मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएस यूनिवर्सिटी के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में वेब गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें आज के सवाल और प्रेमचंद का साहित्य विषय पर विशेषज्ञों ने विचार रखे। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो। नवीन चन्द्र लोहनी ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। विषय विशेषज्ञ नई दिल्ली इग्नू से प्रो।जितेंद्र श्रीवास्तव, और जेएनयू से प्रो। रामवृक्ष जाट रहे। गोष्ठी का संचालन डॉ। आरती राणा ने किया। इस अवसर पर प्रो। नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि प्रेमचंद विरले साहित्यकार है प्रेमचंद के पात्र, कथ्य, घटनाएं समय के साथ चलते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्यकार कालजयी मुद्दों को उठाते हैं इस रूप में प्रेमचंद मानवीय संवेदना के कथाकार हैं। प्रेमचंद ने नैतिकता, राजनीति पक्षधरता, सामाजिक न्याय, अशिक्षा, गरीबी, किसानों की उन समस्याओं को अपने लेखन का माध्यम बनाया। जो आज के समय के बड़े सवाल समाज में बने हुए हैं। वह जीवन के प्रति सजग रचनाकार हैं प्रेमचंद भारतीय संस्कृति और समाज के जीवन मूल्यों को स्थापित करते हैं प्रेमचंद आमजन के कथाकार हैं।
आज के समय भी प्रासंगिक है प्रेमचंद
इस अवसर पर प्रो। जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रासंगिकता का प्रश्न जटिल प्रश्न है। प्रेमचंद आज के समय में प्रासंगिक हैं। प्रेमचंद एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं जो समस्या मुक्त हो। प्रेमचंद के समय के सवाल आज भी है जातीय व्यवस्था का प्रश्न, सांप्रदायिकता का प्रश्न, सामंती व्यवस्था, भ्रष्टाचार, औद्योगिकीकरण, दहेज प्रथा स्त्री जीवन के प्रश्न, दहेज प्रथा अनमेल विवाह, विधवा विवाह की समस्याएं, जाति व्यवस्था आदि अनेक प्रश्न है। उन्हें प्रेमचंद ने अपनी लेखनी का आधार बनाया किंतु आज बड़े सवाल बनकर हमारे समाज में है। प्रेमचंद के साहित्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रेमचंद के वैचारिक लेखन में उनके विचार मुखरित होते हैं।स्त्री जीवन के प्रश्नों को उठाते हुए प्रेमचंद स्त्री शिक्षा पर जोर देते हैं और स्त्री को मजबूत बनाने के लिए।और उसके जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेमचंद प्रतिबद्ध है। प्रो। रामवृक्ष जाट ने कहा कि प्रेमचंद की वैचारिक पृष्ठभूमि में आधुनिकरण का विचार रहा है। शिक्षा आधुनिकरण का द्वार खोलती है इस रूप में प्रेमचंद ने अपने पात्रों में विशेष रूप से स्त्री पात्रों को शिक्षा के प्रति सचेत दिखाया है।
ये रहे मौजूद
गोष्ठी में डॉ.अनुज अग्रवाल, डॉ। अंजू, डॉ। प्रवीण कटारिया, डॉ। विद्यासागर सिंह, डॉ। निर्देश चौधरी, डॉ। राजेश कुमार, डॉ। धर्मेंद्र भाटी, डॉ। महेश पालीवाल, डॉ। मोनू सिंह, डॉ। रविंद्र राणा, डॉ। विवेक सिंह, डॉ। योगेंद्र सिंह, डॉ। हरीश कसना, डॉ। सुमित नागर, पूजा, अंकिता तिवारी, पूजा यादव, गीता संदीप कुमार आदि शिक्षक, शोधार्थी और स्टूडेंट्स आदि मौजूद रहे।