मेरठ (ब्यूरो). दिल्ली से मेरठ के बीच का सफर कम से कम समय में तय हो इसके लिए आरआरटीएस 180 किमी प्रति घंटे की डिजाइन स्पीड की क्षमता वाले बैलेस्टलैस ट्रैक का सिस्टम तैयार कर रही है। इस ट्रैक पर रैपिड 160 किमी प्रति घंटे की ऑपरेटिंग स्पीड और प्रत्येक 5-10 किमी पर स्टेशन के साथ एक घंटे में लगभग 100 किमी की दूरी तय करेगी।
प्रीकास्ट स्लैब ट्रैक सिस्टम
गौरतलब है कि आरआरटीएस कॉरिडोर भीड़भाड़ वाले शहरों के साथ-साथ एलिवेटेड और अंडरग्राउंड कॉरिडोर से गुजरेगा। ऐसे में इन सभी जगहों पर स्पीड के साथ रैपिड को गुजारने के लिए आरआरटीएस के ट्रैक सिस्टम के रूप में प्रीकास्ट स्लैब ट्रैक सिस्टम को चुना गया है।
कम होगा खर्च
देश की पहली क्षेत्रीय रेल के निर्माण में भारत में पहली बार इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब तकनीक उच्च क्षमता वाले बैलेस्टलैस ट्रैक स्लैब का तैयार करती है जिनका जीवन काल लंबा होता है और कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसके कारण, ट्रैक के रख-रखाव की कुल लागत भी कम होती है।
शताब्दीनगर में तैयार
इन प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण मेरठ के शताब्दी नगर स्थित एक कारखाने में किया जा रहा है। ये ट्रैक स्लैब आमतौर पर 4 मीटर & 2.4 मीटर आकार के होते हैं और इलास्टोमेर को एक सेपेरेशन लेयर के रूप में प्रयोग करते हैं। इन ट्रैक स्लैब के निर्माण में उच्च गुणवत्ता वाले कंक्रीट का उपयोग किया जा रहा है, जिसके कारण इसमें उच्च क्षमता और बहुत अच्छी फिनिशिंग है।
फैक्ट्स
- आरआरटीएस प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण मेक इन इंडिया के तहत किया जा रहा है
- इस कारखाने में प्रतिदिन औसतन 90 प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण किया जा सकता है
- दिल्ली- मेरठ कॉरिडोर के लिए कुल लगभग 42000 प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण किया जाना है
- जबकि केवल प्रायोरिटी कॉरिडोर के लिए ही लगभग 9000 ट्रैक स्लैब बनाए जा रहे हैं
- निर्माण के बाद, इन ट्रैक स्लैबों को बड़े ट्रकों/ट्रेलरों पर निर्माण स्थल पर पहले से निर्मित वायडक्ट में ले जाया जाता है
- एक टीम द्वारा प्रतिदिन लगभग 100-150 मीटर लंबा ट्रैक बिछाया जा सकता है