मेरठ ब्यूरो। वैसे तो शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला है। विकास के पैमाने पर बड़े-बड़े दावे होते हैं। बावजूद इसके, शहर के कुछ इलाकों में अभी मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है। जिससे लोग रोजाना जूझते रहते हैं। हालांकि, अब नगर निगम चुनाव का आगाज हो गया है। अब शहरवासी अपने पसंद की सरकार चुनेंगे। मकसद होगा कि शहर में बिजली, सड़क पानी आदि जैसी सुविधाओं की दिक्कत न हो। हालांकि, नगर निगम की ओर से एक ओर डोर टू डोर कूड़ा निस्तारण का दावा किया जाता है। तो वहीं दूसरी ओर शहर के कुछ इलाकों में सड़कों पर जमे कूड़े के ढेर वहां की सच्चाई बन गए हैं। शहर की इन्हीं दिक्कतों को जानने-समझने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्सट ने पब्लिक के मन की बात जानी।
सोशल मीडिया पर रखी राय
शहर की मूलभूत सुविधाओं की हालत टटोलने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से सोशल मीडिया पर सर्वे आयोजित कराया गया। इस मौके पर शहरवासियों ने सोशल मीडिया के फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर आदि माध्यमों पर अपनी राय रखी। इस सर्वे में शहर के करीब 200 से 250 लोगों ने अपनी बेबाक राय रखी।
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क्या शहर में स्ट्रीट लाइट को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए गए
हां- 47
नहीं-33
कुछ जगहों पर- 12
कह नहीं सकते- 8
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क्या शहर में कूड़ा निस्तारण व्यवस्था को सुधारने के विशेष कदम उठाए हैं
हां-45
नहीं- 25
थोड़े से-18
कह नहीं सकते- 12
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नगर निगम मेरठ का बीते 5 साल का कार्यकाल कैसा रहा। अपनी राय दें
अच्छा रहा-30
खराब रहा- 55
औसत रहा- 10
कह नहीं सकते- 5
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शहर में नगर निगम की ओर से बीते पांच साल में विकास के कई दावे किए गए। बावजूद इसके, शहर के कई इलाकों में बिजली सड़क पानी ही मूल समस्या है। इसका मतलब है कि दावे सिर्फ कागजों पर सीमित रहे।
रमन ढींगरा
नगर निगम से जुड़े कई मोहल्लों में आज भी जलभराव की स्थिति है। वहां नालों की सफाई न होने से संक्रामक बीमारी भी फैलती है। ऐसे में मूलभूत सुविधाओं को लेकर बहुत कुछ करने की जरूरत है।
अजय दीवान
शहर में कूड़ा निस्तारण को लेकर सार्थक कदम उठाने की जरूरत है। कुछ गलियों में तो महीना बीत जाता है। कूड़ा उठाने वाला कोई नहीं आता है। ऐसे में वहां बीमारियां फैलती है। लिहाजा वहां पर कार्य करने की जरूरत है।
नीरज
मेरठ की सड़कों की हालत खराब हो गई हैं। कुछ इलाकों में गड्ढे हादसे का सबब बन रहे हैं। आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। बावजूद इसके, कोई देखने सुनने वाला नहीं है।
डॉ। राजीव
नगर निगम के दावे तो बहुत है, लेकिन शहर के कई इलाकों में गंदगी इस कदर पसरी रहती है। रिश्तेदारों को भी हम नहीं बुला सकते हैं। सफाई कर्मचारी ही कभी कभार आते हैं।
अंकुर