मेरठ ब्यूरो। शनिवार शाम को हुई तेज बारिश ने शहर के नालों की सफाई के दावे की पोल खोल दी है। सफाई का यही हाल रहा तो मानसून सक्रिय होने पर नाले सडक़ पर बहेंगे। इसका उदाहरण शनिवार की बारिश में ही शहर की सडक़ों पर दिखाई दे रहा है। कुछ देर की तेज बारिश से नाले कूड़े सिल्ट और गाद से भर गए हैं। जरा सी बारिश में पूरे शहर में जगह जगह जलभराव हो गया।

37 दिन बाद भी हालत खराब

गौरतलब है कि शहर में शहर में 311 छोटे बड़े नाले हैं। इनमें 14 बड़े और 186 छोटे नाले शामिल हैं। इनकी सफाई के लिए 15 मई से नगर निगम ने विशेष सफाई अभियान शुरु किया था। लेकिन करीब 37 दिन बीतने के बाद भी नालों की हालत जस की तस बनी हुई है। अधिकतर नाले सिल्ट से अटे हुए है। ऐसे में शनिवार की बारिश ने नालों की सफाई अभियान पर पूरी तरह से पानी फेर दिया।

बह रही नालों की सिल्ट

शनिवार को हुई बारिश में ही शहर के अधिकतर इलाकों में जलभराव हो गया। इसका प्रमुख कारण नालों की सफाई के बाद निकाली गई सिल्ट का ढेर है जो बरसात के बाद वापस बहकर नालों में पहुंच चुकी है। पिछले 10 दिन से शहर के कई नालों की सिल्ट निकालकर नालों के किनारे रख दी गई लेकिन अभी तक उठाई नही गई है। यह बरसात में जलभराव का कारण बन रही है।

इन इलाकों में बदहाल स्थिति

भूमिया पुल, इस्लामबाद, मजीदनगर, सुभाषनगर, हनुमान पुरी, जागृति विहार, पिलोखड़ी पुल, घंटाघर, कोटला बाजार, खत्ता रोड आदि जगहों पर जगह जगह नाला कूड़े से अटने के कारण सडक़ों पर पानी भर गया। जबकि नगर निगम का दावा है कि नाले की सफाई कराई जा चुकी है। भूमिया पुलिया से लेकर पिलोखड़ी पुल, कमेला पुलिया, ओडियन नाला में जगह जगह कूड़ा फेंका जा रहा है। जिस कारण से नाले से जलनिकासी पूरी तरह नही हो पा रही है। सुभाषनगर में जगह जगह नाला कूड़े से अटा हुआ है। जागृति विहार से लेकर एक्सटेंशन नाला, लोहियानगर से शास्त्रीनगर के ब्लॉक नाला सभी का हाल सिल्ट के कारण बदहाल है।

अधिकांश नालों की सफाई एक बार हो चुकी है। नालों की सफाई के लिए पोकलेन मशीनें, जेसीबी व टै्रैक्टर लगे हुए हैं।

डा हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी