मेरठ (ब्यूरो)। मेरठ-दिल्ली रैपिड रेल की सुविधा सुगमतापूर्ण सफर को ग्रीन सिग्नल देगी तो वहीं, ग्रीन एनर्जी को भी बढ़ावा देगी। आरआरटीएस कॉरिडोर सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इसके तहत करीब 11 मेगावाट एनर्जी प्रोड््यूज होगी। यानि एनर्जी की 40 फीसदी आवश्यकता सौर ऊर्जा से पूरी होगी। इसके लिए एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस के लिए एसईसीआई के साथ एमओयू साइन किया है।
11 मेगावाट प्रोड्यूज होगी बिजली
एनसीआरटीसी 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजिय़ाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से लगभग 11 मेगा वाट संभावित अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करेगा। इसमें मेरठ का भी बड़ा योगदान होगा। मेरठ के 13 स्टेशनों में 9 स्टेशन मेट्रो के हैं। इनमें 4 आरआरटीसी के हैं। यहां पर सोलर ऊर्जा का प्रयोग होगा। इससे बिजली की बचत होगी। यानि एक साल में 10 मिलियन यूनिट सौर ऊर्जा प्रोड्यूज होगी।
70 फीसदी का टारगेट
एनसीआरटीसी ने पूरी जरूरत का लगभग 70 प्रतिशत ऊर्जा अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। योजना के तहत मुराद नगर, मोदी नगर साउथ, मोदी नगर नॉर्थ, मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी और शताब्दी नगर के सात स्टेशनों में लगभग 30000 स्क्वेयर मीटर के क्षेत्र में लगभग 2400 किलोवाट पीक की सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की अच्छी खासी योजना है।
सोलर ट्यूब लगाईं
दुहाई डिपो में सोलर ट्यूब डे-लाइटिंग सिस्टम लगाया गया है। सोलर एनर्जी से दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर रोशन होगा। इस सिस्टम प्रशासनिक बिल्डिंग की छत पर लगाया जाएगा। वहीं, वर्किंग डेस्क, कॉरिडॉर, कॉमन एरिया और वाशरूम आदि में कुल लगभग 30 सोलर ट्यूब डे-लाइट लगाई गई हैं।
ऐसी होगी व्यवस्था
आरआरटीएस कॉरिडोर के स्टेशनों और डिपो पर सौर पैनल लगाए जाएंगे।
आरआरटीएस रोलिंग स्टॉक को रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा।
रीजेनरेटिव ब्रेकिंग से पहियों, ब्रेक पैड्स की टूट-फूट कम होगी और मेंटेनेंस पर खर्च कम होगा।
इस व्यवस्था से कॉर्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।
प्रत्येक आरआरटीएस स्टेशनों पर प्लेटफार्म स्क्रीन डोर लगेंगे। ये अंडरग्राउंड स्टेशन एनर्जी कन्ज्यूम को रोकेंगे।