्यूरो)। अपने शहर की शान बनने जा रही देश की पहली रैपिड रेल रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के लिए बजट में 4710 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। जाहिर है, पहले से ही तेजी से चल रहे रैपिड के निर्माण कार्य को इस फंड से और बूस्ट मिलेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे रैपिड तय समय से पहले ही रफ्तार पकड़ सकेगी।

तेजी से जारी है काम
गौरतलब है कि देश के पहले 82 किमी लंबे आरआरटीएस कॉरिडोर का निर्माण दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर तेजी से चल रहा है। मेरठ में इसके निर्माण की गति को साफ तौर पर देखा जा सकता है। यहां तक कि कोविड के समय में जब ज्यादातर गतिविधियां सुस्त हो गई थीं, तब भी इसका निर्माण होता रहा।

2025 तक खुलेगा पूरा कॉरीडोर
साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी के प्रायोरिटी सेक्शन पर फॉउंडेशन और पिलर निर्माण के साथ-साथ वायडक्ट का काम भी तेजी से किया जा रहा है। प्रायोरिटी सेक्शन की शुरुआत मार्च 2023 तक होनी है। एनसीआरटीसी के मुताबिक, इसका ट्रायल रन इसी साल करने की कोशिश है। 2025 तक पूरा कॉरिडोर जनता के लिए खोल दिया जाएगा। गौरतलब है कि आरआरटीएस ट्रेनों को अत्याधुनिक नवीनतम तकनीक के साथ डिजाइन किया जा रहा है।

जानें रैपिड रेल को
82 किमी लंबाई
25 स्टेशन होंगे
2 डिपो बनाए जाएंगे
180 किमी। प्रतिघंटा होगी स्पीड
50 फीसदी भागीदारी है केंद्र की
12.5 प्रतिशत की भागीदारी यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान राज्यों की


दिन-रात निर्माण
14,000 से अधिक मजदूर
1100 इंजीनियर लगे
16 किमी। वायडक्ट तैयार
1200 पिलर का निर्माण पूरा
10 हजार फाउंडेशन तैयार
56 किमी। एलिवेटिड का फाउंडेशन पूरा

वर्जन-
काम की गति और खर्च पर महामारी के प्रभाव के बावजूद, हम अपने तेेजी से काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे आरआरटीएस के कार्यान्वयन को योजना के अनुसार आगे बढ़ा सकें।
- विनय कुमार सिंह, एमडी, एनसीआरटीसी