मेरठ (ब्यूरो)। न्यूटीमा हॉस्पिटल के बाल रोग विभाग में अत्याधुनिक मशीनों और एक्सपर्ट चिकित्सकों के चलते प्री-मैच्योर डिलीवरी में बच्चों की जान जाने का रिस्क काफी कम हो गया है। हॉस्पिटल के बाल रोग विभाग के पांच साल पूरे होने के अवसर पर हॉस्पिटल में प्रेस वार्ता का आयोजन कर इस संबंध में जानकारी दी गई।

गंभीर समस्या होती थी
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। अमित उपाध्याय ने बताया कि हॉस्पिटल में प्री-मैच्योर बच्चों की डिलीवरी के बाद से ही उनके जीवन को बचाना एक गंभीर समस्या हुआ करती थी। एकल किलो से कम वजन के बच्चों को बचाना तक मुश्किल हो जाता है। लेकिन हॉस्पिटल में उपलब्ध अत्याधुनिक मशीनरी, एडवांस इक्यूपमेंट, टेक्नोलोजी और एक्सपर्ट स्टाफ के चलते प्री मैच्योर डिलीवरी अब चिंता का विषय नहीं है। हॉस्पिटल में पिछले पांच सालों में जन्म लेने वाले 4500 से अधिक बच्चों में से 30 से 35 प्रतिशत बच्चे प्री-मैच्योर पैदा हुए थे लेकिन उनका डेथ रेशो 2 से 3 प्रतिशत ही रहा। जबकि पहले प्री-मैच्योर डिलीवरी होने के बाद से ही पेरेंट्स की परेशानी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में एडवांस इक्यूबेलेटर, नाइट्रिक ऑक्साइड, कूलिंग मशीन जैसे सुविधा मौजूद हैं, जो प्री-मैच्योर डिलीवरी के लिए बेहद जरुरी हैं।