मेरठ (ब्यूरो)। अब तो सड़कों पर सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। घर से निकलते वक्त हेलमेट या मास्क लगाना भूले तो समझो कि अगले कई दिन तक आंखों में खुजली और गले में खराश रहेगी। अगर आंख या गले में इंफेक्शन बना तो डॉक्टर के यहां भी जाना पड़ सकता है। दरअसल, मेट्रो और रैपिड का निर्माण कार्य कितना लंबा चलेगा पता नहींमगर जो पता है वो यह है कि शहर की सड़कों पर उड़ती धूल में आना है और धूल में जाना है।

दिल्ली रोड बदहाल
मेट्रो व रैपिड के निर्माण कार्य के कारण सबसे अधिक शहर की दिल्ली रोड प्रभावित हो रही है। दिल्ली रोड से जुड़े हुए शताब्दीनगर, परतापुर, उद्योगपुरम, टीपी नगर, माधवपुरम, रेलवे रोड, सोतीगंज, फुटबॉल चौराहेआदि पर दिनभर धूल का गुबार उड़ता रहता है।

बढ़ रहा वायु प्रदूषण
प्रदूषण विभाग की मानें तो एनसीआर में पीएम-2.5 एवं पीएम-10 में 40 प्रतिशत मात्रा धूल कणों की है। सीपीसीबी के अनुसार शुक्रवार को मेरठ का एक्यूआई बेहद खराब स्तर पर 349 रहा। मेरठ के जय भीमनगर स्टेशन की बात करें तो 3 जनवरी को प्रदूषण स्तर सबसे खराब स्तर पर 401 रहा था। जबकि 4 जनवरी को 301 और 5 जनवरी को 314 रहा। वहीं गंगानगर स्टेशन पर भी शुक्रवार को प्रदूषण स्तर 379 रहा। यानि बेहद खराब। केवल पल्लवपुरम स्टेशन पर इस माह प्रदूषण का स्तर 300 से नीचे बना हुआ है।

शुक्रवार को एक्यूआई का लेवल
जयभीमनगर- 383
गंगानगर- 381
पल्लवपुरम- 299

फूला रहा सांस
चिकित्सकों की मानें तो धूल के कण नाक की नलियों में एलर्जी पैदा करते हैं। मरीजों की सांस फूलने के साथ बुखार भी उभर जाता है। इसे हे-फीवर कहते हैं। खांसी, बेचैनी, छाती में दर्द, गले में हल्की खराश, गले में सूखापन होता है। गंभीर स्थिति में होठ और नाखून नीले पड़ जाते हैं। मरीज बोल भी नहीं पाता।

आंखों के लिए खतरनाक
आई एक्सपट्र्स का कहना है कि धूल के कण आंखों के लिए बेहद खतरनाक होते हैैं। धूल में सिलिका, लेड जैसे खतरनाक तत्व मौजूद होते हैं, जिसका आंखों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। डस्ट पार्टिकल आंखों की कार्निया पर जाकर चिपक जाते हैं, जिससे आंखों को नुकसान पहुंच सकता है।

बढ़ा रहा बीपी
शुगर एवं रक्तचाप भी बढ़ रहा है। एलर्जी रोग विशेषज्ञ डॉ। वीएन त्यागी ने बताया कि धूल और धुएं के साथ हजारों हानिकारक बैक्टीरिया ट्रैवल करते हैं। इससे सांस ही नहीं, बल्कि स्ट्रोक, शुगर एवं आंख की भी बीमारी बढ़ रही है।

ये जानकारी है जरूरी
धूल एकत्र करने के लिए नगर निगम को सभी प्रमुख सड़कों पर क्लीन स्वीपिंग मशीन प्रतिदिन संचालित करना चाहिए।
सड़कों पर पानी का छिड़काव प्रतिदिन हो।
रेत से भरी ट्राली, डंपर व ट्रक को ढक कर ले जाना चाहिए।
निर्माण सामग्री बेचने वाले लोग यदि खुले में सामग्री बेचते हों तो उन पर कार्रवाई हो क्योंकि निर्माण सामग्री ढकी होनी चाहिए।
भवन या कोई ढांचा निर्माण होने पर पर्दे की दीवार हो ताकि उसकी धूल आसपास न फैले।
कूड़ा जलाने पर कार्रवाई होनी चाहिए।प्रदूषण और धूल से बचने के लिए ये करें

इस तरह करें बचाव
घर से निकलते वक्त मुंह और नाक को रूमाल आदि से जरूर ढककर चलें।
घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें खिड़कियों और दरवाज़ों से जहरीले प्रदूषक घर में प्रवेश कर जाते हैं, इसलिए इन्हें बंद रखें।
सांस से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को डॉक्टर घर में एयर प्यूरीफायर लगाने की सलाह देते हैं। जो अशुद्ध हवा को घर से बाहर निकालने में मदद करते हैं।
इस दौरान छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों को घर से बाहर कम से कम निकलना चाहिए।
नवजात बच्चों को बाहर ले जाने से बचें और बड़े बच्चों को बिना मास्क के बाहर न जाने दें।

धूल के कारण वाहनों से निकलने वाले धुंए के साथ मिलकर हवा को जहरीली बनाते हैं। इससे सांस की बीमारी के साथ ही इंफेक्शन होने की संभावना रहती है।
डॉ। विश्वजीत बैंबी, सीनियर फिजीशियन

नगर निगम द्वारा नियमित रूप से सड़कों पर वाटर टैंकर और स्प्रिंकल गन मशीन से पानी का छिड़काव कराया जाता है। ताकि धूल पर काबू पाया जा सके।
डॉ। हरपाल सिंह, प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी